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Jashvant
White ज़ोफ़ से आँखों के नीचे तितलियाँ फिरती हुई औज-ए-ख़ुद्दारी से दिल पर बिजलियाँ गिरती हुई लाश काँधे पर ख़ुद अपने जज़्बा-ए-तकरीम की मुल्तजी चेहरे पे लहरें सी उम्मीद-ओ-बीम की इज़्ज़त-ए-अज्दाद के सर पर दमा-दम ठोकरें रिश्ता-ए-आवाज़ पर लफ़्ज़ों की पैहम ठोकरें चहरा-ए-अफ़्सुर्दा पर ठंडा पसीना शर्म का सुस्त नब्ज़ें भीक का लहजे के अंदर ठीकरा क़र्ज़ की दरख़्वास्त की उलझी हुई तक़रीर में कपकपी आसाब की बेचैन दिल की लरज़िशें इक तरफ़ हाजत की शिद्दत इक तरफ़ ग़ैरत का जोश नुत्क़ पर हर्फ़-ए-तमन्ना दिल में ग़ुस्से का ख़रोश जुम्बिश-ए-मिज़्गाँ के ज़ेर-ए-साया नादारी की रात जौहर-ए-इंसानियत जोड़े हुए आँखों में हात साँस दहशत से ज़मीं की आसमाँ रोके हुए मुफ़लिसी मर्दाना लहजे की इनाँ रोके हुए लब पे ख़ुश्की रुख़ पे ज़र्दी आँख शर्माई हुई चश्म ओ अबरू में ख़ुदी की आग कजलाई हुई नफ़स में शेराना तेवर आरज़ू रूबा-मिज़ाज एहतियाज ओ एहतियाज ओ एहतियाज ओ एहतियाज! ©Jashvant मुफ़लिस एक 'नज्म' Geet Sangeet Rajdeep Anupma Aggarwal Neema Ek Alfaaz Shayri
मुफ़लिस एक 'नज्म' Geet Sangeet Rajdeep Anupma Aggarwal Neema Ek Alfaaz Shayri #Life
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White Minds are like parachutes. They only function when open. ©Jashvant Mind process Rakesh Srivastava Geet Sangeet Dr.Mahira khan Mukesh Poonia Neema
Mind process Rakesh Srivastava Geet Sangeet Dr.Mahira khan Mukesh Poonia Neema #Life
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White मिरे रब की मुझ पर इनायत हुई कहूँ भी तो कैसे इबादत हुई हक़ीक़त हुई जैसे मुझ पर अयाँ क़लम बन गया है ख़ुदा की ज़बाँ मुख़ातिब है बंदे से परवरदिगार तू हुस्न-ए-चमन तू ही रंग-ए-बहार तू मेराज-ए-फ़न तू ही फ़न का सिंघार मुसव्विर हूँ मैं तू मिरा शाहकार ये सुब्हें ये शामें ये दिन और रात ये रंगीन दिलकश हसीं काएनात कि हूर-ओ-मलाइक वो जिन्नात में किया है तुझे अशरफ़-उल-मख़्लुक़ात मिरी अज़्मतों का हवाला है तू, तू ही रौशनी है उजाला है तू , फ़रिश्तों से सज्दा भी करवा दिया, कि तेरे लिए मैं ने क्या न किया ये दुनिया जहाँ बज़्म-आराईयाँ, ये महफ़िल ये मेले ये तन्हाइयाँ फ़लक का तुझे शामियाना दिया, ज़मीं पर तुझे आब-ओ-दाना दिया मिले आबशारों से भी हौसले, पहाड़ों में तुझ को दिए रास्ते ये पानी हवा और ये शम्स-ओ-क़मर, ये मौज-ए-रवाँ ये किनारा भँवर ये शाख़ों पे ग़ुंचे चटख़्ते हुए, फ़लक पे सितारे चमकते हुए ये सब्ज़े ये फूलों-भरी क्यारियाँ, ये पंछी ये उड़ती हुई तितलियाँ ये शो'ला ये शबनम ये मिट्टी ये संग, ये झरनों के बजते हुए जल-तरंग ये झीलों में हँसते हुए से कँवल, ये धरती पे मौसम की लिक्खी ग़ज़ल ये सर्दी ये गर्मी ये बारिश ये