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ratankothari kothari । dangers

ग्रतीव इन इंडिया #सस्पेंस

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मारी मानो तो सम्यो पर सभल जाओ
नही तो समय कूद आप को
संभल ना सिका देगा

©ratankothari kothari ग्रतीव इन इंडिया

Crime Branch

जुगाड़ इन इंडिया #nojotovideo #कॉमेडी

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mute video

Author Harsh Ranjan

टैक्सपेयर्स 1

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1
हथौड़े से सीना खुजलाते हुए,
द्वार पर बैठे-बैठे बतियाते हुए
दशरथ मांझी ने सुना कि
अब 80 करोड़ लोगों को
मुफ्त में अनाज मिलेगा, वो समझे,
जिंदा होने का ब्याज नहीं लगेगा।
वो उठे झटके से, गमछा ओढा
छेनी खोजी, लिया हथौड़ा,
-पेट की परवाह नहीं रही अब
चलो कुछ और पर्वत तोड़े जाएं!
खैनी-पान लगाते, आँसू-कामायनी के छंद उड़ाते
प्रसाद ने सोचा कि थोड़ा वक्त मिला है
साहित्य को एक नया आयाम दिया जाए।
बड़े लोग तो बड़े लोग हैं,
छोटे लोगों में भी उबाल है।
पेट से बरी होकर कोई शोध में लगेगा,
कोई चाँद तक की सीढ़ी चढ़ेगा।
कोई कला के लिए अलबला रहा है
कोई दूसरों को मोटिवेट करने चिल्ला रहा है।
Cont टैक्सपेयर्स 1

Author Harsh Ranjan

टैक्सपेयर्स 2

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2
आज भारत की आबादी का 
सबसे बड़ा हिस्सा, सबसे बड़ी चिंता से मुक्त है।
एक पैसे का दंगा करता न कोई अभियुक्त है।
लेकिन क्या सच? 
मैं उस सड़कछाप शायर से,
मैं उस धोखेबाज नेता से,
मैं उस योद्धा कायर से, ये पूछता हूँ,
पापी पेट का सवाल है, जिनका जुमला था,
जो दाल में डूबा था, रोटी से कुचला था,
जिसकी महत्वाकांक्षा को, जिसके सम्मान को
जिसकी जरूरतों को, जिसके अरमान को
पेट रोक रहा था,
चूल्हा जिनकी भूख सेंक रहा था 
वो क्या कल सुबह ब्रह्ममूहरत में उठेंगे?
सूर्य को अर्घ्य देकर सड़कों पर निकलेंगे?
वो अपनी काबिलियत और वजन के हिसाब से,
वो अपनी कद-काठी के नाप के
हथौड़े और कलम उठाएंगे?
वो इरादतन गैर-इरादतन हिमालय जाएंगे?
Cont टैक्सपेयर्स 2

Vikas sharma

#terimitti @ मेड इन इंडिया

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Uttam Bajpai

मीटर मेड इन इंडिया । #कॉमेडी

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Vikas sharma

#Vocalforlocal मेड इन इंडिया #कविता

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Author Harsh Ranjan

टैक्सपेयर्स 2

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2
आज भारत की आबादी का 
सबसे बड़ा हिस्सा, सबसे बड़ी चिंता से मुक्त है।
एक पैसे का दंगा करता न कोई अभियुक्त है।
लेकिन क्या सच? 
मैं उस सड़कछाप शायर से,
मैं उस धोखेबाज नेता से,
मैं उस योद्धा कायर से, ये पूछता हूँ,
पापी पेट का सवाल है, जिनका जुमला था,
जो दाल में डूबा था, रोटी से कुचला था,
जिसकी महत्वाकांक्षा को, जिसके सम्मान को
जिसकी जरूरतों को, जिसके अरमान को
पेट रोक रहा था,
चूल्हा जिनकी भूख सेंक रहा था 
वो क्या कल सुबह ब्रह्ममूहरत में उठेंगे?
सूर्य को अर्घ्य देकर सड़कों पर निकलेंगे?
वो अपनी काबिलियत और वजन के हिसाब से,
वो अपनी कद-काठी के नाप के
हथौड़े और कलम उठाएंगे?
वो इरादतन गैर-इरादतन हिमालय जाएंगे?
Cont टैक्सपेयर्स 2

Author Harsh Ranjan

टैक्सपेयर्स 3

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3
वो न किसी फायदे के लिए,
न किसी नुकसान के डर से,
हिमालय पर लाखों-करोड़ों चोट करके
इस जिद से उसे गिराएंगे कि
उन्हें बस हिन्द महासागर को भर देना है
उन पत्थरों से, उस धूल से,
जो उत्तर आ गयी थी भूल से।
हिन्द महासागर को पाटकर क्या वो
नया हिन्द प्रदेश बनाएंगे,
जिसकी मिट्टी पर हम फसल न उपजाएँ पर
कुछ स्मारक बनवाएंगे, उनके लिए
जिन्होंने युग-युगांतर से 
इस भारत-भूमि को सींचा था,
अपने खून से मिट्टी की उर्वरता को सींचने का
आदर्श जिन्होंने खींचा था।
End
 टैक्सपेयर्स 3

Author Harsh Ranjan

टैक्सपेयर्स 1

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1
हथौड़े से सीना खुजलाते हुए,
द्वार पर बैठे-बैठे बतियाते हुए
दशरथ मांझी ने सुना कि
अब 80 करोड़ लोगों को
मुफ्त में अनाज मिलेगा, वो समझे,
जिंदा होने का ब्याज नहीं लगेगा।
वो उठे झटके से, गमछा ओढा
छेनी खोजी, लिया हथौड़ा,
-पेट की परवाह नहीं रही अब
चलो कुछ और पर्वत तोड़े जाएं!
खैनी-पान लगाते, आँसू-कामायनी के छंद उड़ाते
प्रसाद ने सोचा कि थोड़ा वक्त मिला है
साहित्य को एक नया आयाम दिया जाए।
बड़े लोग तो बड़े लोग हैं,
छोटे लोगों में भी उबाल है।
पेट से बरी होकर कोई शोध में लगेगा,
कोई चाँद तक की सीढ़ी चढ़ेगा।
कोई कला के लिए अलबला रहा है
कोई दूसरों को मोटिवेट करने चिल्ला रहा है।
Cont टैक्सपेयर्स 1
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