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vksrivastav
Unsplash वक्त जैसा भी रहा उसके साथ चलता रहा ज़रा ज़रा सा बर्फ की तरह पिघलता रहा ज़ख़्म होता रहा पांवों में दर्द होता रहा मैं भी ज़िद्दी हूं मैं हर दर्द को निगलता रहा ©Vk srivastav वक्त जैसा भी रहा उसके साथ चलता रहा #Life #SAD #Trending #viral #Shayari #vksrivastav
वक्त जैसा भी रहा उसके साथ चलता रहा #Life #SAD #Trending #viral Shayari #vksrivastav
read more- Arun Aarya
रक़ीबों से हाथ मिलाकर ख़्याल रक़ीबों जैसा हो गया ! अमीर थे हम बहोत पहले अब हाल ग़रीबो जैसा हो गया..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya #dryleaf #ग़रीबो जैसा हाल
Parasram Arora
Unsplash जन्नत से भी ज्यादा अज़ीज़ है मुझे अपने पुश्तैनी घर का ये आँगन क्योंकि इसी आँगन मे अच्छे से उम्र अपनी गुज़ार दीं है मैंने वो भी बिना किसी शिकवे शिiकायत के ©Parasram Arora जन्नत जैसा aangn😍
जन्नत जैसा aangn😍
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} अगर भक्त प्रहलाद जैसा विस्वास हो, भीलनी की जैसी आस हो, दरोपति की जैसी पुकार हो, मीरा के जैसा इंतजार हो, तो भगवान श्री कृष्ण जी को आना ही पड़ता है। जय श्री राधेकृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine #sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} अगर भक्त प्रहलाद जैसा विस्वास हो, भीलनी की जैसी आस हो, दरोपति की जैसी पुकार हो, मीरा के जैसा इंतजार
#sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} अगर भक्त प्रहलाद जैसा विस्वास हो, भीलनी की जैसी आस हो, दरोपति की जैसी पुकार हो, मीरा के जैसा इंतजार
read moreLakhan Rajput BJP
घमंडी लोग तोड़ देते हैं गरीबों का दिल ©Lakhan Rajput BJP दोस्त शायरी तेरे जैसा यार कहां
दोस्त शायरी तेरे जैसा यार कहां
read moreRAMLALIT NIRALA
White ईस धरती पर जब किसी पुरुष या स्त्री को दौलत या खुबसूरती पर घमड हो जाये तो समसान घाट के एक चक्कर लगाले उससे खुबसूरत और बडेसे बडे हस्ती जल कर राख पडे है। ©RAMLALIT NIRALA कभी भी किसी भी चीज पर घमड नहीं करनी चाहिए वो चाहै पैसा हो खुबसूरती हो
कभी भी किसी भी चीज पर घमड नहीं करनी चाहिए वो चाहै पैसा हो खुबसूरती हो
read moreनवनीत ठाकुर
पहाड़ों से निकली एक धारा खास, सपनों से भरी, एक नई तलाश। पत्थरों से टकराई, राह बनाई, हर दर्द को हँसी में समेट लाई।। हर ठोकर को उसने गले लगाया, रुकना उसकी किस्मत में नहीं था। दर्द से उसने अपना राग बनाया, सच में, वो कभी थमा नहीं था।। जब सागर से मिली, वो हर्षित हुई, उसकी लहरों में हर पीड़ा समा गई।। सागर ने उसे अपनी बाहों में समेटा, उसकी हर बूंद में जीवन का सन्देश देखा। नदी ने कहा, "मैं खुद को समर्पित करती हूँ, पर हर बूंद से तुझे अमर कर देती हूँ।। फ़ना होकर भी, वो अमर हो गई, सागर के आँचल में हर याद बस गई। ©नवनीत ठाकुर फना हो कर भी अमर हो गए
फना हो कर भी अमर हो गए
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