धूप, ये चेहरा ये क़द और ये रंग-रूप दरिंदों चरिन्दों पे क़ाबू दिया, तुझे भाई दे कर के बाज़ू दिया बहन दी तुझे और शरीक-ए-सफ़र, ये रिश्ते ये नाते घराना ये घर कि औलाद भी दी दिए वालदैन, अलिफ़ लाम मीम काफ़ और ऐन ग़ैन ये अक़्ल-ओ-ज़हानत शुऊ'र-ओ-नज़र, ये बस्ती ये सहरा ये ख़ुश्की ये तर और इस पर किताब-ए-हिदायत भी दी, नबी भी उतारे शरीअ'त भी दी ग़रज़ कि सभी कुछ है तेरे लिए, बता क्या किया तू ने मेरे लिए ©Jashvant इबादत मेरे रब की ADV.काव्या मझधार Chanda Yogita Agarwal Diksha Singh Neema
इबादत मेरे रब की ADV.काव्या मझधार Chanda Yogita Agarwal Diksha Singh Neema #Life
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White ख़िरद-मंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है कि मैं इस फ़िक्र में रहता हूँ मेरी इंतिहा क्या है ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है मक़ाम-ए-गुफ़्तुगू क्या है अगर मैं कीमिया-गर हूँ यही सोज़-ए-नफ़स है और मेरी कीमिया क्या है नज़र आईं मुझे तक़दीर की गहराइयाँ इस में न पूछ ऐ हम-नशीं मुझ से वो चश्म-ए-सुर्मा-सा क्या है अगर होता वो 'मजज़ूब'-ए-फ़रंगी इस ज़माने में तो 'इक़बाल' उस को समझाता मक़ाम-ए-किबरिया क्या है नवा-ए-सुब्ह-गाही ने जिगर ख़ूँ कर दिया मेरा ख़ुदाया जिस ख़ता की ये सज़ा है वो ख़ता क्या है ©Jashvant मेरी इम्तिहा क्या है PФФJД ЦDΞSHI Geet Sangeet Neema Satyaprem Upadhyay Dr Imran Hassan Barbhuiya
मेरी इम्तिहा क्या है PФФJД ЦDΞSHI Geet Sangeet Neema Satyaprem Upadhyay Dr Imran Hassan Barbhuiya #Life
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White या रब फ़लक से ऊँचा इस देश को उठा दे मेरे चमन को सब से अच्छा चमन बना दे इज़्ज़त बड़ों की करना छोटों से प्यार करना दुनिया की सारी अच्छी बातें हमें सिखा दे मंज़िल नसीब करना गुमराही से बचाना जो सीधे रास्ते हैं उन पर हमें चला दे महफ़ूज़ रखना शाख़ें बुलबुल के आशियाँ की इस गुल्सिताँ में या रब फूल अम्न के खिला दे हर फूल हर कली की करता रहूँ हिफ़ाज़त जन्नत से इस चमन का माली मुझे बना दे बढ़ते हुए अँधेरे नफ़रत के ख़त्म कर के हर दिल में एकता की इक शम्अ फिर जला दे हर पेड़ इस चमन का फूले फले हमेशा गहवारा शांति का या रब इसे बना दे ©Jashvant #Dosti#अच्छा चमन बना दे Shilpa priya Dash Andy Mann Neema Geet Sangeet Chanda
Jashvant
हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समुंदर मेरा किस से पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ कई बरसों से हर जगह ढूँढता फिरता है मुझे घर मेरा एक से हो गए मौसमों के चेहरे सारे मेरी आँखों से कहीं खो गया मंज़र मेरा मुद्दतें बीत गईं ख़्वाब सुहाना देखे जागता रहता है हर नींद में बिस्तर मेरा आइना देख के निकला था मैं घर से बाहर आज तक हाथ में महफ़ूज़ है पत्थर मेरा ©Jashvant नींद में बिस्तर मेरा narendra bhakuni Preeti Kumari Neema SEJAL Rajdeep
