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priyanka pilibanga
Unsplash छोटी सी जिंदगी में, मेरा भी एक अरमान था। पढ़ा लिखा मेहनत की, मैं भी एक विद्वान था। टूटे हुए दिलो को जोड़ता, इस कला में मैं महान था। आखिर में मुझे पता चला, कि घर मेरा शमशान था। और तुझे क्या बताऊं मेरे यार, यह आखिरी लाश का बयान था। ©Priyanka Poetry shayri
shayri
read morepriya prajapati
मन जिंदगी गुजार दी ना हमने तुमने लोगों ने हमारे मां बाप ने बस इस आस में की दूसरों के दिलों पर अपना एक प्यारा सा घर बन जाए फिर सदियों बीत जाने के बाद भी ना घर बन पाया ना दिल मिल पाया। सब बस आगे बढ़ते चले गए और आज भी बस मन में आस लेके ज़िंदगी में आगे बढ़ रहे है कई जिम्मेदारियों के साथ, कितना अच्छा होता ना अगर हम खुद के लिए जी पाते किसी और की जिंदगी में अपनी खुशी ढूंढने की बजाय हम खुद की जिंदगी को खुशनुमा बना पाते... दुख,आंसू,सांसों का उखड़ जाना अवसाद ये बस शब्द ही रह जाते जिनका कोई वास्तविक अर्थ होता ही नहीं। नादान है हम, हमें पता है कि मनचाहा कभी नहीं मिलता फिर चाहे वो लोग हो या चीज फिर भी ये हमारा मन बच्चों की तरह उसे पाने की चाह रखता है हम इसे रोक देना चाहते है लेकिन कुछ कर नहीं पाते मन में कसक देने वाली स्थिति जहां सब हाथों से फिसलता नजर आता है। हां सुना है संयम को पाकर हम चीजों को छोड़ सकते हैं लेकिन संयम को पाने की कला हमें नहीं आती कैसी अनचाही स्थिति है न जहां मनचाहा कुछ मिल हि नहीं पाता। सोचो तो लगता है कैसे जीव है हम जिसके पास सोचने की क्षमता होने के बाद भी अपनी परिस्थितियों को ठीक से नहीं आंक पाए या जान ही नहीं पाए। वैसे लोग कहते है कि कोशिश करने पर अपने मन को ढूंढा जा सकता है और जो मन संयम में हो जाए तो फिर मनचाहा न मिलने कि पीड़ा भी खुद पर परिहास लगने लगती है कि जिसके पीछे हम पागल थे क्या वो उस लायक था... हां बस शर्त ये है कि हमारा मन पास होना चाहिए...हमारा मन...जिसे हम जैसे कमजोर दिल वाले लोग शायद ही समझ पाएंगे...।। ©priya prajapati #Life #story #Nojoto #Quote #Google #Trending
MaxVaghela
उम्मीद ना छोड़ो यें शाम क़भी ख़ुशनुमा भी होगी, यें ज़ो डूब रहाँ हैं ईसी से कल रौशनी भी होगी... ©MaxVaghela #shayri
VIMALESH YADAV
Nadir shah, Karnal ki ladai #documentry #historical Knowledge #डॉक्यूमेंट्री, #ऐतिहासिक, #शैक्षिक #vimaleshyadav
read moreAmit Chaturvedi
मुनासिब नहीं रिस्तों में हार - जीत हो जाना पहले वर्तमान ,भविष्य फिर अतीत हो जाना ग़र मोहब्बत है तो ज़रा सम्भलना मेरे यारों मुझे गंवारा नहीं किसी का अमित हो जाना ©Amit Chaturvedi shayri
shayri
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