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Vikram Dev
क्रूज़ पर रहने के लिए अमेरिकी कपल ने अपना 'सब कुछ' बेचा, कहा- यह ज़मीन पर रहने से सस्ता है फ्लोरिडा (अमेरिका) के एक दंपति ने क्रूज़ पर रहने के लिए 3 साल पहले अपनी पूरी संपत्ति (घर, बिज़नेस, सामान) बेच दी है। बकौल कपल, यह ज़मीन पर रहने से सस्ता है क्योंकि अब केवल एक टेलीफोन बिल, एक शिप बिल और ज़मीनी क्षेत्र में जाने पर कुछ क्रेडिट कार्ड बिल होता है और इसके अलावा कोई खर्च नहीं होता। ©Vikram Dev क्रूज़ पर रहने के लिए अमेरिकी कपल ने अपना 'सब कुछ' बेचा, कहा- यह ज़मीन पर रहने से सस्ता है
Kamaal Husain
कोशिश और सिर्फ कोशिश एक हैरतअंगेज दास्ताँ पढें कैप्शन में कोशिश का अंदाजा शायद लग जाए नमस्कार लेखकों।🌸 Collab करें आज इस पर और अपने ख्याल व्यक्त करें। Check out our pinned post 🎊 #rzpartners #rzhindiquest238 #yqdidi #yqr
Swatantra Yadav
दान नहीं, दानी का हृदय देखिये, कंकड़ नहीं, कंकड़ उठा कर सेतु में लगाने वाली गिलहरी की श्रद्धा देखिए केन्या द्वारा भेजे गए 12 टन (120 कुंटल)अनाज पर बहुत से लोग मज़ाक उड़ा रहे है। सोशल मीडिया पर केन्या को "भिखारी, भिखमंगा, गरीब" आदि आदि कहा
स्वतन्त्र यादव
दान नहीं, दानी का हृदय देखिये, कंकड़ नहीं, कंकड़ उठा कर सेतु में लगाने वाली गिलहरी की श्रद्धा देखिए केन्या द्वारा भेजे गए 12 टन (120 कुंटल)अनाज पर बहुत से लोग मज़ाक उड़ा रहे है। सोशल मीडिया पर केन्या को "भिखारी, भिखमंगा, गरीब" आदि आदि कहा
Divyanshu Pathak
लॉक डाउन के साथ शुरू हुई कोरोना के साथ जंग हमको पहले एक माह के अंत में ही बीस साल पीछे धकेल कर ले गई। देश के गाँव की आबादी मंहगाई के साथ अपने उत्पाद (अनाज,दूध,सब्जियाँ, दालें,) सस्ती क़ीमत पर बेचने को मजबूर हुए। मुझे आश्चर्य तो दूध की क़ीमत को लेकर हुआ जो 25 रुपये प्रति लीटर के भाव स्थानीय दूधियों द्वारा ख़रीदा जा रहा था। गेहूँ,सरसों,बगैरह भी और चक्की या मिल वाले स्टॉक करने में व्यस्त थे। किराने से लेकर फलवाले तक 6 गुनी क़ीमत वसूल रहे थे। जर्दा तंबाकू सिगरेट बगैरह के 15 से 20 गुना। हद है। #1_मई_तक_लॉकडाउन_के_साथ_राजस्थान_सतर्क_है मैं कहता रहा हूँ। आगे भी शासन और प्रशासन की गतिविधियों में अपने शब्दों से सहयोग देता रहूँगा। #सार
Divyanshu Pathak
21 वीं सदी के इन 20 वर्षों में देश ने बड़े बदलाव देखे । धर्म और जाति के नाम पर देश खंड खंड हो रहा था। देश के भीतर विषाक्त वातावरण फैल रहा था। जनता में त्राहि-त्राहि मची हुई थी। पड़ोसी देश मित्रता भूलकर शत्रु बनते जा रहे थे। निर्णय लेने की बजाय गंभीर मुद्दों को टाला जा रहा था। इसका कारण हमारे देश के पास कोई मजबूत नेता नहीं होना था। जो थे उनकी नेतागिरी अपनी-अपनी पार्टी तक सिमटी हुई थी। लालकृष्ण आडवाणी हो या सोनिया गांधी राष्ट्रपति हो या प्रधानमंत्री इन के आह्वान पर देशवासी किसी मुद्दे पर कोई पहल नहीं कर सकते थे। 🙏#goodevening 🙏 : एक ओर देश आरक्षण की आग में झुलस रहा था तो वहीं दूसरी ओर नेताओं में मनमाना आचरण करने की होड़ लगी थी। भले ही उनके आचरण से मत
Divyanshu Pathak
दुनिया बदल रही है ये बदलाब हर क्षेत्र में ,हर एक हिस्से में हो रहे है।आर्थिक,राजनैतिक,सामाजिक, सांस्कृतिक क्षेत्रों में शक्तियों का बंटवारा नए सिरे से हो रहा है। पिछले पांच सौ बर्षों के दौरान शक्ति के तीन भौगौलिक स्थानांतरण हुये हैं । ताकत बंटवारे के क्षेत्र में बुनियादी बदलाव अंतरराष्ट्रीय जीवन की शक्ल फिर से तय कर रहे थे। कैप्शन पढ़कर देखिए 💕🙏#सुप्रभातम💕🙏 : राजनीति अर्थशास्त्र और संस्कृति में पहला स्थानांतरण पश्चिमी जगत में उदय हुआ । यह प्रक्रिया 15 वी शताब्दी में प्रारंभ हुई और
Divyanshu Pathak
21वी सदी के दो दशक होने को है यह मामूली से 20 बरस नहीं है।लंबे इतिहास के इस छोटे से हिस्से में दुनिया जिस कदर बदली उसकी दूसरी मिसाल न होगी ! 1. ताकत का नए सिरे से बंटवारा हुआ ! 2. युद्ध बदल गए ! 3. हिंसा नए खोफनाक रूप में सामने आई ! 4. तकनीकी विकास चरम पर पहुंचा ! 5. बेशक दुनिया अच्छी ज्यादा हुई बुरी कम ! 6. नई पीढ़ी के सपनों को पंख लगे ! कैप्शन देखिए--- 💕🙏#शुभसंध्या💕🙏 : 1993 में अमेरिकी विचारक सैमुअल पीहटिंगटन ने लिखा कि "शीत युद्ध की समाप्ति के बाद दुनिया का दो ध्रुवों में बटवारा खत्म हो चु
i am Voiceofdehati
WHATSAPP NEW PRIVACY POLICY: सावधानी ही समाधान (अनुशीर्षक में पढ़ें) WHATSAPP NEW POLICY: सावधान इण्टरनेट, संचार क्रान्ति में वरदान तो जरूर साबित हुआ और देखते ही देखते पूरी मानव सभ्यता की अहम जरूरत बन भी गया।
Writer1
विकलांगता ******************** अखिलेश्वर कि हम भी देन हैं, ना करो हमसे गिरना आखिर हम भी इंसान हैं, विकलांग हुए तो क्या हुआ सोच तो विकसित है, हर क्षेत्रों में नाम हमारा ही गौरवंत हैं। शेष अनुशीर्षक में पढ़ें 👇👇👇👇👇👇👇 इतिहास गवाह है हमारी गाथाओं का, क्या क्या करूं वर्णन अपनी कविता में, निकोलस जेम्स वुजिकिक एक प्रेरक वक्ता है, जो टेट्रा-अमेलिया सिंड्रोम के