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Parasram Arora
कोई पुरखो को पानी पहुंचा रहा हैँ कोइ गंगाओ मे पाप धो रहा हैँ कोई पथर की प्रतिमाओं के सामने बिना भाव सर झुकाये बैठा हैँ धर्म के नाम पर हज़ार तरह की मूढ़ताएं प्रचलन मे हैँ धर्म से संबंध तो तब होता हैँ जब आदमी जागरण की गुणवत्ता हासिल कर लेता हैँ जहाँ जागरण होगा वहा अशांति कभी हो ही नहीं सकती क्यों कि जाग्रत आदमी विवेकी होता हैँ इर्षा क्रोध की वृतियो से ऊपर उठ चुका होता हैँ औदेखा जाय तो धर्म औऱ शांति पर्यायवाची शब्द हैँ धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ
Sangeeta Patidar
मन के विश्वास से दुःख-दर्द के बादल छँट जायेंगे, होगी ख़ुशियों की बरसात, अच्छे फिर पल आयेंगे। अपनों का प्यार और आशीर्वाद कम ना समझना, ऐसे ही धीरे-धीरे हरे-भरे सावन उम्मीद के पायेंगे। Rest Zone आज का शब्द 'बादल' #rzmph #rzmph199 #बादल #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #yqdidi #rzhindi
Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
Sangeeta Patidar
सुनो! बादल और बरखा सा अंदाज़ ले आओ तुम एहसास में, मिलो कभी-कभी मगर गहरे हों जज़्बात हमारी इस तलाश में। चुरा रही हूँ आज पूरे हक़ से मैं तुम्हारी ही कही ये बातें पुरानी, उम्र-क़ैद से कम सज़ा ना दिलवाना, ढूँढ़ना छोड़े सबूत पास में। और हाँ! बहल भी मत जाना दिल की मासूम सी मुस्कुराहट से, तुम और तुम्हारी बातें ही मिलेंगी, यहाँ बिखरे हर-एक क़ाश में। भरोसा नहीं है ज़िंदगी का, रूह से रूह का रिश्ता निभाना तुम, हों जैसे भी हालात, मजबूरियाँ, देखूँगी तुम्हें खिलते पलाश में। कुछ बातें कहने की नहीं, समझने के लिए भी होती है 'धुन', बनकर नई उम्मीद और हौसला बढ़ती रहूँगी साथ विश्वास में। क़ाश- Piece Rest Zone आज का शब्द- 'बादल' #rzmph #rzmph142 #बादल #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #yqdidi #rzhindi
manoj kumar jha"Manu"
धरती का दुःख क्यों, समझते नहीं तुम। धरा न रही अगर, तो रहोगे नहीं तुम।। सुधा दे रही है वसुधा हमें तो, भू को न बचाया, तो बचोगे नहीं तुम।। "भूमि हमारी माता, हम पृथिवी के पुत्र"* वेदवाणी कह रही, क्या कहोगे नहीं तुम।। (स्वरचित) * माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या: (अथर्ववेद १२/१/१२) धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा। इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।
Dr. Vishal Singh Vatslya
मेरे शब्दों पर ना जाना आवारा बादल हूं, बिन बात बरस जाता हूं... शब्दों से अटूट रिश्ता है मेरा जो समझ आता, मन भाता लिख जाता हूं... "वात्सल्य" ©Dr. Vishal Singh Vatslya #शब्द #रिश्ता #बादल #वात्सल्य_एक_अनकहा_एहसास #vatslya_ek_ankha_ehsas
m kalvadiya
मै अपनी मां के लिए बादल में छिपे उस चांद सी हो गई कि मै उस बादल में छिपे चांद सी हो गई क्युकी अब में ससुराल की हो गई ©m kalvadiya बादल का चांद