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F M POETRY

#newyearresolutions दर्द-ओ-ग़म....

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New Year Resolutions जैसे हर साल गुज़र जाता है..

दर्द-ओ-ग़म क्यों गुज़र नहीं जाते..

यूसुफ़ आर खान.

©F M POETRY #newyearresolutions दर्द-ओ-ग़म....

Anuj Ray

# दर्द ओ ग़म "

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White दर्द ओ ग़म"

उनसे बिछड़ने का दर्द ओ ग़म 
ज़िगर से आज तक कभी गया ही नहीं।


कुछ लोग दर्द ओ ग़म की दवा ढूंढने 
लगते हैं, हमें इस क़ाबिल कोई जचा ही नहीं

©Anuj Ray # दर्द ओ ग़म "

{**श्री राधा **}

ओ आसमान वाले जमी पर उतर के देख.....🥹💔

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Anjali Singhal

"रू-ब-रू तुमसे हुए हैं जब से। ख़्वाब-ओ-ख़्याल में खोए हैं तब से।।" #AnjaliSinghal #Shayari #shayaristatus #status #statusvideo #Video vir

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Mayuri Bhosale

#ओ पहली मुलाकात

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White ओ पहली मुलाकात.....

दिल मे दबी हुई वो हसी 
लगती है हमे आँखो मे अभी भी वैसी ही फसी
सब कुछ लुटा दिया है हमने तुम पर 
मगर दिल धडकते ही आ जाते है होशपर 
आप को देखा तो ऐसा लगा की उडणे लगे है हवा में 
वैसे तो चाॅंद तारे शामिल है हमारे मिलन के गॅंवा में
कुछ तो खास थी आप में वो बात 
याद आती है हमें ओ पहली मुलाकात ओ पहली मुलाकात.

©Mayuri Bhosale #ओ पहली मुलाकात

Sunita Pathania

NOTHING

RAMLALIT NIRALA

जो याद आते है ओ दिल के बहूत खास होते है

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neelu

#sad_quotes #yesterday I #Saw a few episodes of the #Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God...

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White Yesterday I saw a few episodes 
of the Mahabharat series 
and today all I can say is
विजय भव .....कल्याण हो..
Thank God...

©neelu #sad_quotes #Yesterday I #saw a few episodes 
of the #Mahabharat series 
and today all I can say is
विजय भव .....कल्याण हो..
Thank God...

Avinash Jha

कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था,
दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था।
धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन,
सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन।

व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया,
भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया।
मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ,
किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ?

पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना,
पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना?
जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए,
आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए।

"हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई,
जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई।
क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा,
जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?"

अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल,
धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल।
कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से,
"जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है।

हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो,
धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो।
यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है,
तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है।

©Avinash Jha #संशय
#Mythology  #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
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