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Karamsingh Bhuihar
तितली बनकर उड़ते गगन में झूम झूम कर नाचूंगी। भौंरा बनकर फूलों का रस पीने को आऊंगी। आसमान के ऊपर से ज़ोर ज़ोर से चिल्लाऊंगी। मेरे जितने साथी हैं पास उन्हें बुलाऊंगी। ताज़ा ताज़ा फूलों की रस मैं पिलाऊंगी। मेरे बगीया की खूब शैर कराऊंगी। चुन चुन कर फूलों की रस मैं निकालूंगी। घर आंगन गलियों को खूशबू से महकाऊंगी।पल में तितली पल में भंवरा बन कर मैं मंडराऊंगी। जो भी मेरे पास आए गीत नया सुनाऊंगी। तितली हूं तो क्या हुआ ताज महल बनाऊंगी।इक बार तुम आ जाओ उडना तुम्हें सिखाऊंगी। अपने पीठ पर बिठाकर तुमको खूब मज़ा दिलाऊंगी। तितली बनकर उड़ते गगन में .... ©Karamsingh Bhuihar तितली बनकर उड़ते गगन में...#TiTLi#titliyon#TiTliyan#
Ashraf Fani【असर】
बादल बिजली तितली सा मन चंचल रहता है सबसे अलग ज़माने में हूँ ये सब कहता है ©Ashraf Fani【असर】 बादल बिजली तितली सा मन चंचल रहता है सबसे अलग ज़माने में हूँ ये सब कहता है #ashraffani #Butterfly
बादल बिजली तितली सा मन चंचल रहता है सबसे अलग ज़माने में हूँ ये सब कहता है #ashraffani #Butterfly #शायरी
read moreNeelam Modanwal ..
🙏 मेंरी छंद की अवधारणा 🙏 फूल में जैसे बसी है गंध की अवधारणा.. गीत में वैसे रही लय छंद की अवधारणा.. एक तितली चुम्बनों ही चुम्बनों में ले गयी. फूल से फल तक मधुर मकरंद की अवधारणा.. जीव ईश्वर का अनाविल नित्य चेतन अंश है. द्वन्द से होती प्रगट निर्द्वन्द की अवधारणा.. एक रचनाकार तो स्थितप्रज्ञ होता है उसे आँसुओं में भी मिली आनंद की अवधारणा.. प्यार से ही स्पष्ट होती है, अघोषित अनलिखे और अनहस्ताक्षरित अनुबंध की अवधारणा.. प्रेम में सात्विक समर्पण के सहज सुख से पृथक. अन्य कुछ होती न ब्रम्हानंद की अवधारणा.. मुक्तिका मेरी पढ़ी हो तो निवेदन है लिखें क्या बनी सामान्य पाठक वृन्द की अवधारणा.........✍️ प्लीज़....... 🙏🙏 ©Neelam Modanwal 🙏मेंरी छंद की अवधारणा🙏 फूल में जैसे बसी है गंध की अवधारणा. गीत में वैसे रही लय छंद की अवधारणा.. एक तितली चुम्बनों ही चुम्बनों में ले गयी.
