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AJAY NAYAK
चिड़िया रानी चिड़िया रानी चिड़िया रानी आ जाओ मेरी खिड़की की जाली पर आ जाओ एक कटोरी में भरकर रखी हूं चावल एक कटोरी में भरकर रखी हूं नीर जब भी लगे तुम्हें जोर जोर से भूख जब भी लगे तुम्हें जोर जोर से प्यास जब करे मन तुम्हारा, आकर खा जाओ जब करे मन तुम्हारा, आकर पी जाओ चिड़िया रानी चिड़िया रानी आ जाओ मेरी खिड़की की जाली पर आ जाओ देखो बनाई हूं, छोटी सी झोपड़ी एक साथ में बनाई हूं, छोटी सी पलंग एक जब भी लगे जोर जोर से तेज धूप जब भी लगे जोर जोर से तेज थकान जब करे मन तुम्हारा, आकर थम जाओ जब करे मन तुम्हारा, रात बिता जाओ चिड़िया रानी चिड़िया रानी आ जाओ मेरी खिड़की की जाली पर आ जाओ हर तरफ बस मचा है चिल पोल का शोर मीठे मधुर आवाजें हो गई है हमसे बहुत दूर आकर जरा, अपनी मीठी सी सुमधूर आवाज़ में अपनी रसभरी चूं चूं का गीत तुम सुना जाओ कोलाहल से भरे पड़े, हमारे घर आंगन में अपनी मीठी मीठी मिश्री सी धून घोल जाओ चिड़िया रानी चिड़िया रानी आ जाओ मेरी खिड़की की जाली पर आ जाओ –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #Birds चिड़िया रानी चिड़िया रानी चिड़िया रानी आ जाओ मेरी खिड़की की जाली पर आ जाओ एक कटोरी में भरकर रखी हूं चावल एक कटोरी में भरकर रखी हूं
AJAY NAYAK
अजय नायक ‘वाशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #धून अपनी ही धून में फिरता रहता हूं फिर क्यों करूं फिकर किसी की इस धून को देने वाले भी तो वही हैं! –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ Disha Sethi Ji Lali
Nisheeth pandey
शीर्षक - बहती हवाँ और मैं 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ दृश्य यूँ था काली घटा से आसमान ढका था बहती हवाँ शीतल मन ले कर शीतलता से ,भाव विभोर कर रहीं थी छत की ऊंची दीवार पे चढ़, बहती हवाँ संग रोमांचित मन हो रहा था मानो बहती हवाँ में विलुप्त था, तृप्त मन हो रहा था बहती हवाँ आगोश के भवँर में लपेट रहीं थी मन मुग्ध तन चंचल हल्की फुल्की बारिश बूँदों की सिहरन मेरे मन ने पुझा ऐ हवाँ तुम रोज यूँ ही मिलते क्यों नहीं बहती हवाँ की तेज बहाव करीब आ कर बड़े अदब से कहा- मैं रोज तुम्हारे करीब से गुजरती ,ये और बात तुम मुलाक़ात नहीं करते ?” हवाँ ने कहा - जब तुम आसमानों में बादलों की चित्रकारी देखते वहां दृष्टिकोण में मैं ही हूँ। भीनी माटी की सुगन्ध तुम तक पहुँचती वह मैं ही हूँ। खिड़की पर जब बारिश देखते ,तुम तक बारिश की बूँदों को पहुँचाती मैं ही हूँ। सुगन्ध से गुलाब के फूलों से परिचित मैं ही करवाती हूँ। अदरक वाली कड़क मीठी चाय से महक धूएँ बन तुम तक आती मैं ही हूँ । तुम्हारे पसंदीदा गानों की धून बन कर मैं ही आती हूँ । शर्ट के टूटे हुए बटन में मैं ही उछलती हूँ । तुम्हें खिंच पहाड़ों में मैं ही लाती हूँ। बहते झरनों की आवाज तुम तक मैं ही लाती