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Ashab Khan
मंटो आज ही के दिन पैदा हुये थे यानी मेरे लिये आज का दिन मेरे खुशी का दिन है .. सहादत हसन मंटो की कहानियां आज भी समाज को आइना दिखाती हैं. सआदत हसन मंटो का शुमार ऐसे साहित्यकारों में किया जाता है जिनकी कलम ने अपने वक्त से आगे के ऐसे अफसाने लिख डाले जिनकी गहराई को समझने की दुनिया आज भी कोशिश कर रही है. मंटो
Mo.Tanveer Siddiqui
उस बेवफ़ा की नफ़रत में आकर मैं ने सिगरेट का नशा क्या पकड़ लिया, मोहब्बत तो धुआँ हो ही गयी थी अब जिस्म भी धुआँ-धुआँ हो गया!! -T@nveer_&iddiqui... धुआँ-धुआँ _____ //
dilip khan anpadh
धुआं-धुआं ***** देख रहा हूँ, दूर तलक,सब धुंधला, सब धुआं धुआं बुझ गई आशा की लौ,बिखड़ा बस है अब राख यंहा।। मैं राख में जीवन ढूंढ़ रहा, फिर क्यों आंखों को मुंद रहा? जो राख हुआ वो खाक हुआ,फिर किन यादों को चूम रहा ये चक्र समय का घूम रहा,क्यों बोझिल सांसे झूम रहा? इन सांसों में सन्नाटा है, फिर क्यों बिखरा है मौन यंहा? इस मौन में कोई शब्द है क्या?इन शब्दों में संगीत है क्या यह गीत अधूरा सा क्यों है,ये गाने वाला कौन रहा? जो गाते गाते चले गए,वो प्रीत अधूरा कंहा गया जो प्रीत अधूरा बिखर गया,क्या जुड़कर फिर होंठ सजा जो सजा नही वो मिट ही गया,क्या बचा कोई परछाई है क्यों परछाई को ढूंढ रहे,जीवन अनमिट सी खाई है इस खाई में है आग भरा, बिखरा यादों का राख पड़ा ये यादें हैं बस अंध कूप, जंहा सब जलकर है धुआं-धुआं दिलीप कुमार खां"""अनपढ़"" #धुआँ धुआँ
Ashab Khan
हाय मंटो को बयान करना मजाक थोड़ी है खुद को मार दो और देखो बचा क्या है आप को हकीकत अंधा कर देगी और एक दिन आप मुर्दा लाश के इलावा कुछ नही रहोगे इंसान अपनी जिंदगी मे आने वाले दुखो को स्वीकार करता है ऐसा इंसान जमाने से जीत जाता हैं लेकिन आज तक जमाने से कोई जीता नही है मंटो वह है जो जमाने से जीत कर अपनी जिंदगी से हार गया था और यह दुख बड़ा बेचैन करता है… Ashab Khan... मंटो
Ashab Khan
मंटो मेरे ख्वाब मे रोज़ आते थे कहानी लिखने का कहते डांटते चिल्लाते डराते की लिखो वरना मेरी कलम वापस करो जिसपर तुमने कब्जा कर रखा है में लिखता हूं लिखता चला जा रहा हूं में हर उस चीज़ पे लिखता जिसे समाज अपनाने से इंकार करता नफरत की नजर से देखता हर उस चीज़ पर लिखता चला गया औरत मर्द तवायफ हिजडे रंडी प्यार मुहब्बत जिस्म हवस मैंने जितना मंटो से सीखा सब लिखता सच का आईना लिखता चला गया पर आजकल ऐसा लगता है मंटो नाराज़ हैं मुझसे ख्वाब मे नही आते मेरे आजकल पता नी क्य यही वजह है की में आजकल उनके जैसा लिखने को तड़प रहा हूं…. Ashab Khan मंटो..
Anushka Verma
Sahadat Hasan Manto तोहमत मुझपे लगाते जाओ ज़ख्म हरे तुम करते जाओ । क़लम मेरी चलेगी बेधड़क चाहे ज़ुल्म हज़ार तुम करते जाओ । #मंटो #Nojoto