🙏मेंरी छंद की अवधारणा🙏 फूल में जैसे बसी है गंध की अवधारणा. गीत में वैसे रही लय छंद की अवधारणा.. एक तितली चुम्बनों ही चुम्बनों में ले गयी. #कविता
read moreDevesh Dixit
परिहास (दोहे) जो करते परिहास हैं, उनका बढ़ता मान। आस पास सब हों मगन, खुश होते वो जान।। ऐसा क्यों परिहास हो, लगे व्यंग के बाण। हृदय रहे पीड़ित सदा, कष्ट भोगते प्राण।। हास परिहास हो वही, सुखी करे परिवार। आपस में मिल कर सभी, बांँटे सबको प्यार।। कहते हैं सज्जन सभी, ऐसा हो परिहास। चहक उठे तन-मन सभी, हो जीने की आस।। सीमा हो परिहास की, सके न कोई तोड़। मन भी विचलित हो नहीं, दो उसको अब मोड़।। .............................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #परिहास #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry परिहास (दोहे) जो करते परिहास हैं, उनका बढ़ता मान। आस पास सब हों मगन, खुश होते वो जान।। ऐसा
#परिहास #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry परिहास (दोहे) जो करते परिहास हैं, उनका बढ़ता मान। आस पास सब हों मगन, खुश होते वो जान।। ऐसा #Poetry #sandiprohila
read moreDevesh Dixit
परिहास (दोहे) जो करते परिहास हैं, उनका बढ़ता मान। आस पास सब हों मगन, खुश होते वो जान।। ऐसा क्यों परिहास हो, लगे व्यंग के बाण। हृदय रहे पीड़ित सदा, कष्ट भोगते प्राण।। हास परिहास हो वही, सुखी करे परिवार। आपस में मिल कर सभी, बांँटे सबको प्यार।। कहते हैं सज्जन सभी, ऐसा हो परिहास। चहक उठे तन-मन सभी, हो जीने की आस।। सीमा हो परिहास की, सके न कोई तोड़। मन भी विचलित हो नहीं, दो उसको अब मोड़।। .............................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #परिहास #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi परिहास (दोहे) जो करते परिहास हैं, उनका बढ़ता मान। आस पास सब हों मगन, खुश होते वो जान।। ऐसा
#परिहास #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi परिहास (दोहे) जो करते परिहास हैं, उनका बढ़ता मान। आस पास सब हों मगन, खुश होते वो जान।। ऐसा #Poetry #sandiprohila
read moreInternet Jockey
दिमाग में बर्फ़ और दिल में आग होनी चाहिए भले ही तुम एक तितली हो पर नज़र बाग पर होनी चाहिए ©Internet Jockey दिमाग में बर्फ़ और दिल में आग होनी चाहिए भले ही तुम एक तितली हो पर नज़र बाग पर होनी चाहिए
दिमाग में बर्फ़ और दिल में आग होनी चाहिए भले ही तुम एक तितली हो पर नज़र बाग पर होनी चाहिए #Quotes
read moreBOND Ravi singh007
White टकराकर मर गई तितली कमबख्त किसी ने दीवार पर फूल बना रखा था... ©BOND Ravi singh007 #Couple टकराकर मर गई तितली कमबख्त किसी ने दीवार पर फूल बना रखा था...
#Couple टकराकर मर गई तितली कमबख्त किसी ने दीवार पर फूल बना रखा था... #hunarbaaz
read moreShashi Bhushan Mishra
Autumn सुंदर सा है ये उपवन, तितली जैसा मेरा मन, राही सतत राह तू चल, यात्रा ही तो है जीवन, बिन जाने है ठौर कहाँ, ख़त्म नहीं होगी उलझन, माया छूटेगी एक दिन, सबसे बड़ा श्वास का धन, भागो मत विपरीत दिशा, मेरे जैसा तू भी बन, है लबरेज मुहब्बत से, मेरा दिल मेरी धड़कन, नाम पता मालूम नहीं, ठौर ठिकाने का गुंजन, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई ©Shashi Bhushan Mishra #तितली जैसा मेरा मन#
@xyz
Men walking on dark street तितली की कहानी एक बार एक छोटी सी तितली अपने पापा से कहती है, "पापा, मुझे दुनिया देखना है।" पापा तितली उसे यह कहते हैं, "ठीक है, बेटा। लेकिन याद रखो कि जब तुम बाहर हो, तो समय समझने की कला सीखो।" तितली ने अपने पापा की सलाह मानी और उसने दुनिया के हर कोने को देखा। उसने फूलों के बीच उड़ान भरी, पहाड़ों को चढ़ा, और नदी के किनारे बैठा। एक दिन, उसने एक सुनहरी फूल के पास खुद को ढकते हुए देखा। उसने पूछा, "क्यों तुम ऐसे हो?" फूल ने कहा, "मैं तब तक खिला नहीं हूँ जब तक कि तारीख मेरे पास नहीं आती। तुम भी समय की एहमियत समझो।" तितली ने फूल की बात मानी और वापस अपने घर चली गई। वहां पहुंचकर उसने अपने पापा से कहा, "पापा, मैंने समझ लिया कि समय सबसे महत्वपूर्ण है।" और इस तरह, तितली ने अपने जीवन में समय की महत्वता को समझा और अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए इसका सही इस्तेमाल किया। क्या आपको यह कहानी पसंद आई? ©Kapil Vyas एक छोटी तितली की कहानी #new_post #viarl
एक छोटी तितली की कहानी #new_post #viarl #मोटिवेशनल
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