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Stories related to 73वें संविधान संशोधन की विशेषताएं

Indian Kanoon In Hindi

52वें संविधान संशोधन पर कानून :-

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White 52वें संविधान संशोधन पर कानून :- 

* राजनीतिक दल-बदल लम्बे समय से भारतीय राजनीति का एक रोग बना हुआ था और 1967 से ही राजनीतिक दल-बदल पर कानूनी रोक (एंटी-डिफेक्शन लॉ) लगाने की बात उठाई जा रही थी। अन्ततोगत्वा आठवीं लोकसभा के चुनावों के बाद 1985 में संसद के दोनों सदनों ने सर्वसम्मति से 52वें अमेंडमेंट विधेयक पारित कर राजनीतिक दल-बदल पर कानूनी रोक लगा दी। इसे संविधान की दसवीं अनुसूची में डाला गया। मोटे तौर पर 52वें संविधान संशोधन के इस विधयेक में निम्न प्रावधान किये गए हैं:-

* निम्न परिस्थितियों में संसद या विधानसभा के सदस्य की सदस्यता समाप्त हो जाएगी – यदि वह स्वेच्छा से अपने दल से त्यागपत्र दे दे। यदि वह अपने दल या उसके द्वारा अधिकृत व्यक्ति की अनुमति के बिना सदन में उसके किसी निर्देश के प्रतिकूल मतदान करे या मतदान में अनुपस्थित रहे। परन्तु यदि 15 दिनों निम्न परिस्थितियों में संसद या विधानसभा के सदस्य की सदस्यता समाप्त हो जाएगी – के अन्दर दल उसे इस उल्लंघन के लिए क्षमा कर दे तो उसकी सदस्यता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

* निम्न परिस्थितियों में संसद या विधानसभा के सदस्य की सदस्यता बनी रहेगी – यदि कोई निर्दलीय निर्वाचित सदस्य किसी राजनीतिक दल में सम्मिलित हो जाये। यदि कोई मनोनीत सदस्य शपथ लेने के बाद 6 माह की अवधि में किसी राजनीतिक दल में सम्मिलित हो जाये। किसी राजनीतिक दल के विलय पर सदस्यता समाप्त नहीं होगी, यदि मूल दल में कम-से-कम 2/3 सांसद/विधायक दल छोड़ दें। यदि लोकसभा/विधानसभा का अध्यक्ष अपना पद छोड़ देता है तो वह अपनी पुरानी में लौट सकता है, इसको दल-बदल नहीं माना जायेगा।

* किसी राजनीतिक दल के विलय की स्थिति को राजनीतिक दल-बदल की सीमा के बाहर रखा गया है। राजनीतिक दल-बदल का कारण राजनीतिक विचारधारा या अन्तःकरण नहीं अपितु सत्ता और पदलोलुपता या अन्य लाभ ही रहे हैं। इस दृष्टि से दल-बदल पर लगाई गई रोक “भारतीय राजनीति को स्वच्छ करने और राजनीति में अनुशासन लाने का एक प्रयत्न” ही कहा जा सकता है। वस्तुतः इस कानून में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और दलीय अनुशासन के बीच संतुलित सामंजस्य बैठाया गया है।

* दल-बदल (एंटी-डिफेक्शन) को रोकने की दिशा में यह विधेयक एक शुरुआत ही माना जा सकता है। दल-बदल की स्थिति के पूरे निराकरण के लिए और बहुत कुछ अधिक करना पड़ेगा। राजनीतिक नैतिकता ही इस स्थिति का पूर्ण निराकरण हो सकती है।

©Indian Kanoon In Hindi 52वें संविधान संशोधन पर कानून :-

Niranjan Yadav

#Thinking "मोर की अनोखी विशेषताएं | क्यों है भारत का राष्ट्रीय पक्षी?"

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White 1. मोर का सांस्कृतिक महत्व:

प्राचीन भारतीय ग्रंथों और पौराणिक कथाओं में मोर का जिक्र।

भगवान कृष्ण के मुकुट पर मोरपंख का महत्व।

मोर को देवी सरस्वती और कार्तिकेय से भी जोड़ा जाता है।



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2. मोर की विशेषताएं:

मोर के पंखों में मौजूद इंद्रधनुषी रंग कैसे प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होते हैं।

नर मोर कैसे नृत्य करके मादा को आकर्षित करता है।

मोर की आवाज और उनका जीवनचक्र।



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3. मोर का ऐतिहासिक महत्व:

मौर्य साम्राज्य (चंद्रगुप्त मौर्य) का प्रतीक भी मोर था।

1963 में मोर को भारत का राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया।



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4. मोर और पर्यावरण:

मोर पर्यावरण में कैसे योगदान देते हैं।

मोर को संरक्षित रखने के लिए भारत में बनाए गए कानून।



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5. रोचक तथ्य:

क्या आप जानते हैं कि मोर विषैले सांपों को भी मार सकता है?

