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Krishna Kumar
| लोभी दरजी | | लोभी दरजी | एक था दरजी, एक थी दरजिन। दोनों लोभी थे। उनके घर कोई मेहमान आता, तो उन्हें लगता कि कोई आफत आ गई। एक बार उनके घर दो मेहमान आए। दरजी के मन में फिक्र हो गई। उसने सोचा कि ऐसी कोई तरकीब चाहिए कि ये मेहमान यहाँ से चले जाएं। दरजी ने घर के अन्दर जाकर दरजिन से कहा, "सुनो, जब मैं तुमको गालियां दूं, तो जवाब में तुम भी मुझे गालियां देना। और जब मैं अपना गज लेकर तुम्हें मारने दौडू़ तो तुम आटे वाली मटकी लेकर घर के बाहर निकल जाना। मैं तुम्हारे पीछे-पीछे दौड़ूंगा। मेहमान समझ जायेंगे कि इस घर में झगड़ा है, और वे वापस चले जाएंगे।" दरजिन बोली, "अच्छी बात है।" कुछ देर के बाद दरजी दुकान में बैठा-बैठा दरजिन को गालियां देने लगा। जवाब में दरजिन ने भी गालियां दीं। दरजी गज लेकर दौड़ा। दरजिन ने आटे वाली मटकी उठाई और भाग खड़ी हुई। मेहमान सोचने लगे, "लगता है यह दरजी लोभी है। यह हमको खिलाना नहीं चाहता, इसलिए यह सारा नाटक कर रहा है। लेकिन हम इसे छोड़ेंगे नहीं। चलो, हम पहली मंजिल पर चलें और वहां जाकर-सो जाएं। मेहमान ऊपर जाकर सो गए। यह मानकर कि मेहमान चले गए होंगे, कुछ देर के बाद दरजी और दरजिन दोनों घर लौटे। मेहमानों को घर में न देखकर दरजी बहुत खुश हुआ और बोला, "अच्छा हुआ बला टली।" फिर दरजी और दरजिन दोनों एक-दूसरे की तारीफ़ करने लगे। दरजी बोला, "मैं कितना होशियार हूं कि गज लेकर दौड़ा!" दरजिन बोली, "मैं कितनी फुरतीली हूं कि मटकी लेकर भागी।" मेहमानों ने बात सुनी, तो वे ऊपर से ही बोले, "और हम कितने चतुर हैं कि ऊपर आराम से सोए हैं।" सुनकर दरजी-दरजिन दोनों खिसिया गए। उन्होंने मेहमानों को नीचे बुला लिया और अच्छी तरह खिला-पिलाकर बिदा किया। ©Krishna Kumar लोभी दरजी
Abhay Bhadouriya
मैं कवि हूँ, जब भी बिखरता हूँ वो मुझे समेट लेती है दुनिया की भीड़ में मेरा हाथ थाम लेती है मैं तो नासमझ हूँ मुझे समझा देती है जब कभी रूठ जाता हूँ तब मुझे मना लेती है गहराई से सोचो तो समझ आता है, कि कविता स्त्रीलिंग क्यूं है। #वो #कविता #कविताएं_और_हम #स्त्री #स्त्रीलिंग #hindi #abhaybhadouriya #IITKavyanjali #IITROORKEE
Navonmeshi_Raaj
आबिदा रही बस इबादत किया तेरी फ़िक्र में ख़ुद को आहत किया ख़ुदा गवाह सिवा तेरे कुछ न चाहा तूने न पहचान क्या वजाहत किया ✍-राजकुमारी आबिदा--भक्त(स्त्रीलिंग रुप) वजाहत--सम्मान * #nojoto #nojotohindi #quotes
RAVIDAN GADHVI
Happy Holi ये मम्मा है दोस्त है,कभी तोफा तो कभी धोका भी दे सकती है ये कुदरत है दोस्त,कभी तुफान तो कभी पवन का जोका भी दे सकती है ओर बचके रहा करो ईन आज-कल की लडकीओ से जनाब, ये चोके का मोका भी दे सकती है,ओर पीढ पीछे धोखा भी दे सकती है ©RAVIDAN GADHVI रंग बदलने वाली चीजे अक्सर स्त्रीलिंग ही होती है.. अरे मे गीरगीट की बात कर रहा हु.ओर कुछ नही.. पर आप समजे वो भी सही है...#स्त्रीलिंग#... Poe
Sultan Mohit Bajpai
सफर अंजाम तक पहुंचा नही,गिरदाब से डर कर मुहब्बत ने जहां से इब्दिता की, बस वहीं पर हूं ©Sultan Mohit Bajpai सफर अंजाम तक.. इब्तिदा(स्त्रीलिंग) आरंभ, आदि, उत्पत्ति #Nojoto #nojotohindi #Hindi #Love #SAD #Poetry #poem #Music #sultan_mohit_bajpai #k
Abhay Bhadouriya
मैं कवि हूँ, जब भी बिखरता हूँ वो मुझे समेट लेती है दुनिया की भीड़ में मेरा हाथ थाम लेती है मैं तो नासमझ हूँ मुझे समझा देती है जब कभी रूठ जाता हूँ तब मुझे मना लेती है गहराई से सोचो तो समझ आता है, कि कविता स्त्रीलिंग क्यूं है। मैं कवि हूँ, जब भी बिखरता हूँ वो मुझे समेट लेती है दुनिया की भीड़ में मेरा हाथ थाम लेती है मैं तो नासमझ हूँ मुझे समझा देती है
Bhaskar Anand
यशवंत कुमार
वो चेहरा 'तुम्हारा' है मेरी बातों का मेरे जज्बातों का मेरे ख्यालों का मेरे सवालों का Read in caption... वो चेहरा "तुम्हारा " है। मेरी बातों का मेरे जज्बातों का मेरे ख्यालों का मेरे सवालों का मेरी तन्हाईयों का मेरी परछाईयों का