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KHEMPAL SISODIYA MOTIVATIONAL
স্বান্তির পথ
Neena Jha
ए देश मेरे, ए मेरे वतन, तुझे सजाने का मैं करूँ जतन, तेरी ख़ातिर दुनिया छोड़ें, हम वतनपरस्त, तेरी माटी से उपजा 'मैं', तुझमें मेरा अंत, तुझ पर मर मिटने को तत्पर मेरा सर्वस्व, हर बेटी को दूँ नाम मान औ शिक्षा, ऐसा हो तेरा वर्चस्व, मुझे गर्व है मैं भारतीय हूँ, मग़र अफ़सोस, तेरी अभागिनी पुत्री हूँ, रोज़ द्रौपदी बनती, कहीं बँटती मौन पांचाली सी हूँ। ए देश मेरे, ए मेरे वतन, तुझे सजाने का मैं फिर भी करूँ जतन। 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 जय हिंद जय हिन्दू भारत 🇮🇳 ©Neena Jha #IndependenceDay आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 #neverendingoverthinking #नीना_झा #जय_श्री_नारायण #स्वतंत्रता_
N S Yadav GoldMine
उन समस्त श्रेष्ठ महारथियों के मन मैं उस समय क्या दशा हुई थी वीर ! पढ़िए महाभारत !! 📖📖 महाभारत: स्त्री पर्व विंष अध्याय: श्लोक 18-35 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📜 उन क्रूरकर्मा कृपाचार्य, कर्ण और जयद्रथ को धिक्कार है, द्रोणाचार्य और उनके पुत्र को भी धिक्कार है। जिन्होंने मुझे इसी उम्र में विधवा बना दिया। आप बालक थे और अकेले युद्ध कर रहे थे तो भी मुझे दु:ख देने के लिये जिन लोगों ने मिलकर आपको मारा था, उन समस्त श्रेष्ठ महारथियों के मन उस समय क्या दशा हुई थी? वीर। 📜 आप पाण्डवों और पान्चालों के देखते-देखते सनाथ होते हुए भी अनाथ की भांति कैसे मारे गये। आपको युद्धस्थल में बहुत से महारथियों द्वारा मारा गया देख आपके पिता पुरुषसिंह वीर पाण्डव कैसे जी रहे हैं? कमलनयन। प्राणेष्वर। पाण्डवों को यह विशाल राज्य मिल गया है, उन्होंने शत्रुओं को जो पराजित कर दिया है, यह सब कुछ आपके बिना उन्हें प्रसन्न नहीं कर सकेगा। 📜 आर्यपुत्र। आपके शस्त्रों द्वारा जीते हुए पुण्य लोकों में मैं भी धर्म और इन्द्रिय संयम के बल से शीघ्र ही आऊंगी। आप वहां मेरी राह देखिये। जान पड़ता है कि मृत्यु काल आये बिना किसी का भी मरना अत्यन्त कठिन है, तभी तो मैं अभागिनी आप को युद्ध में मारा गया देखकर भी अबतक जी रही हूं। 📜 नरश्रेष्ठ। आप पितृलोक में जाकर इस समय मेरी भी तरह दूसरी किस स्त्री को मन्द मुस्कान के साथ मीठी वाणी द्वारा बलायेंगे? निश्चय ही स्वर्ग में जाकर आप अपने सुन्दर रूप और मन्द मुस्कान युक्त मधुर वाणी के द्वारा वहां की अप्सराओं के मन को मथ डालेंगे। 📜 सुभद्रानन्दन। आप पुण्य आत्माओं के लोकों में जाकर अप्सराओं के साथ मिलकर विहार करते समय मेरे शुभ कर्मों का भी स्मरण किजियेगा। वीरं इस लोक में तो मेरे साथ आपका कुल छह महिनों तक ही सहवास रहा है। सातवें महिने में ही आप वीरगति को प्राप्त हो गये। 