मोर के पंखों का उपयोग प्राचीन समय से सजावट और धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता रहा है।



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वीडियो में शामिल करने के लिए सुझाव:

वीडियो में मोर की क्लिप्स (आप फ्री स्टॉक वीडियो वेबसाइट्स से ले सकते हैं)।

एक पृष्ठभूमि संगीत जो भारतीय संस्कृति को दर्शाए।

कहानी या तथ्य बताते समय आपका वॉइसओवर।

आखिर में दर्शकों से जुड़ने के लिए एक सवाल: “क्या आप जानते हैं कि मोर बारिश के मौसम में क्यों ज्यादा नृत्य करते हैं? अपने जवाब कमेंट में बताएं!”



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टाइटल सुझाव:

"मोर: भारत का राष्ट्रीय पक्षी क्यों?"

"मोर की रहस्यमय दुनिया | भारत का गौरवशाली पक्षी"

"मोर और उसकी कहानियां | जानिए अनसुनी बातें"

©Niranjan Yadav #Thinking "मोर की अनोखी विशेषताएं | क्यों है भारत का राष्ट्रीय पक्षी?"

Indian Kanoon In Hindi

नागरिकता संशोधन विधेयक :-

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White नागरिकता संशोधन विधेयक :- 

* केंद्र सरकार के एक विधेयक (The Citizenship (Amendment) Bill, 2016) को लेकर असम में तरह-तरह के अनुमान लगाये जा रहे हैं और इस विधेयक का नाम है नागरिकता संशोधन विधेयक। 

* केंद्र सरकार ने 2016 में एक ऐसा विधेयक लाया जिसको लेकर असम में सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है ये विधेयक है नागरिकता संशोधन विधेयक 2016।

* इस विधेयक में कुछ प्रावधान ऐसे हैं जो NRC में नाम दर्ज कराने के नियमों से मेल नहीं खाते।

* हालाँकि विधेयक अभी संसद से पारित नहीं हुआ है लेकिन इसे लेकर कई तरह के कयास लगाये जा रहे हैं।

* 19 जुलाई, 2016 को गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने यह विधेयक लोक सभा में पेश किया।

* विधेयक के जरिये नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन किया जायेगा।

* विधेयक में नागरिकता हासिल करने के प्रावधानों में संशोधन करने का प्रावधान है।

* नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 में अवैध प्रवासी उन्हें माना गया है जो गैर-पासपोर्ट के बिना भारत में प्रवेश करता है या फिर स्वीकृत समय से ज्यादा दिनों बाद भी भारत में रहता है।

* इसमें कुछ समूहों का जिक्र किया गया है जिनके साथ अवैध प्रवासियों की तरह व्यवहार नहीं किया जायेगा।

* विधयेक में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेशी हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसियों और ईसाइयों के लिए ख़ास प्रावधान किये गए हैं। ये लोग अगर 6 साल से भारत में रह रहे हैं तो नागरिकता के लिए दावेदारी पेश कर सकते हैं।

* अन्य लोगों के लिए यह अवधि 11 साल है।

* विधेयक के इस प्रावधान को लेकर असम में काफी विवाद हो रहा है. असम के कई राजनैतिक समूहों का कहना है कि केंद्र सरकार की इस विधेयक और NRC के तहत नागरिकता के प्रावधानों में टकराव है. मौजूदा कानून के तहत 24 मार्च, 1971 से पहले भारत आये विदेशियों को ही NRC में जगह दी जा सकती है. लेकिन यदि केंद्र सरकार का नागरिकता संशोधन विधेयक पारित हो गया तो बांग्लादेश से आने वाले गैर-मुस्लिम 6 साल में ही नागरिकता के दावेदार हो जायेंगे।

©Indian Kanoon In Hindi नागरिकता संशोधन विधेयक :-

Vijay Vidrohi

26 January संविधान निर्माता डॉक्टर बी आर अंबेडकर quotes on life motivational quotes in hindi

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जय भीम जय संविधान

©Vijay Vidrohi 26 January 
संविधान निर्माता डॉक्टर बी आर अंबेडकर quotes on life motivational quotes in hindi

Indian Kanoon In Hindi

52वें संविधान संशोधन पर कानून

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White 52वें संविधान संशोधन पर कानून :- 

* राजनीतिक दल-बदल लम्बे समय से भारतीय राजनीति का एक रोग बना हुआ था और 1967 से ही राजनीतिक दल-बदल पर कानूनी रोक (एंटी-डिफेक्शन लॉ) लगाने की बात उठाई जा रही थी। अन्ततोगत्वा आठवीं लोकसभा के चुनावों के बाद 1985 में संसद के दोनों सदनों ने सर्वसम्मति से 52वें अमेंडमेंट विधेयक पारित कर राजनीतिक दल-बदल पर कानूनी रोक लगा दी। इसे संविधान की दसवीं अनुसूची में डाला गया। मोटे तौर पर 52वें संविधान संशोधन के इस विधयेक में निम्न प्रावधान किये गए हैं:-

