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Parasram Arora
पहली बार निकला था एक ऊँट चार् धाम क़ी यात्रा पर और उसे अपनी लघुता का आभास तब हुआ ज़ब उसने डाली हिमालय के शिखरों पर अपनी नजर तुरंत उसने आगे क़ी यात्रा स्थगित कर ली और लौट आया वो अपनी जन्मस्थली . उजले तपे रेगिस्तान पर जहाँ उसने अपनी लघुता क़ी समीक्षा फिर से क़ी और अपने उदगार उसने दुनिया के हरऊठ तक पंहुचा दिये .. कि "हम उठो क़ी प्रजाति दुनिया क़ी सर्वाधिक ऊंचाई रखनेवाली प्रजाति है.. लेकिन हिमालय क़ी तरफ जाने क़ी कोई भी ऊँठ कोशिश न करें"क्योंकि वहा जाने पर उन्हे हिमालय के शिखरो से रूबरू होना पढ़ेगा और अपनी लघुता पर शर्मसार होना पड़ेगा " तब से किसी भी ऊँट ने रेगिस्तानो क़ी. लक्मन रेखा को उलाघने का प्रयास नही किया है ©Parasram Arora एक ऊंठ क़ी चारधाम यात्रा
Jotiram Sapkal
Jotiram Sapkal
prakash maroti totewad
शिखर सिंह
मैं कलयुग के घोर पाप सा हूँ, तू चारधाम के पुण्य प्रिये, मैं ऋषि मुनियों के श्राप सा हूँ, तू गीता के पवित्र श्लोक प्रिये। #veins मैं कलयुग के घोर पाप सा हूँ, तू चारधाम के पुण्य प्रिये, मैं ऋषि मुनियों के श्राप सा हूँ, तू गीता के पवित्र श्लोक प्रिये।
sandy
आयुष्य पण हे...एक रांगोळीच आहे. ती किती ठिपक्यांची...काढायची हे नियतीच्या हातात असले तरी...तिच्यात कोणते व कसे रंग भरायचे हे आपल्या...हातात
yogesh atmaram ambawale
मानावे कुणाला आधार वृद्धापकाळाचा, सांभाळून घेईल मुलगी की आधार राहील मुलाचा. संभ्रम कायम हा माझ्या मनाचा, विश्वास ठेवावा कुणाचा,सासरी जाणाऱ्या मुलीचा की वाया जाणार नाही मुलगा,ह्या आशेचा. सुप्रभात माझ्या मित्र आणि मैत्रिणीनों आज आपण अलंकाराचा नवीन प्रकार बघणार आहोत. तो आहे ससंदेह अलंकार. ससंदेह:- उपमेय कोणते आणि उपमान कोणते
RJ कैलास नाईक
नकोच मजला कोणते शब्द भरजरी नात्यास दूषणे नसावी तुझ्या कधी उरी कोण केला गुन्हा सजा कुणाला झाली अपेक्षांच्या जगात भरकटली दुनिया सारी शब्द अपुरे पडतात भावनांच्या वैराग्यात सोसवेना खुलाश्यांची निष्प्रभ लाचारी मन वेडावते खुळ्यागत शापित एकांतात अश्रू कोसळण्यास कधीचे अधीर जरी डगमगली जरी प्रेमाची नौका हिंदोळ्यावर नात्यांचा प्रवास न्यावा लागेल पैलतीरी RJ कैलास #नकोच मजला कोणते शब्द भरजरी नात्यास दूषणे नसावी तुझ्या कधी उरी कोण केला गुन्हा सजा कुणाला झाली अपेक्षांच्या जगात भरकटली दुनिया सारी शब्द
Sanjay Sharma Saras
मुझे विदित विधना ने अनादि से मेरा वनवास लिखा है, कैसे वरण करूँ सीते मैं जनम-जनम संत्रास लिखा है। मेरा प्रेम नहीं सांसारिक ईश-मिलन का हेतु है, मुझको ऐसा संग मिला जो चारधाम का सेतु है। मेरा प्रेम शिला-शापित सा छूकर उसे अहिल्या करना, सियाराम की रटन लगाये भवसागर से पार उतरना। ©Sanjay Sharma Saras गीत की पंक्तियां भगवान श्रीराम के जीवन से प्रेरित होकर उन्हीं की अतीव कृपा से मुझ अकिंचन दास की तुच्छ कलम ने एक अधूरा सा गीत-सृजन लिखा था, स
Kamaal Husain
देश मेरा बाकी देशों से लगता मुझे महान इसीलिए हम देश के खातिर दे सकते हैं जान Read in caption अखिल विश्व का अद्भुत गौरव, जन मानस की शान है। चतुर्पटल अवांछित करता, हिमगिरि का अभिमान है। दक्षिण हिन्द भी नतमस्तक हो, करता स्नेह प्रणाम