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अमित कुमार
ज्ञानी जन मे अंधकार का भला अज्ञान कैसे संभव है तुच्छ समझना औरत को ये अभिमान कैसे संभव है। घर घर की बेटी है लक्ष्मी लक्ष्मी का दूजा नाम श्री श्री बिना किसी पुरूष का भला सम्मान कैसे संभव है।। ©अमित कुमार श्री
Manish Raaj
श्री कृष्ण ------------ मुरली मनोहर सबके हैं सब, ख़ुद के भी नहीं उनका नाता, भक्तों से है सबका, भक्ति से नहीं सब, दर्द में दुआ करे वो, सबके पीड़ हरे व्रत रखो, प्रसाद का भोग करो उस रब की इबादत हर रोज करो खुद की खुदगर्जी में, जिम्मेदारी और ख़ुद्दारी भूले महंगी इमारतें छोड़, कभी अपने जमीं की मिट्टी छू ले मोक्ष की ख़ातिर चारों धाम चले बिन मरे भला, स्वर्ग किसे मिले मनीष राज ©Manish Raaj #श्री कृष्ण
Shree Shayar
बस दिया चाहिए रोशनी के लिए,, वरना वीराने हो चांदनी के लिए,, गुनगुना लेंगे हम बंदगी से कमी,, रह गई ज़िन्दगी रागनी के लिए,, ©Shree Shayar श्री #Reindeer
Shree Shayar
जाने क्या क्या हम से इस दुनियां में दिलबर हुए,, पेंचकस से कुछ तो प्लायर तुम मगर शायर हुए//1 शायरी में बिखरी यह जो तिश्नगी हम ही से क्यूं,, चांद जैसे सुर्ख़ रोशन लफ़्ज़ शब ए सर हुए//2 ग़ौर कीजिए चांद के दामन में हों जो दाग़ भी,, यह वफा ए इश्क़ उलफ़त ए ज़फा से घर हुए//3 हम वफ़ा हैं हम ज़फा हैं दो किनारे दरिया के,, पार हैं हम से नतीजे देखें जब मंज़र हुए//4 देखिए आबाद भी बरबाद ग़ुलशन हर जगह इश्क़ हम से करते हम से प्यार करने पर हुए//5 श्रीधर श्री उज्जैन मध्यप्रदेश ©Shree Shayar श्री #ramadan
Shree Shayar
22--22--22--22--22--22--22--2 देखें तो हर मंजर अपने सर पर अच्छा लगता है,, ढो सकें तो ढोया जाए क्या अक्सर अच्छा लगता है//1 22--22--22--22--22--22--22--2 औक़ात रही चिराग जितनी ज्वाला की पर रोशन,, समझें हम ही से इस दुनिया का सर अच्छा लगता है//2 22--22--22--22--22--22--22--2 आख़िर मुकाम पाया जिसकी ज़द में इसकी शाॅं में श्री ,, झुका हुआ सर बुरा रहा तो भी सर अच्छा लगता है//3 श्रीधर श्री उज्जैन मध्यप्रदेश ©Shree Shayar श्री #HappyRoseDay
Shree Shayar
ख़ूब ही रंग में ख़्वाबों से निकल कर आए,, यह न चाहा था जो आंखो से निकल कर आए//1 तू नहीं देख सका ज़ुस्तज़ू को तेरी हम,, तन बदन पर लिए राहों से निकल कर आए//2 एक मुद्दत से नज़र फेरी थी जिसने वह क्यों,, लौट कर अपनी निगाहों से निकाल कर आए//3 श्री ©Shree Shayar श्री #womeninternational