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Navratan Banjara
कविता-मातृभाषा लिखना इन खाली-खाली पन्नों में मातृभाषा का ज्ञान जिसका हुआ है वर्णमालाओं से श्रंगार। पूरे देश में गाया जाता जिसका गुणगान मनाया है आज हिंदी भाषा का त्यौहार।। माना है जिसको करोड़ों लोगों ने अपना सम्मान। बढ़ाया है जिसने प्रेमचंद जैसे कहानीकारों का सम्मान। जग में बना दिया हमें महान करना मेरे देशवासियों उस हिंदी भाषा का सम्मान। करना सिंगार हिंदी का अपने लफ्जों से सजा देना हर शब्द अपनी सुंदर कलम के प्रभाव से। जिसने दिया है हमें कविताएं लिखने का ज्ञान करता रहूंगा मैं अपनी मातृभाषा का सम्मान। करूंगा सिंगार अपनी कविताओं का अपनी मातृभाषा से। मातृभाषा ने बढ़ा दिया गौरव हर एक हिंदुस्तानी का जिससे क्या है सिंगार मैंने अपनी कविताओं का। संस्कृत है जिसकी जननी वह हिंदी हो तुम कलम में आ जाता है उत्साह वह प्रिय भाषा हो तुम करना है सिंगार मुझे अपनी भाषा का अंग्रेजी है छोटी-बड़ी मेरी भाषा है एक समान कवि नवरतन बंजारा कविता-मातृभाषा
Lokesh Panthri
गढ़वाली डेट नई-नई गर्लफ्रेंड तैं मि आज मिलण गयूं रौं घड़ेक बैठि कैं वीं कि मुखड़ी हयरणू रौं अध्धा घंटा मा हैलो हाय बोली की अपणी गिच्ची तैं खुलण की कोशिश कनू रौं सुरुक सुरुक सरकी वीं का दगड़ी बैठि गौं जू भी बुलण छौ सब्या छुयूं बिसर गौं कुरकुरा मुरमुरा वीं का हथ्यूं मा धौरि कै अपुं तै बहोत बड़ू हीरो समझुंड़ू रौं धकध्याट हूंड़ू छौ मि रगरयाट कनू रौं पैली दा अपणि ननि तैं मि याद कनू रौं वीं का बाना मि फजल लेकि नये ग्यो जब मिलण कु गौं पसिना मा तरे गौं अब याद कनू रात मि जब बात कनू रौं अमणि समणि बुन मा मि घबराणू रौं सरया राती मी बब्बर शेर बंणयू रौं फेसबुक व्हाटसप मा हाजिर जवाब देंणू रौं फिर कॉल कैरि की मि स्याल बंणी गौं सुबेर समिणी वीं का मि भिगी बिरली बण्यूं रौं जिकुड़ी धक्क कैरिकी कबलाट ल मोरी गौं गैली सुख गे छैयी थूक घटृ घुटण रौं जनि तनि मि वीं का समणि सांस लेणू रौं सब उल्टू करि ग्यों जो सोचि कैं गयूं रौं #गढ़वाली#कविता#मातृभाषा🙏❤️❤️
Shiv Narayan Saxena
हिन्दी मात्र मातृभाषा नहीं यह भावों की अभिव्यक्ति है, एकता का सूत्र है और हमारे देश का गौरव तथा सम्मान है. सबको अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर शुभकामनाएँ. ©Shiv Narayan BHARATEEYA अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर शुभकामनाएँ.
Marutishankar Udasi
ककहरा से ही है जीवन चला अपनी मातृभाषा को न भूलो जरा हो हिंदी अगर सब की जान तो भारत का सदा कायम रहेगा उदासी शान ©Marutishankar Udasi मातृभाषा