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कवि मनोज कुमार मंजू
White हर बार संतान ही गलत नहीं होती... कभी-कभी अपने कर्म और संस्कार भी देख लेने चाहिए... ©कवि मनोज कुमार मंजू #संतान #संस्कार #कर्म #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू #मँजू_वाणी #flowers
कवि मनोज कुमार मंजू
बेटियाँ नहीं... हसीं परियाँ हैं... बाप के जीवन की... खूबसूरत घड़ियाँ हैं... ©कवि मनोज कुमार मंजू #बेटियाँ #पापा_की_परी #परियाँ #कोट्स #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू #विचार
Bharat Bhushan pathak
paritosh@run
Black हम सुकून ढूंढने आए थे दुकानों पर... फिर कभी देखेंगे इस बार बहोत महँगा है. ©paritosh@run इस बार बहुत मँहगा है... Arshad Siddiqui indu singh Anshu writer AD Grk Andy Mann शादाब खांन 'शाद' Dr Imran Hassan Barbhuiya Shradha Rajput
कवि मनोज कुमार मंजू
इंसान अपनी जुबां से किसी के दिल में उतर जाता है... और दिल से भी उतर जाता है... ©कवि मनोज कुमार मंजू #जुबां #जुबान #जुबाँ #दिल #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू #विचार #कोट्स
कवि मनोज कुमार मंजू
Men walking on dark street माँ के ऊपर पानी भी गिरा दोगे तो गुस्सा करेगी... ये पिता ही है जिसके ऊपर तुम शूशू भी कर दोगे तो खुश होता है... ©कवि मनोज कुमार मंजू .#बचपन #मासूमियत #माँ #पिता #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू #Emotional
Neelam Modanwal
एक स्त्री घर से निकलते हुए भी नहीं निकलती वह जब भी घर से निकलती है अपने साथ घर की पूरी खतौनी लेकर निकलती है अचानक उसे याद आता है गैस का जलना दरवाज़े का खुला रहना नल का टपकना और दूध का दहकना एक-एक कर वह पूछती है प्रेस तो बंद कर दिया था न! आँगन का दरवाज़ा तो लगा दिया था न! किचेन का सीधा वाला नल बंद करना तो नहीं भूली! अरे! हाँ! वो सब्ज़ी वह मँहगी हरी पत्तियों वाली सब्ज़ी जो अभी कल ही तो लाई थी सटटी से प्लास्टिक से निकाल दिया था न! हाँ, हाँ अरे सब तो ठीक है आपको ध्यान है आलमारी लाक करना तो नहीं भूली अभी कल की ही तो बात है महीनों को बचाए पैसे से नाक की कील ख़रीदी थी । इस तरह वह बार-बार याद करती और परेशान होती है कि दूध वाले को मना करना भूल गई कि बरतन वाली से कहना भूल गई कि उसे कल नहीं आना था कि पड़ोसिन को बता ही देना था कि कभी कभी मेरे घर को भी झाँक लिया करतीं । इस तरह एक स्त्री निकलती है घर से जैसे निकलना ही उसका होना है घर में.... 💯💯✍️✍️❣️❣️ ©Neelam Modanwal एक स्त्री घर से निकलते हुए भी नहीं निकलती वह जब भी घर से निकलती है अपने साथ घर की पूरी खतौनी लेकर निकलती है अचानक उसे याद आता है गैस का जलन
कवि मनोज कुमार मंजू
#पापा... तुम थे... तो बेखौफ जमाने से लड़ जाता... जानता था... तुम सब सम्भाल लोगे... अब तो कुछ कहने से पहले भी... सौ बार सोचता हूँ... जानता हूँ... अब सब कुछ मुझे ही सम्भालना है... तुम जो नहीं हो... ©कवि मनोज कुमार मंजू #पापा #जमाना #बेखौफ #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू #जिम्मेदारी #achievement
कवि मनोज कुमार मंजू
जीवन में पैसे से ज्यादा रिश्तों को अहमियत दी... अब रिश्ते मुझे मेरी अहमियत बता रहे हैं... ©कवि मनोज कुमार मंजू #जीवन #पैसा #रिश्ते #अहमियत #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू #hibiscussabdariffa