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kavi shubham shrivastava
FIROZ KHAN ALFAAZ
जाने क्या तलाश है जो ख़त्म नहीं होती, यूँ तो रोज़ मिलता हूँ ज़िन्दगी से मैं !!! -1 हमक़दम हमदर्द भी हो ये लाज़मी तो नहीं.. दूरियां संवार देती हैं रिश्ते अक्सर !!! -2 उस माँ की कोख में तो, बंटवारा न था कोई, किसने उठाई घर में दीवार तू बता ! -3 उसके अश्कों में यूँ बहे मेरे अहद-ओ-अना, नाव काग़ज़ की सैलाब में बही हो जैसे ! -4 वो हार जाती है मुझसे मेरी ख़ुशी के लिए, मैं हार जाता हूँ जब वो ज़िद पे उतर आती है ! -5 कौन कहता है कि मोहब्बत दोबारा नहीं होती, शर्त इतनी है कि पहली को भुलाया जाए !!! -6 अहद तो रूठने का था मगर मैं रूठा न रह सका, जाने तुझे शिकायत ज़्यादा थी या मोहब्बत ज़्यादा ! -7 नहीं रहता है जिस्मों पर सदा मौसम जवानी का, मगर दिल पर ज़ईफ़ी का कभी मौसम नहीं आता !!! -8 ग़लत इलज़ाम की अक्सर सज़ा लोगों को मिलती है, कि मैंने मुजरिमों के घर में भी रह कर के देखा है ! -9 इज़्हार-ए-इश्क़ की ख़ातिर, कई अल्फ़ाज़ सोचे थे , ख़ुद ही को भूल बैठे हम, कि जब तुम सामने आये !!! -10 ©® फिरोज़ खान अल्फ़ाज़ नागपुर प्रोपर औरंगाबाद बिहार स0स0-9231/2017 जाने क्या तलाश है जो ख़त्म नहीं होती, यूँ तो रोज़ मिलता हूँ ज़िन्दगी से मैं !!! -1 हमक़दम हमदर्द भी हो ये लाज़मी तो नहीं.. दूरियां संवार देती है
Roohi Bhargava
वह जो सब कुछ संभाल कर चलता है, अक्सर वह ही मन के आवेग में बह जाता है। जिससे वह प्रेम करता है, अक्सर वही उसे चोट पहुंचाता है। उम्मीद पर जिसकी दुनिया कायम रहती है, अक्सर उम्मीद की वह दीवार भी ढह जाती है, औऱ उसके पीछे उसके 'अपने' ही होते है। अक्सर #अक्सर #yqdidi #yqbaba #roohiwrites
Author Shabdansh
)-अक्सर बेमौत मारी जाती है , इज्जतधारी। तन्हा रह जाती है अक्सर, इक नारी।। अक्सर
writer dream
I am alone अक्सर कुछ सवालों के जवाब पता होते हुवे भी गलत जवाब का सहारा लेना पड़ता है। कुछ चीज़े ना चाहते हुवे भी, छोड़नी पड़ती है। कभी किसी और की गलती की सजा किसी और को ही भुगतनी पड़ती है। अक्सर
Anuraag Bhardwaj
अक्सर मै घिर जाता हूं अपने सवालों में। क्या वो मेरी थी या वहम था मेरा। शिकायते नाराजगी । अच्छी लगती थी उसकी। अचानक हर बात पर । सवालिया निशान करना उसका। एक दम से बोल देना अलविदा। ये सोचने पर मजबूर कर रहा है। दोस्ती, प्यार की बुनियाद क्या है। मेरी नजर में प्यार वो है। जो मुझे, मेरे हालातो को समझे। जवाबदेही जरूरी ना हो। मन में निराशा जरूर है। किसी का बेवजह चले जाना। ज़िन्दगी का फलसफा यूहीं चलता रहेगा मुस्कान का दौर आता रहेगा #अनुराज #अक्सर