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Hashim Bannur | ಹಾಶಿಂ ಬನ್ನೂರು
#jaliyawalabagh ©Hashim Bannur | ಹಾಶಿಂ ಬನ್ನೂರು APRIL 13 Remembering the martyrs who laid down their lives on this day in 1919 JALLIANWALA BAGH MASSACRE DAY #jaliyawalabagh #ಹಾಶಿಂ_ಬನ್ನ
BASANT SHARMA
D.R. divya (Deepa)
इस ऋतु बसंत की आड़ में अगर तुम चाहो तो इक रोज हम भी मिलेंगे, बसंत के असंख्य कुसुमों के बीच दो फूल हम भी खिलेंगे। ये ऋतुराज स्थिर रहे या ना रहे, हम अपनी वस्ल का ये सिलसिला हर मौसम में भी जारी रखेंगे। तुम अगर चाहो तो, मिलकर कुछ गीत भी प्रेम के गुनगुनाते रहेंगे। जिस तरह आकाश घिर जाता है मेघों की ओट से, हम भी उसी भांति प्रणय से घिर जाएंगे। ताउम्र ये हाथ तुम्हारे हाथों में ही रहे , इसलिए इक रोज इसी प्रणय के साथ, परिणय सूत्र में बंध जाएंगे। तुम अगर चाहो तो, इस ऋतु बसंत की आड़ में इक रोज हम भी मिलेंगे ।। ©D.R. divya (Deepa) #Basant #Love #Life #you #Trending
Dr Nutan Sharma Naval
मुक्तक खिल गए पुष्प फिर से बसंत में। सौंधी सी महक फिर से बसंत में। कूके कोकिल भी गुनगुनाती हुई। सब रहे हैं बहक फिर से बसंत में। ©Dr Nutan Sharma Naval #muktak#basant #nutannaval
Saumitra Tiwari
पलाश के वनों का फूलों से खिल जाना आम के बागों का बौर से लद जाना सरसों का पीलापन और बालियों का मुस्काना इसका मतलब है फिर बसंत का आ जाना ----सौमित्र तिवारी ©Saumitra Tiwari #agni #Nature #Basant
Dr Nutan Sharma Naval
मुक्तक खिल गए पुष्प फिर से बसंत में। सौंधी सी महक फिर से बसंत में। कूके कोकिल भी गुनगुनाती हुई। सब रहे हैं बहक फिर से बसंत में। ©Dr Nutan Sharma Naval #मुक्तक_श्रृंखला#basant#nutannaval