Find the Latest Status about किरदार शब्द का अर्थ from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, किरदार शब्द का अर्थ.
Shravan Goud
स्वार्थ शब्द का एक और अर्थ है, स्व+अर्थ यानी स्वयं का अर्थ लगाना। --अज्ञात स्वार्थ शब्द का एक और अर्थ है, स्व+अर्थ यानी स्वयं का अर्थ लगाना। --अज्ञात
Sangeeta Patidar
कोई बुराई कर रहा, मतलब उनके दिल में सँवर गए हैं हम, क्यों जाऊँ ख़िलाफ़ उनके, अब तो उनसे निखर गए हैं हम। कमियाँ गिनाने को, कितनी गहराई से पढ़ते वो मेरी तहरीरें, क्यों करूँ मैं सवाल, जब उनकी आदत से सुधर गए हैं हम। देखो! ग़ुरूर भी नहीं उन्हें, सरेआम बातें मेरी किया करते हैं, क्यों उठाऊँ उँगली,उनके सहारे तो नीचे से ऊपर गए हैं हम। ख़ास उनका किरदार, उनके साथ तराशता है मेरी भी दास्ताँ, क्यों चाहूँ बुरा, उनकी हँसी से जाते-जाते से ठहर गए हैं हम। कोसूँ या कहूँ मैं उन्हें शुक्रिया, सब नज़रिये का फर्क़ है 'धुन', क्यों गिनाऊँ ग़लतियाँ,'मैं' मैं ही रही जैसे, जिधर गए हैं हम। Rest Zone आज का शब्द- 'किरदार' #rzmph #rzmph92 #किरदार #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #yqdidi #rzhindi
Hasanand Chhatwani
#OpenPoetry शब्दों का अहम किरदार होता है दूरियां बढाने में..... कभी हम समझ नही पाते हैं,और कभी समझा नही पाते हैं.....!!!!! शब्द ##किरदार ##समझना ##समझाना ##
कलीम शाहजहांपुरी (साहिल)
उसकी रंगत है जैसे कोई खिलता गुलाब, उसकी बातों से टपके इल्हाम की बारिश.! ©कलीम शाहजहांपुरी (साहिल) शायरी ( इल्हाम का अर्थ होता है अल्लाह,ईश्वर का शब्द)
Kavita jayesh Panot
शब्द वही होते है वर्ण माला के, लेकिन वक्त के बदलाव के साथ , तार बदल जाते है। कभी सुख ,एहसास खुशी का दिला जाता है तो कभी वही सु और ख से सूखापन बन जाता है। जो एक नकारात्मकता का बोध है। कविता जयेश पनोत ©Kavita jayesh Panot #शब्द#भेद#वक्त#अर्थ
Hasanand Chhatwani
*सीमित शब्द हो और* *असीमित अर्थ हो...* *लेकिन इतना ही हो कि* *शब्द से न कष्ट हो...* #सिमित शब्द #असीमित अर्थ #
Chetan Jaat
शब्द आत्मा है और उनके अर्थ उस आत्मा की अभिव्यक्ति, इसलिए शब्द और अर्थ दोनों का बोध अनिवार्य है । ©Chetan Jaat #notjo #शब्द #अर्थ #अभिव्यक्ति
Usha Dravid Bhatt
राह भटक मत जाना साथी ,अभी दूर तक जाना है यह भीड़ नहीं कुछ देती है,नहीं इसका ठौर ठिकाना है। यह कलरव करती भीड़ तुम्हें ,अपने पथ से भटका देगी सागर संगम से पहले ही ,दो -आबों में उलझा देगी , जीवन के उस दोराहे पर,सुपथ नहीं तुम चुन पाओगे ना फिर उस अनुपम शैली को,मूल काव्य में ला पाओगे चक्रव्यूह सी उलझी राहों में ,स्वप्न सदृश्य से खो जाओगे भीड़ किधर से आई किधर गई , खुद को भी नहीं तुम समझ पाओगे।। भीड़ का किरदार
Ajay Bishwas
पिता कमियों में भी बुलंद किरदार रखते थे उनके सारे इशारे एक अलग मेयार रखते थे # पिता का किरदार