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संजय जालिम " आज़मगढी"
White अफ़साना दिल का कहूँ कैसे दीवाना दिल को रखू कैसे माना मैं मुफ़्लिस् ,काफिर हु ज़माने का उनके सिवा "जालिम" उल्फ़त में जियु कैसे ©संजय जालिम " आज़मगढी" # जीयु कैसे#
# जीयु कैसे#
read moreDeepankar
White जिसने जैसा सोच लिया वैसे हैं हम, बाकी मेरे "ईश्वर" जानते हैं कैसे हैं हम..... ©Deepankar #Thinking जिसने जैसा सोच लिया वैसे हैं हम, बाकी मेरे "ईश्वर" जानते हैं कैसे हैं हम
#Thinking जिसने जैसा सोच लिया वैसे हैं हम, बाकी मेरे "ईश्वर" जानते हैं कैसे हैं हम
read moreparas Dlonelystar
White टिमटिमाते तारे कितने सारे आसमान पर है और ज़मीन पर दिल के हारे बेसहारे सबर रहे ©paras Dlonelystar #parasd #सबर #तारे shayari sad
gaTTubaba
White उस चेहरे पर इतना भी क्या मरना की चेहरा छुपाने की नौबत आ जाएं वो जिंदगी कैसे हो सकती हैं जिसकी वजह से मौत आ जाएं ©gaTTubaba #Sad_Status वो जिंदगी कैसे हो सकती हैं जिसकी वजह से मौत आ जाएं
#Sad_Status वो जिंदगी कैसे हो सकती हैं जिसकी वजह से मौत आ जाएं
read moreGhumnam Gautam
रात फिर से पढ़ रही है चाँद-तारों की क़िताब क्या ख़बर जब दिन उगेगा क्या पढ़ेगा दोस्तो! ©Ghumnam Gautam #Stars #ghumnamgautam #चाँद #तारे
#Stars #ghumnamgautam #चाँद #तारे
read morePooja Udeshi
White अब क्यो आंसू बहा रहे हो? मरने वाला तो चला गया, ना वो सोचेगा ना तुम सोचोगे उसके बारे मे, सितारे बहुत सारे है आसमान मे, वो तारे बन गए तुम भी तारे बनोगे तो बेकार का नाटक ना करो अब आगे बड़ो और चलते रहो...... hmmm ©Pooja Udeshi #Sad_Status #तारे #pujaudeshi #POOJAUDESHI
#Sad_Status #तारे #pujaudeshi #POOJAUDESHI
read moreParasram Arora
White ये बात कित्नी अजीब है कि सांसे मेरी धीमी और मंद होती जा रहीं जबकि मेरी नब्ज़ ने फड़कना बन्द कर दिया है अब ये कैसे तय हो कि मै कितनी देर या कितने दिन और जीता रहूगा ? और मानलो मरना ही पढ़ा तो मेरा अंतिम क्षण कौनसा होगा ©Parasram Arora कैसे तय हो?
कैसे तय हो?
read moreVivek
हे तारों की चित्रावली,मैंने हर तारे में,तुम्हारा जो चित्र बनाया है,उस आसमां में बैठा हुआ चांद,अपनी शर्माती पलकों से मुझे जो कहता है, वो सिर्फ़ तुम ही जानती हो...!!! ©Vivek #तारे
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी आत्मनिर्भय कैसे बनते झूठ का यहाँ कारोबार है आपदाओं को अवसर बनाने की होड़ सियासतों के रोज लगते दाँव है आत्मसम्मान सब का खो रहा किस्मत आजमाने का नही मार्ग है फरेबों और झूठो ने गठ जोड़ बना लिया समस्याओं का खड़ा पहाड़ है सच्चाई की फजीहत हो गयी गुमराह सारा जहान है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #motivate आत्म निर्भर कैसे बनते
#motivate आत्म निर्भर कैसे बनते
read moreParasram Arora
Unsplash कैसे पता लगे कि कौनसी बात न्याय संगत है और कौनसी बात व्यर्थ कागज़ी फूलों पर तुमने कभी किसी भवरे को बैठते हुए देखा है क्या? ©Parasram Arora कैसे पता लगे?
कैसे पता लगे?
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