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Parul Sharma

भीड़  
भीड़ जब किसी विन्यास में व्यवस्थित हो जाती हैं 
तो एक श्रृंखला बन जाती है।
श्रृंखला आकृति की 
श्रृंखला शब्दों की 
श्रृंखला रिश्तों की 
श्रृंखला आंदोलनों की 
जो दिशात्मक है, सृजनात्मक है।
पर इसके लिए एकीकृत होना होगा 
किसी निमित्त के निबद्ध होना होगा 
इसका मतलब ये नहीं कि तुम परतंत्र हो गये
या फिर भीड़ में खो गये।
भीड़ में खो जाने से भयभीत न हो!
क्यूँ कि रह किसी का 
अपना- अपना व्यक्तित्व है अस्तित्व है ।
इसलिए हरेक खुद में पृथक है और सशक्त है ।
तो भीड़ का हिस्सा बनो, खुद व्यवस्थित हो इसे व्यवस्थित करो।
पारुल शर्मा #भीड़ जब किसी #विन्यास में व्यवस्थित हो जाती हैं 
तो एक #श्रृंखला बन जाती है।
श्रृंखला #आकृति की 
श्रृंखला #शब्दों की 
श्रृंखला रिश्तों की

Dr Jayanti Pandey

गांव योग है, जीवन है, संतोष है। शहर भोग है ,जीविका है कुछ और पा लूं का रोग है। गांव समायोजित है, समर्पित है,एकीकृत है। शहर अति नियोजित है,आत

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चलो हम भी शहर को थोड़ा गांव बनाते हैं,
अपने अपने जीवन में कुछ गंवई हो जाते हैं।
# जयन्ती


(Read full piece in the caption) गांव
योग है, जीवन है, संतोष है।
शहर
भोग है ,जीविका है कुछ और पा लूं का रोग है।
गांव
समायोजित है, समर्पित है,एकीकृत है।
शहर
अति नियोजित है,आत

परवाज़ हाज़िर ........

World Social Justice Day हर साल 20 फरवरी को सामाजिक न्याय दिवस मनाया जाता है #Mythology

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साहस का तब तक कोई मूल्य नहीं है 
जब तक न्याय के साथ न हो,
 फिर भी यदि सभी लोग न्यायपूर्ण बन जाते हैं, 
तो साहस की कोई आवश्यकता नहीं होगी ।

©G0V!ND DHAkAD World Social Justice Day




हर साल 20 फरवरी को सामाजिक न्याय दिवस मनाया जाता है

समीक्षा "एक प्रारम्भ"

नित हार के माथे नवल मैं जीत लिखती हूँ, आंसूँ को पोंछ मधुरमय संगीत लिखती हूँ ...|| रण-भूमि से भागूँ ? सुनो,कायर नहीं हूँ मैं, निज-राष्ट्र की #समीक्षा

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नित हार के माथे नवल मैं जीत लिखती हूँ,
आंसूँ को पोंछ मधुरमय संगीत लिखती हूँ ...||
रण-भूमि से भागूँ ? सुनो,कायर नहीं हूँ मैं,
निज-राष्ट्र की अपने हृदय में प्रीत लिखती हूँ ...||

भू-खण्ड-खण्ड भाग का फिर एक अंग हो,
शत्रुघ्न बनके अरि का अब मुण्ड-मण्ड हो,
हो उदित हिम केसरी, मन-प्रण प्रचण्ड हो,
सीमा परे कुकृत्य पर अविस्मर्ण्य दण्ड हो ,
जीवन्त हों निर्मोही मन ये अपेक्षा रखकर ,
मस्तक-पटल पर केसरी मनमीत लिखती हूँ ...||
निज राष्ट्र की अपने हृदय में प्रीत लिखती हूँ ...||

हम उन वीरों के अनुज, कबन्ध जिनके लड़ते थे,
बरछी-बाण-कोदंड-कटारी से ना तनिक डरते थे ,
रण में धड़ ही दुश्मन को कर चीर अलग करते थे,
लिए एक-लिंग शपथ स्व-जननी पर मर-मिटते थे,
धन-यश लोलुपता को त्यागो राष्ट्र-उदय हो लक्ष्य,
यूँ एकीकृत भारत की नव-विजय रीत लिखती हूँ ...||
निज  राष्ट्र की  अपने  हृदय  में  प्रीत  लिखती  हूँ ...||

