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नवनीत ठाकुर
तूफ़ान आए तो मेरा हौसला देखो, डूबता हूँ, उभरता ज़रूर हूँ। गिरकर फिर से खड़ा, तूफ़ानों से लड़ने का तरीका, ढूंढता ज़रूर हूँ। राहें कठिन हो, फिर भी रुकता नहीं , गिरते हुए भी खुद को सम्भालता हूँ, हार नहीं मानता कभी, हर हाल में जूझता ज़रूर हूँ। हर चोट ने मेरी पहचान बनाई है, जो गिरा, उसने उठने की कहानी सुनाई है। राख से उगने की आदत है मुझमें, जलकर भी खुद को जलाता ज़रूर हूँ। मुश्किलें मुझसे हार मान जाती हैं, मेरे इरादे हर मोड़ पर मुस्कुराते हैं। ज़िंदगी के हर तुफ़ान को मैंने देखा है, पर ख़ुद को हर बार आज़माता ज़रूर हूँ। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर तूफ़ान आए तो मेरा हौसला देखो, डूबता हूँ, उभरता ज़रूर हूँ। गिरकर फिर से खड़ा, तूफ़ानों से लड़ने का तरीका, ढूंढता ज़रूर हूँ।
#नवनीतठाकुर तूफ़ान आए तो मेरा हौसला देखो, डूबता हूँ, उभरता ज़रूर हूँ। गिरकर फिर से खड़ा, तूफ़ानों से लड़ने का तरीका, ढूंढता ज़रूर हूँ।
read moreSuneel Nohara
White नमक से भरे हैं, हाथ सभी । नोहरा, जरा अपने जख्मों को छिपा लेना। ©Suneel Nohara नमक से भरे है,,, Anshu writer Lalit Saxena अदनासा- Ashutosh Mishra Sethi Ji
नमक से भरे है,,, Anshu writer Lalit Saxena अदनासा- Ashutosh Mishra Sethi Ji
read moreLotus Mali
"बर्फ तो पानी बन बह जाता हैं लेकिन ना जानें क्यों....? ये हिमालाय किसका दर्द अपने सीने मैं संभाले खड़ा हैं!" https://lotusshayari.blogspot.com/ ©Lotus Mali "बर्फ तो पानी बन बह जाता हैं लेकिन ना जानें क्यों....? ये हिमालाय किसका दर्द अपने सीने मैं संभाले खड़ा हैं!" https://lotusshayari.blogspot.
"बर्फ तो पानी बन बह जाता हैं लेकिन ना जानें क्यों....? ये हिमालाय किसका दर्द अपने सीने मैं संभाले खड़ा हैं!" https://lotusshayari.blogspot.
read moreAnjali Singhal
"अरसे से तराशने में लगे हैं, ख़ुद को तेरे मुताबिक़। कोई न कोई इम्तिहाँ लाकर खड़ा कर देती है, ज़िन्दगी तू हमारे माफिक़।।" #AnjaliSinghal zi
read moreAnuradha T Gautam 6280
#जख्मों_पर_नमक जख्मों पर नमक इतने लगें जो बर्दाश्त के बाहर कैसे लूं मैं नाम उसका वो यादस्त से बाहर..🖊️ अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻♀️ ०२/१२/२४
read moreMiMi Flix
"मोंटू, चुटकी और हुकु का बाढ़ से बचाव" - घने बादलों की गड़गड़ाहट और मूसलाधार बारिश से जंगल में खतरा मंडराने लगा। बढ़ते जल स्तर ने जानवरों को
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
White मन मेरा अशांत क्यों है भला, आख़िर क्यों है ज़ुबां सिली? कुछ बोलकर भी चुप हूँ मैं, अधरों पर क्यों सवाल खड़ा? नयन रूखे से लगते हैं अब, लबों पर क्यों नहीं मुस्कान भला? एक शोर उठता है, रह-रह कर जो, आख़िर खुद में ही क्यों दबा? ढूंढता हूँ, फिर भागता हूँ, सवालों का कभी जवाब नहीं मिला। गिरता हूँ, उठता हूँ और फिर चलता हूँ, मन में लिए कितने सवाल चला। कितनों से बात की मैंने, कितनों को बेहतर सलाह दी। मिला दे मुझे खुद से या रब से, एक मकसद को डर में फिरा। सुना, गुनाह रब माफ़ करते, मंदिर मस्ज़िद को निकला। माफ़ कर सकूँ पहले खुद को, खुद से मैं अब तक खुद नहीं मिला। ©theABHAYSINGH_BIPIN मन मेरा अशांत क्यों है भला, आख़िर क्यों है ज़ुबां सिली? कुछ बोलकर भी चुप हूँ मैं, अधरों पर क्यों सवाल खड़ा? नयन रूखे से लगते हैं अब, लबों प
मन मेरा अशांत क्यों है भला, आख़िर क्यों है ज़ुबां सिली? कुछ बोलकर भी चुप हूँ मैं, अधरों पर क्यों सवाल खड़ा? नयन रूखे से लगते हैं अब, लबों प
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} पैसा नमक की तरह हो तो अच्छा है, जो जरूरी भी है, पर जरूरत से ज्यादा हो तो जिंदगी को जीने का स्वाद बिगाड़ देता है, 100 प्रकार की परेशानी को भी जन्म देती है। जय श्री राधेकृष्ण जी। ©N S Yadav GoldMine #good_night {Bolo Ji Radhey Radhey} पैसा नमक की तरह हो तो अच्छा है, जो जरूरी भी है, पर जरूरत से ज्यादा हो तो जिंदगी को जीने का स्वाद बिगाड़
#good_night {Bolo Ji Radhey Radhey} पैसा नमक की तरह हो तो अच्छा है, जो जरूरी भी है, पर जरूरत से ज्यादा हो तो जिंदगी को जीने का स्वाद बिगाड़
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