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Prakash writer05
White मैंने देखा है first Priority से लेकर Ignore होने तक का सफर.... तुम मेरे सब कुछ हो से लेकर.... तुम होते कौन हो, तक का सफर....👈 तुम्हारी बातें बहुत अच्छी लगती है से लेकर... "तुम मुझे distrub करते हो" तक का सफर ...💔💔 ©Prakash writer05 #love_shayari मैंने देखा है first Priority से लेकर Ignore होने तक का सफर.... तुम मेरे सब कुछ हो से लेकर.... तुम होते कौन हो, तक का सफर....👈
#love_shayari मैंने देखा है first Priority से लेकर Ignore होने तक का सफर.... तुम मेरे सब कुछ हो से लेकर.... तुम होते कौन हो, तक का सफर....👈
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी जोश और उमंग ठंडी पड़ती आवारापन में घुटते है अव्यस्थाओ की मंडी में भविष्य युवाओं के तड़पते है शिक्षा दीक्षा लेकर भी भटकन रहती हुनरों की ना कीमत है गला घोटती सियासतें इनका अपराधों की ओर ढकेलती है छोटे रोजगार व्यवसाय पर पेशेवर उतर आये युवाओं का इस्तेमाल पत्थरबाज चुनावी हथियार के रूप में करती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Dosti शिक्षा दीक्षा लेकर भी भटकन है
#Dosti शिक्षा दीक्षा लेकर भी भटकन है
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White लोगों के फरेबी चेहरे देख कर, जज़्बातों से रिस रहा हूँ , दिल और दिमाग की इस रस्साकशी में, मैं पिस रहा हूँ ...!!!! ©हिमांशु Kulshreshtha लोगों के
लोगों के
read moreGhanshyam Ratre
जंगल उपवन के छेड़छाड़ पेड़ -पौधों की कटाई कर रहें हैं। वन्य प्राणी पशु-पक्षियों का जीवन संकटों से प्रभावित हो रहें हैं।। जंगल में रहने वाले पशु-पक्षियां गांवों- शहरों में आ रहें हैं। खेती-बाड़ी फसल को उजाड़ कर बर्बाद कर रहे हैं।। ©Ghanshyam Ratre जंगलों के पशुओं पक्षियों के जीवन
जंगलों के पशुओं पक्षियों के जीवन
read morePrakash writer05
White मैं बेचना चाहती हूँ, बस माला के मनके , पर यहाँ आये हैं , सब लोग अलग-अलग मन के , इन्हें कहाँ खरीदने हैं , मेरी माला के मनके , ये निहारना चाहते हैं , मेरे नयनों के मनके , कोई बस मेरी , तस्वीर लेना चाहता है , कोई मुझ से अपनी , दिल की बातें कहना चाहता है , पर जो मैं बेच रही हूँ , उसके ख़रीददार कम हैं , अब इस दुनियां में , इज्जतदार कम हैं ! ©Prakash writer05 Monalisa मैं बेचना चाहती हूँ, बस माला के मनके , पर यहाँ आये हैं , सब लोग अलग-अलग मन के , इन्हें कहाँ खरीदने हैं , मेरी माला के मनके , ये नि
Monalisa मैं बेचना चाहती हूँ, बस माला के मनके , पर यहाँ आये हैं , सब लोग अलग-अलग मन के , इन्हें कहाँ खरीदने हैं , मेरी माला के मनके , ये नि
read moreBANDHETIYA OFFICIAL
White होंगे औजार और कोई अपनी जीत के, हम तो अपनी हार के हथियार हैं। माला मृतक की बड़ी तस्वीर पे, हार मेरे गले वही फूल ,हार हैं। ©BANDHETIYA OFFICIAL #GoodNight #माला
Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी आहे जमाने की लेकर फलफूल रहा था मुठ्ठी में दुनियाँ को लेकर छल बल से डॉलर हड़प रहा था आग लगाकर देशों में मानवता कलंकित कर रहा था बीमारियो का नाम देकर दवाओं का पेटेंट ले रहा था लाशो पर कारोबार करके इराक ईरान यूक्रेन को बर्बाद कर रहा था आज आका की सारी कूटनीति धरी रह गयी है जब खुद झुलसे आग में, मंजर उसके शहर में ही प्रकृति द्वारा नाकासाकी का दोहराया जा रहा है बर्बादी देखकर धरे है हाथों पर हाथ टेक्नोलॉजी का भूत उतरा जा रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #GoodMorning आहे जमाने की लेकर फल फूल रहा था
#GoodMorning आहे जमाने की लेकर फल फूल रहा था
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी आहे जमाने की लेकर फलफूल रहा था मुठ्ठी में दुनियाँ को लेकर छल बल से डॉलर हड़प रहा था आग लगाकर देशों में मानवता कलंकित कर रहा था बीमारियो का नाम देकर दवाओं का पेटेंट ले रहा था लाशो पर कारोबार करके इराक ईरान यूक्रेन को बर्बाद कर रहा था आज आका की सारी कूटनीति धरी रह गयी है जब खुद झुलसे आग में, मंजर उसके शहर में ही प्रकृति द्वारा नाकासाकी का दोहराया जा रहा है बर्बादी देखकर धरे है हाथों पर हाथ टेक्नोलॉजी का भूत उतरा जा रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sad_quotes आहे जमाने की लेकर फल फूल रहा था
#sad_quotes आहे जमाने की लेकर फल फूल रहा था
read moreF M POETRY
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset समंदर के किनारे आ के अक्सर बैठ जाता हूँ.. सुना है दिल के दर्द-ओ-ग़म समंदर सोख लेता है.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #समंदर के किनारे आ के अक्सर..
#समंदर के किनारे आ के अक्सर..
read moreबेजुबान शायर shivkumar
बुरे वक़्त मे ये सोचकर संभल जाती हु के रब है मेरे साथ, मगर कभी कभी कुछ यादो से बिखर जाती हु, अब उन बिखरे जज़्बातों को लेकर कहाँ जाऊँ मै जानती हु के कोई हमेशा के लिए साथ नहीं रहता, ना ही कोई हमेशा साथ देता है, फिर भी पता नहीं क्यों सबसे उमीदें रहती अब उन उम्मीदों को लेकर कहाँ जाऊँ मै जो अपने नहीं हैं उनके दिए जख्म भूल जाती हु, अपनों के दिए ज़ख्मो पर मुस्कुराहटो का महरम लगाती हु मगर कभी कभी ये आँखें साथ नहीं देती अब इन भीगी पलकों को लेकर कहाँ जाऊँ मै ©बेजुबान शायर shivkumar बुरे वक़्त मे ये सोचकर #संभल जाती हु के रब है मेरे साथ, मगर कभी कभी कुछ #यादों से बिखर जाती हु, अब उन बिखरे #जज़्बातों को लेकर कहाँ जाऊँ
बुरे वक़्त मे ये सोचकर संभल जाती हु के रब है मेरे साथ, मगर कभी कभी कुछ यादों से बिखर जाती हु, अब उन बिखरे जज़्बातों को लेकर कहाँ जाऊँ
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