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Stories related to घूमती है

F M POETRY

#तू शहज़ादी है रानी है.....

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White करूँ तारीफ़ क्या तेरी तू इतनी खूबसूरत है..

तू शहज़ादी है रानी है तेरी सूरत सुहानी है..



यूसुफ़ आर खान....

©F M POETRY #तू शहज़ादी है रानी है.....

Shivkumar barman

!! दिसंबर आभार करने का महीना है !! दिसंबर आभार करने का महीना है ये साल भर के तजुर्बों की पोटली है जिसमें 11 महीने लंबी डोरी से गाँठ लग

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!! दिसंबर आभार करने का महीना है !!

दिसंबर आभार करने का महीना है 
ये साल भर के तजुर्बों की पोटली है 
जिसमें 11 महीने लंबी डोरी से गाँठ लगी है 

दिन छोटे हो जाते हैं ,
पर दिल बड़े होते हैं इस महीने में 
जनवरी की शुरूआत में ख़ुद से किए गए 
वादों का अब हिसाब किताब होता है ..

.. जो पूरे हुए उन पर गुमान होता है ,
और जो नहीं हो पाये 
उनको कुछ बदलाव के साथ 
अगले साल फिर डायरी में लिख लिया जाता है !! 

पूरे साल की रील मानो सामने घूमती है और कभी थोड़ी
 सी मुस्कुराहट और कभी थोड़ी उदासी ले आती है चेहरे पर।

अच्छा बुरा जैसा भी समय निकला 
पर उस की रेत बजरी समेट कर
 उम्मीद के सीमेंट में मिला कर फिर
 एक नया मकान बनाना है .. अगले साल का 

यूँ तो जनवरी और दिसंबर में
 एक दिन की ही दूरी है पर फ़ासला एक साल का।

ऐसा लगता है जैसे जनवरी धरती है और दिसंबर है अंबर,
 और क्षितिज पर ये दूर से एक रात के लिए मिलते दिखते हैं।

31 तारीख़ को ….तुम छोड़ जाओगे दिसंबर की तरह 
और हम बदल जायेगें जनवरी की तरह...।

©Shivkumar barman  !! दिसंबर आभार करने का महीना है !!

दिसंबर आभार करने का महीना है 
ये साल भर के #तजुर्बों  की पोटली है 
जिसमें 11 महीने लंबी डोरी से गाँठ लग

unique writer

वो है

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Public servant Lokendra Singh

जिंदगी है तों सब कुछ है

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neelu

#sad_quotes #इतना #पहरा है तो फिर #सुरक्षित कौन है और इतने #असुरक्षित है तो #पहरा क्यों है

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White इतना पहरा है तो फिर सुरक्षित कौन है
और इतने असुरक्षित है तो पहरा क्यों है

©neelu #sad_quotes #इतना #पहरा है तो फिर #सुरक्षित कौन है
और इतने #असुरक्षित है तो #पहरा क्यों है

Uttam Bajpai

शायरी चुटकुलेजिया बेकरार है पति बीमार है।

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Bachan Manikpuri

पैसा न बुरा है न भला है

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gudiya

#NatureLove पृथ्वी पृथ्वी तुम घूमती हो तो घूमती चली जाती हो अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार

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पृथ्वी 
पृथ्वी तुम घूमती हो 
तो घूमती चली जाती हो 

अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही 
एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार 

क्या तुम्हें चक्कर नहीं आते 
अपने आधे हिस्से में अंधेरा 
और आधे में उजाला लिए 
रात को दिन और दिन को रात करते 
कभी-कभी कांपती हो 
तो लगता है नष्ट कर दोगी अपना सारा घर बार 
अपनी गृहस्थी के पेड़ पर्वत शहर नदी गांव टीले
सभी कुछ को नष्ट कर दोगी 

पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो 
तुम्हारी सतह पर कितना जल है
तुम्हारी सतह के नीचे भी जल ही है
लेकिन तुम्हारे गर्भ में
गर्भ के केंद्र में तो अग्नि है 
सिर्फ अग्नि 

पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो 

कितने ताप कितने दबाव और कितनी आद्रता
अपने कोयलों को हीरो में बदल देती हो 
किन प्रक्रियाओं से गुजर कर 
कितने चुपचाप 
रतन से ज्यादा रतन के रहस्य से 
भरा है तुम्हारा ह्रदय 

पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो 

तुम घूमती हो 
तो घूमती चली जाती हो

-नरेश सक्सेना

©gudiya #NatureLove 
पृथ्वी 
पृथ्वी तुम घूमती हो 
तो घूमती चली जाती हो 

अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही 
एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार

krishnkant

सब ठीक है 🥀 जो भी है

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Riyanka Alok Madeshiya

#चलना है विश्राम नहीं है

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White चलना है विश्राम नहीं है.... 
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चलना है विश्राम नहीं है। 
व्यर्थ में करना आराम नहीं है। 
अमूल्य समय गंवाने से, 
बनता कोई काम नहीं है। 

समय जो एक बार चला जाएगा। 
वापस वह लौट कर नहीं आएगा। 
चाहे तुम जितना जोर लगा लो, 
समय का चक्र तो ना घूम पाएगा। 

जीवन को ना समझो  सुमन-पथ। 
यह तो है ;बिन पहियों का रथ। 
खींच कर तुमको ले जाना है, 
और पार करना है यह अग्निपथ। 

 संकल्प और स्वाभिमान जीवन पथ पर संगी होंगे। 
तभी तो पूर्ण जीवन के हर एक सपने होंगे। 
अनवरत हो आगे ही आगे जब तुम बढ़ते जाओगे, 
तो कांटे भी इस पथ के फूलों से कोमल होंगे। 

स्वरचित और मौलिक

रियंका आलोक मदेशिया

©Riyanka Alok Madeshiya #चलना है विश्राम नहीं है
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