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F M POETRY
Unsplash ज़िन्दगी उलझी हुई पहेली है.. कैसे हल होगी ये मालूम नहीं.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #ज़िन्दगी उलझी हुई.....
#ज़िन्दगी उलझी हुई.....
read moreParasram Arora
White हवाए तों अभी भी अपनी शालीन गति से बह रहीं है इसके बावजूद उसकी साँसे रुकी हुई दिख रहीं है हो सकता है वो आदमी इतने लम्बे अर्से से साँसे लेते लेते थक गया हो और अब वो एक लम्बी नींद लेकर अपनी उस थकान को विश्रान देने की कोशिश कर रहा हो ©Parasram Arora रुकी हुई साँसे
रुकी हुई साँसे
read moreneelu
White होने में सिर्फ दो लोग शामिल होते हैं नहीं होने में चार लोग शामिल होते हैं यह क्या बात हुई ©neelu #sad_quotes #यही_तो_ज़िंदगी_है #क्या_कहेंगे_लोग #बात_बस_इतनी_सी_है हुई
#sad_quotes #यही_तो_ज़िंदगी_है #क्या_कहेंगे_लोग #बात_बस_इतनी_सी_है हुई
read moreShashi Bhushan Mishra
बे-दखल चाहत हुई है, भावना आहत हुई है, प्रेम का मरहम लगाया, तब कहीं राहत हुई है, बेवज़ह बेचैन हो मन, समझ लो उल्फ़त हुई है, देखता हरबार मुड़कर, जब कोई आहट हुई है, ध्यान में बैठे हो जबसे, फिर कहां फ़ुर्सत हुई है, हो मनोरथ सिद्ध अपना, ऐसी कब किस्मत हुई है, मुस्कुराकर भूल जाना, अपनी तो आदत हुई है, याद तड़पाती है 'गुंजन', घर गये मुद्दत हुई है, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #बे-दखल चाहत हुई है#
#बे-दखल चाहत हुई है#
read moreनवनीत ठाकुर
White तेरी अदाओं से जो लिखी थी मोहब्बत की दास्तां, आज उसी किताब का अधूरा पन्ना याद आया। तेरी पलकों की स्याही से जो लिखे थे जज़्बात, उन ख्वाबों का सिमटा हुआ फसाना याद आया। तेरे लम्स की तपिश में जो पिघला था वजूद, वो टूटते सितारों का सुहाना गुमां याद आया। तेरी जुल्फों में छुपा था जो शाम का सुकून, आज उसी ढलते सूरज का अंजुमन याद आया। तेरी बातों के फूल जो खिलते थे चमन में, उनकी खुशबू का बिखरा हर जाम याद आया। तेरा नाम जुबां पर आते ही रोशन हुए, हर उस हसीन पल का गुलिस्तां याद आया। हुस्न की महफ़िल में जब तेरे हुस्न का ज़िक्र हुआ, जैसे वीरानों में किसी का सलाम याद आया। तेरे दीदार की हसरत में जो गुज़रे थे लम्हे, उन लम्हों का हर अधूरा ख्वाब याद आया।"** ©नवनीत ठाकुर #हुस्न की चर्चा हुई और तेरा नाम याद आया
#हुस्न की चर्चा हुई और तेरा नाम याद आया
read moreAvinash Jha
White चलता है वो अंधेरी गलियों में, जहां सन्नाटा कहानियां बुनता है। हर कदम पर छिपी है चुभन, जैसे ज़िंदगी सवाल करती है। आंखों में सपनों का शोर था कभी, अब वहां सन्नाटे का बसेरा है। दिल के कोने में कहीं, अधूरी ख्वाहिशों का डेरा है। वक्त जैसे थम गया हो, पर घड़ी चलती है बेहिसाब। उसकी हर सांस, हर धड़कन, सिर्फ जवाब ढूंढती है बेहाल। हर दर्द को पीछे छोड़ने की चाह, पर दर्द उसके साथ चलता है। हर खुशी से दूरी बनाने की राह, पर अकेलापन उसके पास पलता है। फिजाओं में भटकती उसकी सोचें, खुद से खुद को छुपाने की कोशिश। हंसी के पीछे छिपा सूनापन, जैसे आईना भी उसका सच नहीं कहता। राह कहां है, वो नहीं जानता, बस चलता है, अपने साये के साथ। जाने किस मंज़िल की तलाश में, वो खुद से ही भागता जाता है। ©Avinash Jha #good_night #धुंधली