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SumitGaurav2005

मैं सूर्यपुत्र होते हुए भी,
सूत पुत्र कहलाया थ। 
कुंती माँ मुझे जना तू ने, 
परन्तु राधेय कहलाया था। 
कर्ण दानवीर होते हुए भी,
सबसे तिरस्कार पाया था।
ऐसी क्या तेरी विवशता थी,
जो तूने मुझे ठुकराया था।
✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😎

©SumitGaurav2005 #कर्ण  #karna #महाभारत #Mahabharat #Mahabharata #Sumitgaurav2005 #sumitkikalamse #sumitgaurav #sumitmandhana #Epic

dilkibaatwithamit

#WoNazar दिल में घाव सा कर जाती हैं उनकी निगाहें....! मुड़ मुड़ कर देखने वाले जब देखकर मुड़ जाते हैं...!!@nojoto

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दिल में घाव सा कर जाती हैं उनकी निगाहें....!

मुड़ मुड़ कर देखने वाले जब देखकर मुड़ जाते हैं...!!

©dilkibaatwithamit #WoNazar दिल में घाव सा कर जाती हैं उनकी निगाहें....!

मुड़ मुड़ कर देखने वाले जब देखकर मुड़ जाते हैं...!!@nojoto

सूरज

#समय पर्याप्त हैं

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White हमारे पास समय पर्याप्त हैं, बस उसका सही से इस्तेमाल करना आना चाहिए। ✍🏻

©सूरज #समय पर्याप्त हैं

मिहिर

#हम हैं

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White जैसे मिलते हो खुद से
वैसे ही मिलो मुझसे
जैसे करते हो बातें खुद से
करो वही बातें तुम मुझसे

अगर कहूं साफ साफ

दुनियादारी अब है कही पीछे
और अब हूं मैं दूर कही आगे 

अब जहां मुझे 
फर्क दिखता नहीं
फर्क देखना नहीं
तो मुझे 
बनना नहीं 
बनाना नहीं

उलट कर पलट कर
वो जो तुम हो 
अब वहीं मैं हूं
जो मैं हूं 
वहीं तुम हो !!

©मिहिर #हम हैं

- Arun Aarya

#lovelife #परे हैं

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Unsplash 05-01-2025

उनके  ताम  झाम , तौर  तरीके , और काम काज  से परे हैं !

ये आजकल की ऑनलाइन मोहब्बत समझ और समाज से परे हैं..!!

- अरुन आर्या

©- Arun Aarya #lovelife #परे हैं

हिमांशु Kulshreshtha

याद करते हैं..

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ये सोच कर ही 
आपको हर घड़ी 
हम याद करते रहते हैं,
भुला पायें आपको 
शायद कोई ऐसा 
रास्ता मिल जाए

©हिमांशु Kulshreshtha याद करते हैं..

NOTHING

Narender Kumar

जलते घर को देखने वालो।

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Avinash Jha

कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था,
दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था।
धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन,
सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन।

व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया,
भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया।
मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ,
किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ?

पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना,
पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना?
जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए,
आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए।

"हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई,
जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई।
क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा,
जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?"

अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल,
धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल।
कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से,
"जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है।

हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो,
धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो।
यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है,
तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है।

©Avinash Jha #संशय
#Mythology  #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun

neelu

White सबको अपने अपने नाम याद रखने चाहिए 
मां बाप ने बहुत प्यार से रखे हैं

©neelu #love_shayari #हैं
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