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Mukesh Tyagi
जब जब तू मेरे सामने आती है तेरी प्यासी नज़रों को देख मेरी दिल की तमन्नाओ में तुझे पाने की चाहत बढ जाती है मैं कुछ कह नहीं पाता हूँ तुझे पाने की चाहत में मैं पागल हो जाता हूँ तू सब कुछ समझते हुए भी क्यूँ नादान बन जाती है जब तू मेरे सामने आती है तेरी प्यासी नज़रों को देख मेरे दिल की तमन्नाओ में तुझे पाने की चाहत बढ जाती है ©Mukesh Tyagi जब जब तू मेरे सामने आती है #Thoughts
kushal suthar
Kiran Chaudhary
तू मेरे सामने है, क्या नज़ारा है, ये पानी की बूंदों का खेल है सनम, तेरा मेरा मिलना कोई आम बात नही, ये राधा और कृष्णा का मेल है सनम।। ©Kiran Chaudhary तू मेरे सामने है, क्या नज़ारा है, ये पानी की बूंदों का खेल है सनम, तेरा मेरा मिलना कोई आम बात नही, ये राधा और कृष्णा का मेल है सनम।। #barish
Das Sumit Malhotra Sheetal
Irshad Alam
Ankur tiwari
जिंदगी की मोड़ पर कोई ऐसा बा मसला हो जाए जो दरम्यान हैं हमारे कम वो फासला हो जाए तू मेरे सामने बैठे और मैं तुझे निहारता रहू या खुदा मेरे संग कुछ ऐसा फलसफा हो जाए ©Ankur tiwari #Sukha जिंदगी की मोड़ पर कोई ऐसा बा मसला हो जाए जो दरम्यान हैं हमारे कम वो फासला हो जाए तू मेरे सामने बैठे और मैं तुझे निहारता रहू या खुदा
NASAR
फ़ना हो जा या फिर 'नेस्तनाबूद' हो, या तो फिर बहोत दूर कहीं 'तू चला जा', नफ़रत सी हो गई है तेरे नापाक च़ेहरे से मुझे,अब तू मेरे सामने कभी मत आ! फ़ना हो जा या फिर 'नेस्तनाबूद' हो, या तो फिर तू बहोत दूर कहीं तू चला जा, नफ़रत सी हो गई है तेरे नापाक च़ेहरे से मुझे,अब तू मेरे सामने कभी म
Himmat Singh
तेरे कान मेरी पहुंच से बहुत दूर है कैसे बताऊं में अभी-अभी मेरे ज़हन में तेरे लिए उतरी है ग़ज़ल कैसे सुनाऊं में। कई बार तू मेरे सामने ही होती है तुझे सुना देता हूं पर बार-बार ऐसी कल्पना को कैसे बनाऊं में हिम्मत सिंह writing# thinking # Punjabi poetry# Hindi poetry# Urdu poetry# तेरे कान मेरी पहुंच से बहुत दूर है कैसे बताऊं में अभी-अभी मेरे ज़हन में तेरे
Mizaj Allahabadi
मेरी आंखें खोजती रहती है तुझे तू मेरे सामने होकर भी दिखती नहीं है वैसे तो खोज लू लाखों की भीड़ में तुझे पर तू जाना भीड़ में कभी रहती नहीं है! मुद्दतों बाद फ़िर से हुआ है इश्क़ मुझे वरना मेरी ज़ुबा शायरों जैसी बातें करती नहीं है मैं परीक्षा की घड़ी में लिख रहा हूं तुझपे गज़ले और तू है की फुर्सत में भी याद करती नहीं है ! ~ मिज़ाज इलाहाबादी ✍️ ©Mizaj Allahabadi मेरी आंखें खोजती रहती है तुझे तू मेरे सामने होकर भी दिखती नहीं है वैसे तो खोज लू लाखों की भीड़ में तुझे पर तू जाना भीड़ में कभी रहती नहीं
Himanshu Chaturvedi
तेरे लबों की खिलखिलाहट , तेरी आंखों की मस्ती , तेरे चेहरे की मासूमियत , तेरी घनी जुल्फ़ों के वो पेंच ये सब कितने हसीं हैं... ....कितने हसीं हैं तुझे दिल भर के देखूं.. ..फ़िर भी ये दिल ना भरे तू कितनी लाज़वाब... ......कितनी मेहज़बीं है और ख़ुदा कुछ ऐसा करे.. ... के उम्र भर बस तुझे ही देखता रहूं.. ..... ख़ुदा कुछ ऐसा करे के.. ....सारी उम्र बस तुझे ही निहारता रहूं तेरी चांदनी सी खूबसरती देख.. ... मन ही मन मुस्कुराता रहूं और जब उम्र गुजरने में हो.... .....तू मेरे सामने हो आखरी बार तुझे देखूं... ....और आहिस्ता आहिस्ता.. ...तुझ पे जान निसार-ता रहूं तेरे लबों की खिलखिलाहट , तेरी आंखों की मस्ती , तेरे चेहरे की मासूमियत , तेरी घनी जुल्फ़ों के वो पेंच ये सब कितने हसीं हैं... ....कितने हसी