हूँ। कभी निशीथ पहर में तुम्हें चाँद तक मैं लाती हूँ नदी किनारों में बैठे तुम तुम्हारे पाँव को पानी से मैं ही सहलाती हूँ। मौसम की बहारों का चित्त मैं ही लाती हूँ अभी तुम्हें बारिश की पानी के गीली गीली एहसास मैं ही दिलाऊँगी लेकिन तुम्हें मुझे एहसास करने की फुर्सत कहाँ मिल पाती है 🥰 @निशीथ ©Nisheeth pandey #ChaltiHawaa दृश्य यूँ था काली घटा से आसमान ढका था बहती हवाँ शीतल मन ले कर शीतलता से ,भाव विभोर कर रहीं थी छत की ऊंची दीवार पे चढ़, बहती ह
HARIOM SINGH PARMAR JI
अगर कोई व्यक्ति किसी भी तरह से अपने आप को एकदम अलग विचार से देखता है तो वह अपनी नैतिक जिम्मेदारी बधा हुआ है और यह भी कहा जाता है कि वह अपनी नैतिक मूल्यों को बनाए रखना चाहता है और यह सब देख कर वो अपनी इच्छा को पूर्ण रूप से एक भी बाल ऊऐ सकता है लेकिन शायद पल पल घर में कोई भी चीज की कोशिश करता रहता है लेकिन यह सच है कि वह अपने आप को रोक नहीं सकता ऐसा ही किया जा सकता है ©Hariom Singh Parmar #snowfall विचार से सहमत हो तो आप इस लिंक से डाऊनलोड कर लें।
अनिता कुमावत
ये जो बेवजह फिक्र करने की आदत मेरी इस पर हँसी आती है अब तो ! सोचती हूँ सबके बारे में कुछ ज्यादा ही इस पर हँसी आती है अब तो !! जब कोई कहता है साथ हूँ तुम्हारे मैं अपना हूँ यकीन करो ! बातें उसकी प्यारी -प्यारी , मीठी -मीठी इस पर हँसी आती है अब तो !! सब कहते हैं "अनु" मुस्कुराती बहुत हो उन्हें क्या खबर ! ये जो जिन्दगी दर्द -ओ-गम देती इस पर हँसी आती है अब तो !! हर एक पल का, हर एक अच्छे-बुरे अनुभव का अपना मज़ा है। और एक वक़्त के बाद जब उन्हें याद किया जाए तो मज़ा और भी बढ़ जाता है। #हँसीआतीहै #collab कर
सुसि ग़ाफ़िल
तेरी याद में मैं रो-रो कर वक्त काट रही हूं , बेहिसाब आंसुओं की मैं नस काट रही हूं। तू आए इस इंतजार में मैं धून बन गई हूं, तेरी यादों के सहारे मैं जाल बन रही हूं । बेचैन हर पल रहती हूं मैं गीत सुन रही हूं, एक दो तीन और मैं आख़री सांस गिन रही हूं। तेरी आवाज सुनने के लिए मैं बिल्कुल तरस रही हूं, छूएं तेरी उंगलियां कमर को मैं बिल्कुल तड़प रही हूं। ख़्याल करो मेरा मैं हद से ज्यादा बेसुध हो रही हूं, आ जाओ जल्दी मैं यौवन की उम्र में बंजर हो रही हूं। तेरी याद में मैं रो-रो कर वक्त काट रही हूं , बेहिसाब आंसुओं की मैं नस काट रही हूं। तू आए इस इंतजार में मैं धून बन गई हूं, तेरी यादों के सहा
atrisheartfeelings
कहते थे हम न बदलेंगे कभी जरा सी हवा क्या उल्टी चली सारा जमाना बदल गया मोहब्बत की लय में ! हम तो बहते चले गए ... निग़ाहों को झुका कर बस , तुम्हारे होते चले गए ... 💕💕💕💕😘😘😘😘😘 मोहब्बत करके ! इश्क के कई रंग देखे
sanjana Bhardwaj
खुद की नादानियों पे.... हर एक पल का, हर एक अच्छे-बुरे अनुभव का अपना मज़ा है। और एक वक़्त के बाद जब उन्हें याद किया जाए तो मज़ा और भी बढ़ जाता है। #हँसीआतीहै #collab कर