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Jaidev Joshi
White वाराणसी के घाटों की खुशी शायद नहीं थी मुझ में बसी तभी तो लौटा दिया बिन गलती के दफा किया कागजों की गलती को नामंजूरी का बहाना दिया। 'मैं' और सिर्फ 'मैं' ने किसी के जज्बातों को मिटा दिया इस काशी की धरा को काशी-वालों से जुदा किया है । है जो कुछ लोग जो बदलाव चाहते हैं रातों-रात उनको देशद्रोही का नाम दिया । 'श्याम' की उम्मीद को कॉमेडी समझ टाल दिया लोकतांत्रिक अधिकारों को पन्नों की तरह फाड़ दिया। अभी भी वक्त है समझ जाओ हिंदुस्तान के बाशिंदों संभल जाओ राजनीति से 'नीति' कहीं ओझल ना हो जाए एक चिराग नैतिकता वाला हर कोने में जला आओ। ©Jaidev Joshi Shyam Rangeela and today's politics #Autocracy #notgood #election2024 #ModiJi #ShyamRangeela
Deepak Kumar 'Deep'
जब से रंगा हूँ तुम्हारे इश्क के रंग में ! लोग कहते हैं रंगीला हो गया हूँ मैं!! ©Deepak Kumar 'Deep' #Rangeela
Rameshkumar Mehra Mehra
हुसन और इश्क की भी..... कितनी गजब की यारी है.......! एक खूबसूरत परिदां तो...........!! दूसरा लाजवाब शिकारी है.... ©Rameshkumar Mehra Mehra # हुस्न और इश्क की भी,कितनी गजब की यारी है,एक खूबसूरत परिदां तो, दूसरा लाजवाब शिकारी है....
Ravishankar Nishad
कहाँ आजाद परिंदों की जिन्दगी आसान होती है, कभी बाज से तो कभी शिकारी के जाल से परेशान होती है. ©Ravishankar Nishad कहाँ आजाद परिंदों की जिन्दगी आसान होती है, कभी बाज से तो कभी शिकारी के जाल से परेशान होती है.
Ravendra
MohiTRocK F44
हाथ जोड़ते है और पाओ दबाते हैं फिर वो मन चाहा मंतर ले जाते है नागिनो का मैं ऐसा शिकारी हू मोहित मुझसे मिलने रोज़ सपेरे आते है ©MohiTRocK F 44 #nagin हाथ जोड़ते है और पाओ दबाते हैं फिर वो मन चाहा मंतर ले जाते है नागिनो का मैं ऐसा शिकारी हू मोहित मुझसे मिलने रोज़ सपेरे आते है मुझसे म
Kavi Aditya Shukla
आज ही के दिन महान स्वतंत्रता सेनानी पंडित चंद्रशेखर आजाद जी ने 27 फरवरी 1931 को प्रयागराज के अल्फ्रेड पार्क में बलिदान दिया था। चंद्रशेखर आज़ाद - आज भी कोई यह नाम लेता है, तो मूंछ पर ताव देते एक ऐसे पुरुष की छवि सामने आती है जो देशसेवा में अपना सबकुछ बलिदान कर गया। वीर सपूत आज़ाद के बलिदान दिवस पर कोटिशः नमन। मलते रह गए हाथ शिकारी... उड़ गया पंछी तोड़ पिटारी.. अंतिम गोली ख़ुद को मारी ... जियो तिवारी जनेऊधारी ©Kavi Aditya Shukla आज ही के दिन महान स्वतंत्रता सेनानी पंडित चंद्रशेखर आजाद जी ने 27 फरवरी 1931 को प्रयागराज के अल्फ्रेड पार्क में बलिदान दिया था। चंद्रशेखर आ
Shivkumar
खुद पर ही खुद के फैसले , अब भारी हो गए कल तलक था सब कुछ, अब भिखारी सा हो गए बदल गया है दुनिया का चलन कितना यारो, जो शिकार कभी खुद से करते थे कभी, अब वो ही शिकारी हो गए क्या याद करना अब उन गुज़रे हुए लम्हों को, कल तक तो हम ही हम थे, अब अनाड़ी सा हो गए यारो न आया आज तक भी लगाना दाव हमको, मगर इधर तो सारे लोग ही, अब जुआरी सा हो गए न आता था कभी जिनको जुबां चलाना भी यारो, कमाल है कि हर फन के वो, अब खिलाड़ी सा हो गए वक़्त बदल देता है लोगों की किस्मत को ' मिश्र ' , जो दिखते थे कल तक जमूरे, अब मदारी सा हो गए ©Shivkumar #Preying खुद पर ही खुद के #फैसले , अब #भारी हो गए कल #तलक था सब कुछ, अब #भिखारी सा हो गए #बदल गया है #दुनिया का चलन कितना यारो, जो