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Kulvant Kumar
White " अशांत मन ,जीवन में आने वाली खुशियों को भी छीन लेता है" ©Kulvant Kumar #sad_quotes " अशांत मन ,जीवन में आने वाली खुशियों को भी छीन लेता है ll
#sad_quotes " अशांत मन ,जीवन में आने वाली खुशियों को भी छीन लेता है ll
read moreMukesh Poonia
New Year 2025 मैं कामना करता हूं कि इस वर्ष आपको भरपूर सफलता मिले। आशा है कि जीवन के हर क्षेत्र में खुशी और सफलता आपका साथ देगी। आपको और आपके पूरे परिवार को नव वर्ष 2025 की बहुत बहुत शुभकामनाएं! ©Mukesh Poonia #Newyear2025 मैं कामना करता हूं कि इस वर्ष आपको भरपूर सफलता मिले। आशा है कि जीवन के हर क्षेत्र में खुशी और सफलता आपका साथ देगी। आपको और आपके
#Newyear2025 मैं कामना करता हूं कि इस वर्ष आपको भरपूर सफलता मिले। आशा है कि जीवन के हर क्षेत्र में खुशी और सफलता आपका साथ देगी। आपको और आपके
read moreJitendra Giri Hindu
"कठिनाइयाँ हमें मजबूत बनाती हैं।" - यह हमें याद दिलाता है कि चुनौतियाँ हमारे विकास का हिस्सा हैं। ©Jitendra Giri Hindu पॉजिटिव गुड मॉर्निंग कोट्स मोटिवेशनल कोट्स कोट्स इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स हिंदी गुड मॉर्निंग कोट्स कठिनाइयाँ हमें मजबूत बनाती हैं – यह एक
पॉजिटिव गुड मॉर्निंग कोट्स मोटिवेशनल कोट्स कोट्स इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स हिंदी गुड मॉर्निंग कोट्स कठिनाइयाँ हमें मजबूत बनाती हैं – यह एक
read moreधाकड़ है हरियाणा
धाकड़ है हरियाणा
धाकड़ है हरियाणा
धाकड़ है हरियाणा
धाकड़ है हरियाणा
theABHAYSINGH_BIPIN
White मन मेरा अशांत क्यों है भला, आख़िर क्यों है ज़ुबां सिली? कुछ बोलकर भी चुप हूँ मैं, अधरों पर क्यों सवाल खड़ा? नयन रूखे से लगते हैं अब, लबों पर क्यों नहीं मुस्कान भला? एक शोर उठता है, रह-रह कर जो, आख़िर खुद में ही क्यों दबा? ढूंढता हूँ, फिर भागता हूँ, सवालों का कभी जवाब नहीं मिला। गिरता हूँ, उठता हूँ और फिर चलता हूँ, मन में लिए कितने सवाल चला। कितनों से बात की मैंने, कितनों को बेहतर सलाह दी। मिला दे मुझे खुद से या रब से, एक मकसद को डर में फिरा। सुना, गुनाह रब माफ़ करते, मंदिर मस्ज़िद को निकला। माफ़ कर सकूँ पहले खुद को, खुद से मैं अब तक खुद नहीं मिला। ©theABHAYSINGH_BIPIN मन मेरा अशांत क्यों है भला, आख़िर क्यों है ज़ुबां सिली? कुछ बोलकर भी चुप हूँ मैं, अधरों पर क्यों सवाल खड़ा? नयन रूखे से लगते हैं अब, लबों प
मन मेरा अशांत क्यों है भला, आख़िर क्यों है ज़ुबां सिली? कुछ बोलकर भी चुप हूँ मैं, अधरों पर क्यों सवाल खड़ा? नयन रूखे से लगते हैं अब, लबों प
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