नींद में बिस्तर मेरा narendra bhakuni Preeti Kumari Neema SEJAL Rajdeep #Life
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क़फ़स-नसीबों का उफ़ हाल-ए-ज़ार क्या होगा फिर आ रही है चमन में बहार क्या होगा दिल-ओ-जिगर पे लिए होंगे ज़ख़्म कितनों ने कोई हमारी तरह दिल-ए-फ़िगार क्या होगा इसी ख़याल से मैं अर्ज़-ए-शौक़ कर न सका हया से रंग-ए-रुख़-ए-ताब-दार क्या होगा बहार दे न सकी एक फूल को भी निखार ख़िज़ाँ के साथ है रंग-ए-बहार क्या होगा फ़सुर्दा लाला-ओ-गुल हैं रविश रविश है उदास चमन में ऐसे में जश्न-ए-बहार क्या होगा ख़दंग-ए-नाज़ ने कुछ इस तरह किया ज़ख़्मी जो दिल के ज़ख़्म हैं उन का शुमार क्या होगा कभी की टूट गई आस रात भीग गई किसी के आने का अब इंतिज़ार क्या होगा ©Jashvant #chaand Nîkîtã Guptā Sonia Anand unnti singh Laxmi Singh Neema
Jashvant
जब से तू ने मुझे दीवाना बना रक्खा है संग हर शख़्स ने हाथों में उठा रक्खा है उस के दिल पर भी कड़ी इश्क़ में गुज़री होगी नाम जिस ने भी मोहब्बत का सज़ा रक्खा है पत्थरो आज मिरे सर पे बरसते क्यूँ हो मैं ने तुम को भी कभी अपना ख़ुदा रक्खा है अब मिरी दीद की दुनिया भी तमाशाई है तू ने क्या मुझ को मोहब्बत में बना रक्खा है पी जा अय्याम की तल्ख़ी को भी हँस कर 'नासिर' ग़म को सहने में भी क़ुदरत ने मज़ा रक्खा है ©Jashvant अपना बना रखा है Geet Sangeet vineetapanchal Andy Mann Neema Parul (kiran)Yadav
अपना बना रखा है Geet Sangeet vineetapanchal Andy Mann Neema Parul (kiran)Yadav #Life
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मुरझा के काली झील में गिरते हुए भी देख सूरज हूँ मेरा रंग मगर दिन-ढले भी देख काग़ज़ की कतरनों को भी कहते हैं लोग फूल रंगों का ए'तिबार ही क्या सूँघ के भी देख हर चंद राख हो के बिखरना है राह में जलते हुए परों से उड़ा हूँ मुझे भी देख दुश्मन है रात फिर भी है दिन से मिली हुई सुब्हों के दरमियान हैं जो फ़ासले भी देख 'आलम में जिस की धूम थी उस शाहकार पर दीमक ने जो लिखे कभी वो तब्सिरे भी देख तू ने कहा न था कि मैं कश्ती पे बोझ हूँ आँखों को अब न ढाँप मुझे डूबते भी देख उस की शिकस्त हो न कहीं तेरी भी शिकस्त ये आइना जो टूट गया है इसे भी देख तू ही बरहना-पा नहीं इस जलती रेत पर तलवों में जो हवा के हैं वो आबले भी देख बिछती थीं जिस की राह में फूलों की चादरें अब उस की ख़ाक घास के पैरों-तले भी देख क्या शाख़-ए-बा-समर है जो तकता है फ़र्श को नज़रें उठा के नक्श कभी सामने भी देख ©Jashvant नज़रे उठा के देख ज़हर Dil Ki Talash Rajni Geet Sangeet Neema
नज़रे उठा के देख ज़हर Dil Ki Talash Rajni Geet Sangeet Neema #Life
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