* निम्न परिस्थितियों में संसद या विधानसभा के सदस्य की सदस्यता समाप्त हो जाएगी – यदि वह स्वेच्छा से अपने दल से त्यागपत्र दे दे। यदि वह अपने दल या उसके द्वारा अधिकृत व्यक्ति की अनुमति के बिना सदन में उसके किसी निर्देश के प्रतिकूल मतदान करे या मतदान में अनुपस्थित रहे। परन्तु यदि 15 दिनों निम्न परिस्थितियों में संसद या विधानसभा के सदस्य की सदस्यता समाप्त हो जाएगी – के अन्दर दल उसे इस उल्लंघन के लिए क्षमा कर दे तो उसकी सदस्यता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

* निम्न परिस्थितियों में संसद या विधानसभा के सदस्य की सदस्यता बनी रहेगी – यदि कोई निर्दलीय निर्वाचित सदस्य किसी राजनीतिक दल में सम्मिलित हो जाये। यदि कोई मनोनीत सदस्य शपथ लेने के बाद 6 माह की अवधि में किसी राजनीतिक दल में सम्मिलित हो जाये। किसी राजनीतिक दल के विलय पर सदस्यता समाप्त नहीं होगी, यदि मूल दल में कम-से-कम 2/3 सांसद/विधायक दल छोड़ दें। यदि लोकसभा/विधानसभा का अध्यक्ष अपना पद छोड़ देता है तो वह अपनी पुरानी में लौट सकता है, इसको दल-बदल नहीं माना जायेगा।

* किसी राजनीतिक दल के विलय की स्थिति को राजनीतिक दल-बदल की सीमा के बाहर रखा गया है। राजनीतिक दल-बदल का कारण राजनीतिक विचारधारा या अन्तःकरण नहीं अपितु सत्ता और पदलोलुपता या अन्य लाभ ही रहे हैं। इस दृष्टि से दल-बदल पर लगाई गई रोक “भारतीय राजनीति को स्वच्छ करने और राजनीति में अनुशासन लाने का एक प्रयत्न” ही कहा जा सकता है। वस्तुतः इस कानून में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और दलीय अनुशासन के बीच संतुलित सामंजस्य बैठाया गया है।

* दल-बदल (एंटी-डिफेक्शन) को रोकने की दिशा में यह विधेयक एक शुरुआत ही माना जा सकता है। दल-बदल की स्थिति के पूरे निराकरण के लिए और बहुत कुछ अधिक करना पड़ेगा। राजनीतिक नैतिकता ही इस स्थिति का पूर्ण निराकरण हो सकती है।

©Indian Kanoon In Hindi 52वें संविधान संशोधन पर कानून

Shailendra Anand

Hinduism््देशभक्तिऔर संविधान में न्याय निष्ठा ही मानव धर्म कर्म है ्् कवि शैलेंद्र आनंद

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अदनासा-

#भारत #देश #लोकतंत्र #संविधान #ईवीएम #बैलेटपेपर #RadheGovinda #Instagram #Facebook #अदनासा नये अच्छे विचार आज शुभ विचार 'अच्छे विचार' अनम

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komal borkar

#sad_quotes संविधान दिवस

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White संविधान 

अंधारच होता नशिबी आमच्या
संविधान देऊन परिवर्तित केलं भीमानं, 
जेव्हा माणूस माणसांचा गुलाम होता, तेव्हा
समानतेचा हक्क  देऊन, गुलामी दुर केली संविधानानं. 


चुल आणि मुलंच आमचं अस्तित्व म्हणत
50टक्के आरक्षण देऊन साक्षर केलं स्त्रीयांना, 
पतिच्या संपत्तीत समान वाटा देऊन
सन्मानाने जगण्याचा अधिकार दिला संविधानानं. 


आरक्षन देऊन अठरा पगळ जातिला 
बळकट बनवलं इथल्या बहुजनांना, 
स्वातंत्र्य देऊन इथल्या भारतीयांना
सुट-बुटात आणलं संविधानानं. 


प्रसुती रजा देऊन मातेला
गर्भातल्या बाळाची काळजी घेतलं संविधानानं, 
जन्मताच हक्क प्रदान करून
भारतीय होण्याचा सन्मान मिळाला संविधानानं.

©komal borkar #sad_quotes संविधान दिवस

KUMARI USHA AMBEDKAR

संविधान दिवस

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Parasram Arora

संविधान बदिवस

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White संविधान  दिवस


इंसानियत  का  भाव
ही 
संवेधानिक  मूल्यों का 
सन्देश है

©Parasram Arora संविधान बदिवस
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