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Parasram Arora
White ज़िंदगी क़ी रोजमर्रा क़ी सलामती के लिए हमने मदद क़ी उम्मीद से कई सरमायेदारों के घरपे दस्तक दीं थी लेकिन हर बार खाली हाथ लौटना पढ़ा हमें इस हिदायत औऱ दुत्कार के साथ"आगे बडो ' ©Parasram Arora "आहे बडो '
"आहे बडो '
read moreRamkinkar sharma
🥀🥀🥀🥀 भारत देश हमारा प्यारा सब देशों से न्यारा है इसने भू पर प्रथम ज्ञान का सूर्य- प्रकाश पसारा है।। इसकी रहे अमिट अशेष अवनी पर ऊर्जित शान। यही हो सब का लक्ष्य महान, यही हो सब का लक्ष्य महान। राष्द्र- एकता,अखण्डता पर आँच आ सके रंच नहीं। अडिग रहें सब सत्य सुपथ पर हो न असत् की गन्ध कहीं।। ©Ramkinkar sharma भारत देश हमारा प्यारा🥀🥀
भारत देश हमारा प्यारा🥀🥀
read moreShailendra Anand
रचना दिनांक 25 जनवरी दोहजार पच्चीस वार शनिवार समय सुबह पांच बजे ््भावचित्र ् ््निज विचार ् ््शीर्षक ् ।््तेरी रुहानी रुह में अल्फाज़ नगीना लिखने वाले अच्छे ख्यालात की इबादत है,, संविधान में न्याय पाओ मर्यादा में रहो यही सही समय की मर्यादा और प्रतिष्ठा सौगात दी गई है।। राजनीति और धर्मांन्धता और अर्थ व्यवस्था में सुधार समरसता बहुत जरूरी है ्् पच्चीस जनवरी दोहजार पच्चीस अंक शास्त्र में 25बराबर25तारीख और साल में एक समान है। श्रुति स्मृति चिन्ह प्रदान देश में, अवाम में खुशहाली में एक विधान संविधान का आलेख सुलेखा की पूर्व संध्या पर , हम दिलों से पूजा करें जनसेवा ही मानव सेवा है जिसे हम गणतंत्र दिवस कहते हैं,।। माना कि तुम मेरे लिखे शब्दों से सहमति असहमति जताते हुए , जनस्वीकारोक्ति निस्वार्थ भाव को नहीं नकार सकते हो।। यही उत्तेजना यन्त्र तंत्र को मजबूत करने वाले, संविधान विशेषज्ञ दल में शामिल समन्वय समिति द्वारा स्थापित विचार संगोष्ठी में, आन्तरिक रूप से एक अन्तिरम निम्नांकित विषय वस्तु धारा नियमावली पर आपसी सहमति बहस में विचारों का आदान प्रदान करने वाली अग्नि परीक्षा स्वलेखक और सहयोगीयो में, एक सम निदान हेतु सेतुबंध में कुछ मन का अन्तर्द्वंद से सजाया गया जिसे हम अनुसरण करें अंनत आख्यान संहिता दर्शन शास्त्र ज्ञान दर्शन है।। । तथ्यों पर विचार प्रवाह में बह निकले ध्वनि तरंगों में एक गाढे खून पसीने की पीड़ा हो, किसी धनवान का आयना नज़रिया जो भी व्यक्ति पहले इन्सान नागरिक हैं ।। तदपश्यात प्रृथ्वीतले परिभ़मणं लोककल्याणं नरलीला में, जाति, धर्म, भाषा, सम्बन्धी कहावतें से पूजा करने वाले हो सकते है।। जो इन्सान आज अपने विचार व्यक्त आस्था प्रकट कर रहा है, वह उस समय की मर्यादा काल्पनिक दशा का आख्यान व्याख्यान कर रहा हूं। यह जग मग माया मोह ््मद से जलरंहा रहा है,, और यह सुखद अहसास दिया गया जिसे हम देश का संविधान कहते हैं।। यह आज का दर्शन मैं शैलेंद्र आनंद जो देख सकता हूं ,, वह अदभुत झलकियां हकीकत में रचती बसती है । दीप्ति नवल किशोर मेरे दिल में दीपक कलश स्वस्तिक कुंभ राशि में पच्चीस जनवरी दोहजार पच्चीस की सुबह स्वागत में ,, सुंदरता को परखना तन मन को निखारना स्वयं को पढ़कर अभ्यास से मन को लिखने वाले आत्ममंथन को आनंद कहते हैं।। ््कवि शैलेंद्र आनंद ् 25 जनवरी। 2025 ©Shailendra Anand देशभक्ति और देश संविधान में न्याय में देश में अवाम में खुशहाली आती है भक्ति भाव से पुजा करने वाले अच्छे लगते देश भक्ति में संनिहित है वि
देशभक्ति और देश संविधान में न्याय में देश में अवाम में खुशहाली आती है भक्ति भाव से पुजा करने वाले अच्छे लगते देश भक्ति में संनिहित है वि
read moreDineshpratapsinghkhusroNikhil
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset धरती से आसमा तक फैला। हुआ है जमीन तक मन में। बैठा एक चोर चोर बनता हैं। ऐसे बैठे मन में लालच मोर।। ©DineshpratapsinghkhusroNikhil #SunS देश प्रेम
