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Bharat Bhushan pathak
White क्षमा,दया,तप,त्याग,मनोबल, बस भारत की सीख यही। करना मेहनत पसन्द हमें ,सुनें कभी भी भीख नहीं।। क्षमा,दया जो हमको प्यारा, दुर्बल हम हैं मत समझें । प्रीत करें हम सबसे पर जी,अवसर पर घातक समझें।। ©Bharat Bhushan pathak #VoteForIndia क्षमा,दया,तप,त्याग,मनोबल, बस भारत की सीख यही। करना मेहनत पसन्द हमें ,सुनें कभी भी भीख नहीं।। क्षमा,दया जो हमको प्यारा, दुर्ब
Ghumnam Gautam
प्रीत पुनीत बड़ी मगर, समझी जाए पाप जाने किस युग प्रीत को, दिया गया यह शाप ©Ghumnam Gautam #प्रीत #पाप #शाप #दोहा #ghumnamgautam
Lotus Mali
........................................... ©Lotus Mali असेल मी नसेल मी तरीही तुझ्यात दिसेल मी ही प्रीत नाही फक्त माझी - तुझी हे नाते जुडलेले आहे आत्म्याचे आत्म्याशी -LotusMali https://lotussha
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
लेकर हाथ गुलाल में , चला लगाने रंग । आ जायें जो सामने , लगा उन्हें लें अंग ।। रंग छुपाये हैं सभी , देख हाथ में ग्वाल । अब बचकर चलना सखी , छुपे नन्द के लाल ।। हो जाओगी अप्सरा , अगर रंग दूँ डाल । गोरे-काले गाल ये , हो जायेंगे लाल ।। भर पिचकारी मार दूँ , जब मैं प्रीत फुहार । आकर दोगी बोल तुम , हमको तुमसे प्यार ।। आज प्रीत के रंग का , चढ़ा सभी को रंग । जीजा साली झूमते , देखो पीकर भंग ।। १५/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लेकर हाथ गुलाल में , चला लगाने रंग । आ जायें जो सामने , लगा उन्हें लें अंग ।। रंग छुपाये हैं सभी , देख हाथ में ग्वाल ।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मनहरण घनाक्षरी:- प्रेम के ही फूल खिले , आओ आप हम मिले , देख फिर तो होली में , प्रीत ही गुलाल है । भूल नहीं आप जाना, कहीं भी हो चले आना, कौन जाने किसका ये , आखिरी ही साल है । पिछली बार होली का , मेरे ही हमजोली का , देख यह पास मेरे , आज भी रुमाल है । स्वप्नों में आयेगा वह , दूर न जायेगा वह , प्रीत में आज भी वह , करता कमाल है ।। २५/०३/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी:- प्रेम के ही फूल खिले , आओ आप हम मिले , देख फिर तो होली में , प्रीत ही गुलाल है । भूल नहीं आप जाना, कहीं भी हो चले आना, कौन
Pushpvritiya
अश्रु सुनियो धीरज धरना, प्रेम कठिन पर पार उतरना | पग-पग काँटें हैं यह माना, मेल विरह का ताना-बाना || हर ले मन की दुविधा सारी, आशा ज्योत जलाकर न्यारी | बाँधी है जब नेहा ऐसी , भय शंका तब बोलो कैसी || @पुष्पवृतियाँ . . ©Pushpvritiya #चौपाई अश्रु सुनियो धीरज धरना, प्रेम कठिन पर पार उतरना | पग-पग काँटें हैं यह माना, मेल विरह का ताना-बाना ||
Poet Kuldeep Singh Ruhela
खेल रहे हैं होली देखो मेरे कान्हा रंग तोहे में अपनी प्रीत का लगाऊंगी तेरे ही मनमोहन रंग में रम जाऊंगी अब के बरस तुमरे संग ही मेरे प्यारे रंग रशियां में होली मनाऊंगी ! ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #Holi खेल रहे हैं होली देखो मेरे कान्हा रंग तोहे में अपनी प्रीत का लगाऊंगी तेरे ही मनमोहन रंग में रम जाऊंगी अब के बरस तुमरे संग ही मेरे प्
Rameshkumar Mehra Mehra
सुनो साबरियां........... भेजना तुम इस बार फाल्गुन में.......! एक रंग जिसमें सजा सकूं......! ! तुम्हारी प्रीत को अपने माथे पै......!!! दूसरा रंग जो मेरे गालों को हया से सुर्ख लाल कर जाए.......!!!! तीसरा जो मेरे अधरों पर हमेशा...!!!!! तुम्हारा प्रेम सजाये..... गुमनाम..... ©Rameshkumar Mehra Mehra # भेजना तुम इस बार फाल्गुन में एक रंग जिसमें सजा सकूं तुम्हारी प्रीत कों ,अपनें माथे पर दूसरा रंग जो मेरे गालों को हटा से सुर्ख लाल कर जाए..
purnima
नारी प्रीत मैं राधा बने गृहस्ती मैं बने जानकी !! काली बनके शीश काटे जब बात हो सम्मान की !! ©purnima नारी प्रीत मैं राधा बने गृहस्ती मैं बने जानकी !! काली बनके शीश काटे जब बात हो सम्मान की !!