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نمیش
गहराई कहाँ से पिन्हाँ होगी मेरी निगहों मैं वक्त ही कहाँ क़दमो को चलने सारी राहों मैं पिन्हाँ hidden
Vishal Vaid
अगर अपनी कहानी चाहिए थी तुम्हे आवाज़ उठानी चाहिए थी जलाये खत तो मैंने राख उठाई तुम्हारी इक निशानी चाहिए थी बरी, मुजरिम को फिर से कर दिया है सजा कुछ तो सुनानी चाहिए थी जो ये तलवारें ले कर चल रहे है दवा उनको लगानी चाहिए थी ग़ज़ल में लहज़ा आना लाज़िमी था ज़ुबाँ हिन्दोस्तानी चाहिए थी बहर में कहना ही काफी नहीं है ग़ज़ल भी पुर-मआनी चाहिए थी ये ज़ख्म ए पिन्हाँ भर भी सकते थे 'अंश' तिरी शीरी-ज़बानी चाहिए थी 1222 1222 122 ग़लतियों से ज़रूर अवगत कराएं पुर मआनी --- अर्थ से भरी हुई ज़ख्म ए पिन्हाँ -- छिपे हुए घाव/ प्यार के घाव शीरी-ज़बानी --- मीठी बोली
Parastish
शराब जैसी हैं उसकी आँखें, है उसका चेहरा किताब जैसा बहार उस की हसीं तबस्सुम, वो इक शगुफ़्ता गुलाब जैसा वो ज़ौक़-ए-पिन्हाँ, वो सबसे वाहिद, वो एक इज़्ज़त-मआब जैसा वो रंग-ए-महफ़िल, वो नौ बहाराँ, वो नख़-ब-नख़ है नवाब जैसा उदास दिल की है सरख़ुशी वो, वो ज़िन्दगी के सवाब जैसा वो मेरी बंजर सी दिल ज़मीं पर, बरसता है कुछ सहाब जैसा कभी लगे माहताब मुझ को, कभी लगे आफ़ताब जैसा हक़ीक़तों की तो बात छोड़ो, वो ख़्वाब में भी है ख़्वाब जैसा न वो शफ़क़ सा, न बर्ग-ए-गुल सा, न रंग वो लाल-ए-नाब जैसा जुदा जहां का वो रंग सबसे, है उसके लब का शहाब जैसा उसी से शेर-ओ-सुख़न हैं मेरे, उसी से तख़्लीक़ मेरी सारी वो अक्स-ए-रू है मेरी ग़ज़ल का, मेरे तसव्वुर के बाब जैसा ©Parastish शगुफ़्ता - cheerful ज़ौक़-ए-पिन्हाँ - hidden desire वाहिद - unique इज़्ज़त-मआब- most esteemed; respected नख़-ब-नख़ - row by row, line by l
Deepak Shah (Sw. Atmo Deep)
दिल दिया, दीं दिया वक़्त दिया, जाँ दी हर एक हसरत ज़ाहिर और पिन्हाँ दी, जो भी मिलता है गिरहा में, अब भी, लुटाते चलते हैं, और! दिल कहता है, लुटाता चल! बचा कर कहीं न हो जाए ख़सारा तेरे इश्क़ से ही खुलते जाते हैं इश्क़ के हज़ार रंग, इक बार हुआ तो होता ही जाऐ हर रंग में नया है इश्क़! इश्क़ में होता नहीं, दोबारा! दीं = दीन/ धर्म। जाँ = जान। हसरत = इच्छा। ज़ाहिर = व्यक्त। पिन्हाँ = छिपी हुई। गिरहा = गाँठ/ जेब। ख़सारा = घाटा। #NojotoVideo #shah #कहकशाँ #
ashutosh anjan
इक तस्वीर तमाम उम्र नज़रों में चलती रही, सांसें चल रही है मग़र बर्फ़ सी गलती रही। भोली सूरत और पिन्हाँ उनकी एक मुस्कान, महकाती रही मन को शाम सी ढ़लती रही। जाने ख़्वाब थे या रंगीन हक़ीक़त के फ़सानें, आशु ख़्यालों में मग़र नई दास्ताँ चलती रही। (पिन्हाँ-छुपी हुई) 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को प
Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
दिल सोज़ से ख़ाली है निगह पाक नहीं है अल्लामा इक़बाल ( पूरी ग़ज़ल अनुशीर्षक में पढ़ें ) #NojotoQuote Allama Iqbal Ghazal दिल सोज़ से ख़ाली है निगह पाक नहीं है फिर इस में अजब क्या कि तू बेबाक नहीं है है ज़ौक़-ए-तजल्ली भी इसी ख़ाक में पिन्
Jiya Wajil khan
Shravan Goud
जब जीवन में यास आती है तो सब कुछ पराया लगने लगता है, समय के अनुसार फिर आस जगती है इंसान फिर अपनी जिंदगी को संवारने लगता है, यही तो जीवन चक्र है। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "यास" "yaas" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है निराशा, निराश एवं अंग्रेजी में अर्थ होता
R Dubey
से अपना अब याराना सा लगता है साथ इसका ही अब मुझे पुराना सा लगता है कोई ठहरता नही है कोई करीब मेरे मिले खुद से भी मुझे अब जमाना सा लगता है ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "यास" "yaas" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है निराशा, निराश एवं अंग्रेजी में अर्थ होता
Vedantika
यास है निगाह में उसके, खुशियों की महफ़िल में, मंज़र-ए-उदासी ही उसकी नज़रों के लिए आम हैं। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "यास" "yaas" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है निराशा, निराश एवं अंग्रेजी में अर्थ होता