#Suns देश प्रेम
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी खिड़कियां सब बंद मदद की हरण नैतिकता का हो रहा है आवाजे और हक हमारे लुप्पत हो गये टाइमपास देश कर रहा है सन सैतालीस में ले जाने का प्रयास हो रहा है लगान प्रथा जीएसटी ने चालू कर दी घाटा हो या मुनाफा दायरे में सब आयेगे बधुआ मजदूरी फिर से लागू हो गयी अठारह घण्टे काम करो,वेतन नही बढ़ायेगे साहूकारी प्रथा बैंको ने ले ली बात बात पर चार्ज और जुर्माने लगायेंगे राजशाही की प्रथा सत्ता ने ले ली कोई भी आंकड़े नही बतायेगे बौना पूरा देश समाज कर दिया गुणगान अपना विज्ञापनों से गायेगे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #lonely बौना पूरा देश समाज कर दिया
#lonely बौना पूरा देश समाज कर दिया
read moreDineshpratapsinghkhusroNikhil
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset प्राकृतिक पुजारी धरती के रखवाले आदिवासी देश के दिल में रहने वाले। हम सबके प्यारे आदिवासी रखवाले। ©DineshpratapsinghkhusroNikhil #SunSet देश प्रेम
#SunSet देश प्रेम
read moreDineshpratapsinghkhusroNikhil
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset aadivasiyon का मैं तो दीवाना हूं। न जाने दुनिया क्यों जलती है उनसे वह तो धरती के रखवाले हैं। ©DineshpratapsinghkhusroNikhil #SunSet देश प्रेम
#SunSet देश प्रेम
read moreParasram Arora
New Year 2025 ये कैसी देश भक्तिहैँ. जो युदधो को उत्तेजित करती हैँ और तुच्छ वस्तुओं की प्राप्ति के लिए नरसंहार करती हैँ और जो इंसानियत का विनाश करती हैँ ©Parasram Arora देश भक्ति
देश भक्ति
read moreroyal_shetkari
Unsplash गंध मातीचा आता पुरता गुदमरला आहे चिखल होऊन त्याचा शेतकरी रूतला आहे पीकाचं सोनं होता होता राहीलं सर्वत्र कुजका खच पडला आहे 🌾 आली दसरा दिवाळी तरीही पावसानं सांगता घेण्यास नकार दिला आहे दारी तोरणं कसं लावू ह्या विवंचनेत बळीराजा ग्रासला आहे 🌱 पुढचं पीकं घेण्याआधी जमीन सुकलं का..ह्या विचारात पडला आहे ©royal_shetkari गंध मातीचा आता पुरता गुदमरला आहे चिखल होऊन त्याचा शेतकरी रूतला आहे पीकाचं सोनं होता होता राहीलं सर्वत्र कुजका खच पडला आहे 🌾 आली दसरा दिवाळी
गंध मातीचा आता पुरता गुदमरला आहे चिखल होऊन त्याचा शेतकरी रूतला आहे पीकाचं सोनं होता होता राहीलं सर्वत्र कुजका खच पडला आहे 🌾 आली दसरा दिवाळी
read moreVilas Bhoir
White मला यात शंकाच नाही की, माझा देश स्वतंत्र आहे.... माझा देश खरंच स्वतंत्र आहे का? मला यातच शंका आहे महिलांवर होणारे हिंसाचार, आत्याचार सगळं अजूनही तसचं चालू आहे मग सांगा पाहू तुम्हीच, कसं म्हणता येईल माझा देश स्वतंत्र आहे.... स्त्री स्वबळावर सक्षम तर झाली पण पुरुषी अंहकार तसाच शिल्लक आहे मग आपण कसे म्हणू शकतो की, माझा देश स्वतंत्र आहे.... स्त्री शिक्षित होऊनही बंधनात कायम अडकलेलीच आहे जरा वेषभूषात बाहेर पडली की, पुरुषी एकटक नजरा अजूनी झेलते आहे वर्तमानपत्रात रोजच ती च्या विषयी छापलेलं एकतरी पान आहे स्वातंत्र्याच्या या दुनियेत कसं म्हणावं माझा देश स्वतंत्र आहे.... जेंव्हा स्त्री स्वतंत्र होईल ना तेंव्हाच खऱ्या अर्थाने म्हणता येईल माझा देश स्वतंत्र आहे.... ©Vilas Bhoir माझा देश खरंच स्वतंत्र आहे का? # Khayal-e-pushp Achman Chitranshi Dhanraj Gamare अश्लेष माडे (प्रीत कवी ) Ankita Tantuway
माझा देश खरंच स्वतंत्र आहे का? # Khayal-e-pushp Achman Chitranshi Dhanraj Gamare अश्लेष माडे (प्रीत कवी ) Ankita Tantuway
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