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@Amarjeet Kumar shaksena
हमे तो हमारे अपने ने कहा की की हुनर नही है तुम मे अब गैरो से कहलवाया काफी हुनहार हूं मैं कितने गैर जिमदार नाराय से दिल तोड़ा था मेरा अब मेरे कामयाबी के जिमदार तुम्हे हि हों...!! Amar shaksena ©@Amarjeet Kumar shaksena पानी को कसकर पकोरोगे तो वो हाथ से छूट जायेगा उसे बहने दो वो अपना रास्ता खुद बना लेगा..!
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Sai Angel Shaayari
कोई भी मैरिज हो, शादी के बाद नवदंपति अलग रहें. लड़की तो अपने बाप का घर छोड़ती ही है, लड़का भी अपने बाप का घर छोड़े. अलग किराये के घर पर रहें, जब तक दोनों अपनी कमाई से अपना घर नहीं बना लेते. जब किसी भी तरफ के मां बाप गंभीर बीमार पड़ें तो दोनों अपनी सुविधा व फुरसत के हिसाब से जाकर देखभाल कर दें. जब वे स्वस्थ हो जाएं तो दोनों अपने घर वापस आ जाएं. 24 घंटे व 365 दिन मां बाप के साथ रहना जरूरी नहीं. ©Sai Angel Shaayari कोई भी मैरिज हो, शादी के बाद नवदंपति अलग रहें. लड़की तो अपने बाप का घर छोड़ती ही है, लड़का भी अपने बाप का घर छोड़े. अलग किराये के घर पर रहें, जब
PRIYANKA GUPTA(gudiya)
Anjali Singhal
writer....Nishu...
Autumn मुस्कराहट झूठी सही मगर चहेरे को सजा देती हैं मोहब्बत अगर सच्ची है तो जिन्दगी जन्नत वरना जीते जी जहन्नुम बना देती हैं दो पल की हो या अज़ल की खुदा की इबादत हर इंसान को नायाब बना देती हैं सुर्ख़ रू की चाहत हो अगर दिलों जान से तो सारी कायनात इसे आपसे मिला देती हैं ©writer....Nishu... #बना देना
Ravendra
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
घर से निकली गोपियाँ , लेकर हाथ गुलाल । छुपते फिरते हैं इधर , देख नगर के ग्वाल ।। लेकर हाथ गुलाल से , छूना चाहो गाल । आज तुम्हारी चाल का , पूरा रखूँ खयाल ।। आये कितनी दूर से , देखो है ये ग्वाल । हे राधा छू लेन दो , यही नन्द के लाल ।। हर कोई मोहन बना , लेकर आज गुलाल । मैं कोई नादान हूँ , सब समझूँ मैं चाल ।। भर पिचकारी मारते , हम भी तुझे गुलाल । तुम बिन तो अपनी यहाँ , रहती आँखें लाल ।। रिश्ता :- रिश्ता अपना भी यहाँ , देखो एक मिसाल । छुपा किसी से है नही , हम दोनो का हाल ।। रिश्ते की बुनियाद है , अटल हमारी प्रीति । क्या तोड़ेगा जग इसे , जिसकी उलटी रीति ।। रिश्ते में हम आप हैं , पति पत्नी का रूप । मातु-पिता को मानते , हैं हम अपने भूप ।। रिश्तों की बगिया खिली , तनय उसी के फूल । लेकिन उनमें आज कुछ , बनकर चुभते शूल ।। एक रंग है रक्त का , जीव जन्तु इंसान । जिनका रिश्ता ये जगत , जोड़ गया भगवान ।। रिश्ता छोटा हो गया , पति पत्नी आधार । मातु-पिता बैरी बने , साला है परिवार ।। ०७/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR घर से निकली गोपियाँ , लेकर हाथ गुलाल । छुपते फिरते हैं इधर , देख नगर के ग्वाल ।। लेकर हाथ गुलाल से , छूना चाहो गाल । आज तुम्हारी चाल का