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Ranbir Sahu.

मेरे जीवन में राम का स्थान है दूजा... 🤱🙏 #wishes

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©Ranbir Sahu. मेरे जीवन में राम का स्थान है दूजा... 🤱🙏

Devesh Dixit

#पर्दा #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry पर्दा (दोहे) पर्दा पड़ता झूठ पर, हो अपयश सब ओर। भ्रष्टाचारी का रहे, उस पर ही अब जोर।। यह पर् #Poetry #sandiprohila

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Ankur tiwari

तुमको लाया हूं ब्याह कर मैं ना मोल में तुझे खरीदा हैं तुम हो लक्ष्मी मेरे आंगन तुमसे ही घर की मर्यादा हैं तो बात गांठ यह बांध लो तुम सबको #Poetry

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Krishna Deo Prasad. ( Advocate ).

#Dosti #जिंदगी में हम कितने सही हैं और कितने गलत हैं, ये सिर्फ दो लोग ही जान सकते है.. एक परमात्मा और दूजा खुद की अंतरआत्मा..... 💕 #मोटिवेशनल

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Internet Jockey

#hanumanjayanti उस भक्त की भी करते हैं पूजा नहीं सिमरा जिसने नाम कभी दूजा हनुमान hanuman Jayanti quotes in hindi

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उस भक्त की भी करते हैं लोग पूजा
नहीं सिमरा जिसने नाम कभी दूजा

©Internet Jockey #hanumanjayanti उस भक्त की भी करते हैं पूजा
नहीं सिमरा जिसने नाम  कभी दूजा
हनुमान hanuman Jayanti quotes in hindi

Sudha Tripathi

#ramnavmi आल्हा छंद मुक्तक रामायण प्रसंग -जामवंत का हनुमान जी को आत्मबोध करना जामवंत कहते बजरंगी, चुप बन बैठे क्यों पाषाण। भूले हो क्य #भक्ति

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Anjali Singhal

"लग जाए जो रंग इश्क़ का तो, कोई और दूजा रंग ना भाए! ऐसा पक्का रंगे है ये जिया को कि, रूह भी संग रंग जाए!!" Ishq Sufiyana 💝 #ishq shayari # #Love #loveshayari #status #lovestatus #AnjaliSinghal

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मनहरण घनाक्षरी :- राधे राधे जप कर , बुलाते हैं गिरधर , दौड़े-दौड़े चले आते , मन से पुकारिये ।। राधा में ही श्याम दिखे , श्याम को ही राधा लखे #कविता

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मनहरण घनाक्षरी :-

राधे राधे जप कर , बुलाते हैं गिरधर ,
दौड़े-दौड़े चले आते , मन से पुकारिये ।।

राधा में ही श्याम दिखे , श्याम को ही राधा लखे ,
दोनो की ये प्रीति भली , कभी न बिसारिये ।।

रूप  ये बदल आये , देख निधिवन आये ,
मिले कभी समय तो , उधर निहारिये ।।

कट जाये जीवन यूँ , राधे-राधे जपते यूँ ,
शरण बिहारी के यूँ , जीवन गुजारिये ।।१


पटरी की रेल है ये , जीवन का खेल है ये ,
तेरा मेरा मेल है ये ,  प्रीति ये बढ़ाइये ।

चाँद जैसी सूरत है , अजन्ता की मूरत है ,
सुन चुके आप हैं तो , घुंघट उठाइये ।।

नहीं हूर नूर देखो , पीछे हैं लंगूर देखो ,
जैसे भी हूँ अब मिली , जीवन गुजारिये ।।

आई हूँ तू ब्याह कर , नहीं ज्यादा चाह कर ,
मुझे और नखरे न , आप तो दिखाइये ।।२

२९/०२/२०२४        -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :-

राधे राधे जप कर , बुलाते हैं गिरधर ,
दौड़े-दौड़े चले आते , मन से पुकारिये ।।

राधा में ही श्याम दिखे , श्याम को ही राधा लखे

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल आज बीमार दिल की दवा ही नहीं । क्या लबों पे किसी के दुआ ही नहीं ।। #शायरी

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ग़ज़ल
आज बीमार दिल की दवा ही नहीं ।
क्या लबों पे किसी के दुआ ही नहीं ।।

एक अफसोस है तुम कहो तो कहूँ ।
ज़िन्दगी बिन तुम्हारे जिया ही नहीं

बन गये आज वहसी इंसान सब ।
क्या कहूँ आज उनमें खुदा ही नहीं ।।

खत लिखे प्रेम के लाख जिसके लिए ।
बाद उसमें सुना फिर वफ़ा ही नहीं ।।

बात मेरी सदा याद रखना यहाँ ।
एक रघुनाथ जिसमें खता ही नहीं ।।

आ गये चाय पर आज घर वो मेरे ।
बात दिल की कहें तो बुरा ही नहीं ।।

तोड़कर आज दिल वो गये मयकदे ।
कह रहे ज़ाम हमने छुआ ही नहीं ।।

ढूंढ लेंगे सितारे हमें एक दिन ।
वक्त होता सदा बेवफ़ा ही नहीं ।।

आज कैसे करे प्रेम दूजा प्रखर ।
दिल किसी के लिए ये बचा ही नहीं ।।
२४/०२/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल


आज बीमार दिल की दवा ही नहीं ।

क्या लबों पे किसी के दुआ ही नहीं ।।

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

प्रदीप छन्द दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में । वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।। घर में बैठे मातु-पिता ही , सु #कविता

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प्रदीप छन्द

दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में ।
वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।।
घर में बैठे मातु-पिता ही , सुन रघुवर के रूप हैं ।
शरण चला जा उनके प्यारे , वह भी तेरे भूप हैं ।।

मन को अपने आज सँभालो , उलझ गया है बाट में ।
सारे तीरथ मन के होते , जो है गंगा घाट में ।।
तन के वस्त्र नहीं मिलते तो, लिपटा रह तू टाट में ।
आ जायेगी नींद तुझे भी , सुन ले टूटी खाट में ।।

जितनी मन्नत माँग रहे हो , जाकर तुम दरगाह में ।
उतनी सेवा दीन दुखी की , जाकर कर दो राह में ।।
सुनो दौड़ आयेंगी खुशियाँ , बस इतनी परवाह में ।
मत ले उनकी आज परीक्षा , वो हैं कितनी थाह में ।।

जीवन में खुशियों का मेला , आता मन को मार के ।
दूजा कर्म हमेशा देता , सुन खुशियां उपहार के ।।
जीवन की भागा दौड़ी में , बैठो मत तुम हार के ।
यही सीढ़ियां ऊपर जाएं ,  देखो नित संसार के ।।

२८/०२/२०२४       -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR प्रदीप छन्द

दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में ।
वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।।
घर में बैठे मातु-पिता ही , सु
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