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अदनासा-
संसार की हर एक वस्तु एवं हर एक जीव, फ़िर वो छोटा हो, बड़ा हो या वह भी जिसे हम मनुष्य अपनी साधारण आंखों से देख नही पाते, वह अंतिम सत्य चाहे वो अध्यात्म के सार में हो या विज्ञान के रसायन में, इसलिए इसे जानने और समझने के बाद, उसका प्रयोग करने के पश्चात उससे निष्कर्ष निकालने एवं उसका विष्लेषण करने के लिए ही, हम मानव प्रजाति को ही, रंग को पहचानने, हर आवाज़ को सुनने, बोलने एवं सबसे बड़ी चीज़ बुद्धि दी है, इसलिए हमें समझदार होने के साथ संवेदनशील भी होना चाहिए, केवल स्वयं को श्रेष्ठ समझने की मानसिकता को त्यागना चाहिए, संसार संतुलन से संचालित है यदि एक भी पदार्थ या जीव की कमी या अधिकता हो गई, तो समझो संतुलन बिगड़ रहा है। हम सभी को सृष्टि के रचयिता को प्रणाम एवं धन्यवाद देना चाहिए, कि मानव प्रजाति को इतना सक्षम एवं समझदार बनाया, इस समय हमारे सामने, जो भी संघर्ष या चुनौतियां हैं, वे सब संतुलन की परीक्षा है जो स्वयं के अस्तित्व को जीवंत रखने के लिए, संतुलन बनाने के लिए सतत प्रयास करता है, हमें यह भी ना लगे की संघर्ष केवल हम कर रहे है, ध्यान से देखों तो सारा संसार संतुलन बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है, और ध्यान से देखोगे तो पता चलेगा कि, ठीक आप के सर के ऊपर स्थित अनंत ब्रम्हांड है जिसमें अरबों खरबों तारे है, हमारा अदभुत संसार भी इस समय ब्रम्हांड में विचरण कर रहा है, हमारा यह अदभुत संसार खरबों आकाशगंगाओं में से एक आकाशगंगा में स्थित है, जहां वह भी अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए, संतुलन बना रहा है। ©अदनासा- #ब्रम्हांड #मानव #जीव #आकाशगंगा #आध्यात्म #विज्ञान #सार #Facebook #Instagram #अदनासा
चाँदनी
कवि का प्रेम शिव होता है जो हमेशा ध्यान मे लिन होता है आपने सती के लिए पर दुनिया को सिर्फ भ्रम दिखता है.... उसकी इन्द्रियां स्थापित होती है त्रिनेत्र मे ठीक भौव के बीचो बीच जहा सती का ज्वाला उसके पूरे बदन को बाँध देता है प्रेमपाश से.... तब अंत क्या और आरम्भ क्या ब्रहमांड... आकाशगंगा.... सब अधीन हो जाते है इस प्रेम के आगे आगे अनुशीर्षक मे पढ़े 👇 ©चाँदनी पता है कवि को एक अन्तराल के बाद कविता ना लिखना हो ना सही पर शब्दों को प्रेम के भाव से विभोर कर देना चाहिए...
Anil Kumar Jaswal
प्रकाश के गोले, आकाश से गिरते, उसने हाथों से लपके, आकाश गंगा से मिलाई आंखें, प्यार की ज्वाला जगी, चारों और, दिवाली दिखी। ©Anil Kumar Jaswal #आकाशगंगा Praveen Storyteller Miss poojanshi gaTTubaba अब्र The Imperfect संजय सिंह भदौरिया
GRHC~TECH~TRICKS
**** ज्ञान **** ज्ञान की पुर्ण परिभाषा देने वाले आपको अनेक प्रमाण मिलेगे। वास्तविक में ज्ञान क्या है ? क्या स्वरूप इसका ? (जानिए) हमारा मस्तिष्क एक आकाशगंगा है । इसका सम्बन्ध शरीर रूपी पात्र के हद्रय रुपी सागर की तरंग (विचार) रुप में बदल जाती इनसे है। यही मुख के द्वारा निकलनें से ज्ञान की परिभाषा में बदल जाती है। और यही सामने वाले के हद्रय के तरंग से तरंग (विचार से विचार) मिलने की प्रक्रिया ही एक ज्ञान है। ज्ञान का अब तक पुर्ण विकसित विकास किसी को नहीं हुआ है। चाहे भगवान के अवतार भी क्यूं ना हुआं हो। सभी का जन्म लेने के कुछ -कुछ कारण थे। अब तक जितने भगवान अवतार हुएं है उनको भी नहीं है? क्योंकि प्रकृति के प्रमाण से प्रमाण पर लिख रहा हूं ये सब। मार्ग दर्शन करने आते हैं हमाराऔर धर्म स्थापित करके चले जाते हैं। श्री गीता जी भी इसी का एक प्रमाण है, जो ज्ञान से ज्ञान प्राप्त होता है। उसको ही इस ज्ञान स्वरूप कहा जाता है। संसार में वह कोई और नहीं होता। आपके ह्रदय में खुद भगवान होता है। जो आपके मुख पर ज्ञान यज्ञ से प्रभावित होकर प्रसन्नता होती है। वह उन्हीं के द्वारा प्रदान की हुईं किया हुआ अलौकिक उपहार होता है। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #New #treanding #reading #Tea Rahul ƈɦɛȶռǟ ƈօօʟ (Y̴a̴a̴r̴a̴) vishwadeepak Nikita vandna Create By Heart Rahul ƈɦɛȶռǟ ƈօօ
Vedantika
अस्तित्व इस जीवन का धरा पर ही तो सम्भव है। प्रकृति का हर दृश्य मनोहर लगता बड़ा विहंगम हैं। ईश्वर की अदभुत रचना यह है संभावनाओं का संसार, निज स्वार्थ से ऊपर उठकर करो इसका संरक्षण हर बार। ईश्वर द्वारा रचित इस सृष्टि में कितनी ही आकाशगंगाएँ है जिसमें न जाने कितने अनगिनत तारे, कितने ही ब्रम्हांड और कितने ही ग्रह उपस्थित है। ऐसी
Vedantika
कहकशाँ-ए-मोहब्बत मे इक ही उसूल हैं खोया जिसने होश अपना उसने खुदा को पाया हैं कहकशाँ- आकाशगंगा #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #उर्दुकीपाठशाला #कहकशाँ #wordoftheday #writinggyan
सुसि ग़ाफ़िल
चित्त की चिट्ठियां प्रतिक्षा बूड़ी तो नहीं होती आखिरी जवान कब तक रहती है देखते हैं अंधेरे में रहस्यों की दुकान पर कब तक रहती है आंखों के बंद होते ही रहती है आं