उठो वीर ! अब सजग बनो, वरना संताप करोगे ,
समर-भूमि  से  यदि  डरे  फिर  पश्चाताप करोगे ,
प्रतिदिन कुछभी खोने का कब तक आलाप करोगे,
अभी रहे  यदि सुप्त-अस्थिर फिर से पाप करोगे,
हम हों विजित प्रति ग्रीष्म-वर्षा-शीत लिखती  हूँ ,
हृय  बंधुत्त्व  संजोये  कर्त्तव्य - गीत   लिखती  हूँ ...||
निज राष्ट्र की  अपने  हृदय  में  प्रीत  लिखती  हूँ ...||

#समीक्षा"एक प्रारम्भ" ©®
नाथ-नगरी , बरेली,उ.प्र., भारतवर्ष नित हार के माथे नवल मैं जीत लिखती हूँ,
आंसूँ को पोंछ मधुरमय संगीत लिखती हूँ ...||
रण-भूमि से भागूँ ? सुनो,कायर नहीं हूँ मैं,
निज-राष्ट्र की

Bhaskar Anand

ये जो उदघोषित स्वप्न थे पन्नों पर एक एक कर के स्याह काली,शब्दों तक सीमित रह गई जो मायने थे समन्धित वाक्यों के वो अन्तर्विरोधों में ढह गए आज #Poetry

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ये जो उदघोषित स्वप्न थे पन्नों पर
एक एक कर के स्याह काली,शब्दों तक सीमित रह गई
जो मायने थे समन्धित वाक्यों के
वो अन्तर्विरोधों में ढह गए
आज

Divyanshu Pathak

💕🍫🐰हरे कृष्णा🦃🐿☕☕🐦🍀💕🍵🐇🐰🦃☕🐦 नवीन शिक्षा जो वातावरण के साथ शरीर के एकीकरण, शरीर के साथ मन के एकीकरण (सोच, संवेग, स्मृति, धार्मिक विश्वास आदि)

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Desire or curiosity both make the life spiritually rich
These are in the sense of two eyes of man
Through which he noticed the various colours of the world's .

:


🍀💕🐇हरे कृष्ण 🐦💕☕
क्रमशः---04☺💐
 💕🍫🐰हरे कृष्णा🦃🐿☕☕🐦🍀💕🍵🐇🐰🦃☕🐦
नवीन शिक्षा जो वातावरण के साथ शरीर के एकीकरण, शरीर के साथ मन के एकीकरण (सोच, संवेग, स्मृति, धार्मिक विश्वास आदि)

Ravendra

भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी व नेपाल के पीएम प्रचंड ने संयुक्त रूप से किया आईसीपी का वर्चुअल उद्घाटन बहराइच भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोद #न्यूज़

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Aprasil mishra

एक वीभत्स अपराध के साये में आज हमारा शहर भी जीने को अग्रसर हो रहा है।अशिक्षा एवं बेरोजगारी में उर्ध्वगामी सर #Women #Feminism #government #justice #Administration #RapefreeIndiA #हरिगोविन्दविचारश्रृंखला

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"नारी अस्मितायें एवं सामाजिक सुरक्षा"              
                  एक वीभत्स अपराध के साये में आज हमारा शहर भी जीने को अग्रसर हो रहा है।अशिक्षा एवं बेरोजगारी में उर्ध्वगामी सर

Aprasil mishra

एक वीभत्स अपराध के साये में आज हमारा शहर भी जीने को अग्रसर हो रहा है।अशिक्षा एवं बेरोजगारी में उर्ध्वगामी सर #Women #Feminism #government #justice #Administration #RapefreeIndiA #हरिगोविन्दविचारश्रृंखला

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"नारी अस्मितायें एवं सामाजिक सुरक्षा"              
                  एक वीभत्स अपराध के साये में आज हमारा शहर भी जीने को अग्रसर हो रहा है।अशिक्षा एवं बेरोजगारी में उर्ध्वगामी सर
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