📜 इस तरह की बातें कहकर दु:ख में डूवी हुई इस उत्तरा को जिसका सारा संकल्प मिट्टी में मिल गया है, मत्स्य राज विराट के कुल की स्त्रियां खींचकर दूर ले जा रही हैं। शोक से आतुर ही उत्तरा को खींचकर अत्यंत आर्त हुई वे स्त्रियां राजा विराट को मारा गया देख स्वंय भी चीखने और विलाप करने लगी हैं। 📜 द्रोणाचार्य के बाणों से छिन्न-भिन्न हो खून से लथपथ होकर रणभूमि में पड़े हुए राजा विराट को ये गीध, गीदड़ और कौऐ लौंच रहे हैं। विराट को उन विहंगमों द्वारा लौंचे जाते देख कजरारी आंखों वाली उनकी रानियां आतुत हो होकर उन्हें हटाने की चेष्टा करती हैं पर हटा नहीं पाती हैं। 📜 इन युवतियों के मुखार बिन्दु धूप से तप गये हैं, आयास और परिश्रम से उनके रंग फीके पड़ गये हैं। माधव। उत्तर, अभिमन्यु, काम्बोज निवासी सुदक्षिण और सुन्दर दिखाई देने वाले लक्ष्मण- ये सभी बालक थे। इन मारेगये बालकों को देखो। युद्ध के मुहाने पर सोए हुए परम सुन्दर कुमार लक्ष्मण पर भी दृष्टिपात करो। ©N S Yadav GoldMine #GarajteBaadal उन समस्त श्रेष्ठ महारथियों के मन मैं उस समय क्या दशा हुई थी वीर ! पढ़िए महाभारत !! 📖📖 महाभारत: स्त्री पर्व विंष अध्याय: श्लो
words_of_heart_pa
तुम ऐसा करना कि कोई जुगनू कोई सितारा सँभाल रखना मिरे अँधेरों की फ़िक्र छोड़ो बस अपने घर का ख़याल रखना उजाड़ मौसम में रेत-धरती पे फ़स्ल बोई थी चाँदनी की अब उस में उगने लगे अँधेरे तो कैसा जी में मलाल रखना बिछड़ने वाले ने वक़्त-ए-रुख़्सत कुछ इस नज़र से पलट के देखा कि जैसे वो भी ये कह रहा हो तुम अपने घर का ख़याल रखना ©words_of_heart_pa तुम ऐसा करना कि कोई जुगनू कोई सितारा सँभाल रखना मिरे अँधेरों की फ़िक्र छोड़ो बस अपने घर का ख़याल रखना उजाड़ मौसम में रेत-धरती पे फ़स्ल बोई
एक इबादत
शान ए हिन्दुस्तान लौह पुरूष श्री सरदार वल्लभ भाई पटेल सुना और माना होता तो भारत का भूगोल और इतिहास आज दोनों अलग होता लौह पुरूष की नीति सार से आज के भारत का विस्तार अलग होता जूनागढ़,हैदराबाद की
Nik Katara
हालात कुछ ऐसे हैं कि पूछ नहीं सकता, कहाँ खोई है? क्योंकि यह दूरीयों कि फसल मैंने ही बोई है, वक्त आ गया है काट लूं यह फसल, अगर देर कि तो नुकसान बड़ा होने वाला है। हालात कुछ ऐसे हैं कि पूछ नहीं सकता, कहाँ खोई है? क्योंकि यह दूरीयों कि फसल मैंने ही बोई है, वक्त आ गया है काट लूं यह फसल, अगर देर कि तो नुकस
Hrishabh Trivedi
DDLJ 2.0 Chapter 5:- पंखुड़ी शेष भाग 👉 #hr_ddlj (पहले उन्हें पढ़े) डाइनिंग टेबल पर लंच करने के लिए तीनों सीता, गीता और सुनीता अर्थात सिमरन, छुटकी और नव्या बैठे हुए हैं।
Anindya Dey
.. अब इतना तो होता है यूं कहे जो, अनजाने सही ऐब को पाल रहा वो.. .. क्या दूध का दूध पानी का पानी हो, हैरत क्या कुदरती यों ही अता रहें वो.. .. तुम अपनी कहो क्या पाक साफ हो, बग़ैर दावा हक करे जो समझे सही वो.. ..🌱खुशामदीद..💞 🌱आपको बांग्ला नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाऐ..💝