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Amit Gahora 52
अपनी उम्मीदों पर खरे उतरते लोग तो अच्छा होता बेवफाओं के लिए यूंही न मरते लोग तो अच्छा होता ये बात तो सही है की सब कुछ किस्मत का लिखा है पर लड़कर जंग जीतकर दुनिया मरते लोग तो अच्छा होता ©Amit Gahora 52 #sugarcandy #motavitonal Internet Jockey अंजान Mukesh Poonia Anshu writer Neetu Sharma अंजान Internet Jockey Mukesh Poonia Anshu writer N
ANOOP PANDEY
White मैं अहसासों का लेखक हूँ क्या तुम मुझ जैसी ही हो मैं दिल की बातें करता हूँ क्या तुम दिल की सुनती हो ©ANOOP PANDEY #F💚S PRIYANKA GUPTA(gudiya) Shilpa yadav ʀᴏʏᴀʟ.यादववंशी. Anshu writer Bhawna Sagar Batra
Gordhan Saini
AmitSinghRajput ASR
ANOOP PANDEY
White तुम्हारे इश्क से हमनें सनम खुद को बचाया है लगाकर आग खुद में ही सनम खुद को सजाया है मुझॆ जो इश्क कर बैठे तो फिर ये गलती तुम्हारी है तुम्हारे प्यार की कीमत सनम ये जाँ हमारी है कि हमनें कर दिया खुद को समर्पित इक कान्हा को वही बस है मेरे मन में वही श्रद्धा हमारी है बस उन्हें ही पूजते है यार हम सिर भी नवाते है जो आयें ध्यान में कान्हा तो फिर हम मुस्कुराते है ना कोई भी ओ शिकवा है ना कोई भी शिकायत है मेरे चित में बसे कान्हा ये दिल राधे दीवाना है ©ANOOP PANDEY #love_shayari Sweety mehta Bhawna Sagar Batra Anshu writer Kshitija sweetie Bhumi
ANOOP PANDEY
White यूँ जो खामोश रहता है तो कोई बात तो होगी तेरे हर दिन पे भारी यार कोई रात तो होगी कोई तो होगा वो मंजर जहाँ पे सब ही थम जाये कहीं कोई सिसकती यार मेरे आह तो होगी जो तूने ना बताया अब तलक वो आज कह देना कहूं मैं बस यही तुझसे कि थोड़ा खुलके जी लेना जो अंदर है तेरे रहता उसे क्यों? दर्द देता है अरे वो है तेरा ही दिल जो हरदम ही धड़कता है अगर जो रुक गया वो तो तू फिर कुछ ना बोलेगा तेरे अंदर बसा जो राज है उसको ना खोलेगा अभी भी कह रहा हूँ तुझसे तू इक बार तो कह दे भुलाकर रंज ओ गम सारे खुशी से यार तू जी ले ©ANOOP PANDEY #sad_feeling ~pooja Sharma 1111 Sweety mehta #शून्य राणा Anshu writer Bhawna Sagar Batra
Shanky Saini
White मानव जब जोर लगाता है पत्थर भी पानी बन जाता है । ©Shanky Saini #Free Ruchi Rathore Anshu writer Annu Sharma Shikha Sharma Riya Soni
Manpreet Gurjar
नन्हे-मुन्ने हाथों में, कागज की नाव ही बचपन था । जिसके नीचे खेले वो, पीपल की छाँव ही बचपन था। कभी झील सा मौन कभी, लहरों सा तूफानी बचपन, कभी - कभी था शिष्ट कभी, करता था मनमानी बचपन। गिल्ली-डंडा, दौड़-पकड़, खोखो के खेल निराले थे, साथ मेरे जो खेले मेरे, यार बड़े मतवाले थे। जिसे छुपाते थे माता से, ऐसा घाव ही बचपन था । नन्हे-मुन्ने हाथों में, कागज़ की नाव ही बचपन था। पापा के उन कंधों की तो, बात ही थी कुछ खास। बैठ कभी जिन पर यारों, हम छूते थे आकाश । मां की रोटी के आगे सब, फीके थे पकवान । सचमुच मेरा बचपन था, इस यौवन से धनवान। जाति, धर्म के भेद बिना का, प्रेम भाव ही बचपन था। नन्हे-मुन्ने हाथों में, कागज़ की नाव ही बचपन था। बीत गया ये बचपन भी, यौवन भी हुआ अचेत, हाथों से फिसली जाती है, जैसे कोई रेत। बचपन का वो दौर जिगर, फिर ला सकता है कौन, बचपन की यादों में खोकर, हो जाता हूं मौन। गाय, खेत, खलिहानों वाला, अपना गाँव ही बचपन था, नन्हे - मुन्ने हाथों में कागज़ की नाव ही बचपन था । ©Manpreet Gurjar #bachpan Anshu writer Munni Bhawna Sagar Batra Dheeraj Bakshi Nidhi rajput
Aadesh pratap singh