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Ashish
मैं गया था सोचकर बातें बचपन की होगी, दोस्त मुझे अपनी तरक्की सुनाने लगे...!!!* *मैं गया था #सोचकर....* *बातें #बचपन की होगी,* *#दोस्त मुझे अपनी...* *#तरक्की सुनाने लगे...!!!*
Ankit
आज जमाने में कैसी आग लगी। हमको रुलाने वाली आज खुद रो पड़ीं। ©Ankit वो भी किसी कयामत की रात से कम न था। जब आँख उनकी नम थी,और जल मैं गया था। #alone
RA poetry
मैं गया था शहर की शाम देखने शाम को धुआं होते देखा रोशन थे गलियारे जिस नूर से नूर-ए-आफ़ताब को ग़ुलाम होते देखा नज़र थी चारों ओर पर नज़र में कोई नहीं ऐसी गुमनामी का बेनाम सफ़र देखा सिगरेट के कश में आंखे पिघल रही थी बेहिसाब मैंने उन आंखों को बच कर निकलते देखा दोस्त मिले तो थे उस नुक्कड़ पर मुझे कदम न बढ़ा सका डर गया था जब हत्यारों से हाथ मिलाते देखा ©RA poetry मैं गया था शहर की शाम देखने शाम को धुआं होते देखा रोशन थे गलियारे जिस नूर से नूर-ए-आफ़ताब को ग़ुलाम होते देखा नज़र थी चारों ओर पर नज़र में कोई न
24priyanka_Awara_Badal
चरित्रहीन औरत चरित्रहीन औरत मैं तलाश रहा हूँ एक चरित्रहीन औरत पर मैं हैरान हूँ… !!!! वो मुझे आज तक मिली नहीं.. ऐसा भी नहीं है कि
Varun Singh Katiyar
आओ तुम्हें संवार दू मैं कुछ देर तो बैठो आगोश में तेरी जुल्फें संवार दू मैं आंखो में कैद करके दिल में उतार लूं मैं आओ तुम्हें संवार दू मैं आओ तुम्हें संवार दू मैं कुछ देर तो बैठो आगोश में तेरी जुल्फें संवार दू मैं आंखो में कैद करके दिल में उतार लूं मैं आओ तुम्हें संवार दू मैं
तेजस
आज फिर मैं गया था उसी झील के किनारे जहाँ बैठ कर तुम डूबते सूरज को देखती थी और मैं डूबा रहता था तुम्हारी झील सी आँखों में उन आँखों के कौतूहल में तैरती सूरज की लाली मदहोश सी कर देती थी मुझे गंवारा नहीं था तुम्हारा पलकें झपकना भी के वो खलल डालती थी बेवजह जब डूब चुका होता था सूरज अपना तमाम हुस्न बटोर कर दूर कहीं पहाड़ो के पीछे अपने पीछे बिखेर कर सारा हुस्न तुम्हारे चेहरे पर तभी जो आती थी वो परछाईं तैरती हुई तुम्हारी आँखों में वो हल्की सी लहर उदासी भरे बादल के शायद तुम्हें अच्छा नहीं लगता था वो बिछड़ना सूरज का फ़िज़ा से (पूरी कविता कैप्शन में पढ़ें) आज फिर मैं गया था उसी झील के किनारे जहाँ बैठ कर तुम डूबते सूरज को देखती थी और मैं डूबा रहता था तुम्हारी झील सी आँखों में उन आँखों के कौतूहल
Asad BEDIL
गया था मै तुझसे दुर बहुत कुछ पाने के लिए ……….पर सिवाए तेरी यादो के कुछ हासिल ना हुआ ,, गया था मैं #बहुत दूर