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Ajay Kumar Jain
REETA LAKRA
प्रेम के रंग में रंगे रहो एक बार जो चढ़ गया रंग इसका एक बार जो रंग गए इस रंग में होता है यह इतना पक्का चढ़ गया तो छूटता नहीं यह तन से रंगे रहोगे तुम, असर होगा दूसरों पर पहले होगा यह रंग चिकना तुम पर दमकेगा यह रंग पक्का समय के साथ कुछ खरोंचें आएँगी रंग उतरने लगेगा कुछ और समय बाद पपड़ियाँ निकलेंगी कुछ अधिक समय बाद दरारें पड़ेगी उसके बाद गड्ढे दिखेंगे और उसके बाद मरम्मत के गांठ भी नजर आएंगे पर यह रंग प्यार का रंग है इतनी आसानी से छुटकारा नहीं मिलता मैं तो कहती हूँ प्यार के रंग में रंगे रहो रंगे रहो रंगे रहो २६२/३६६ रंग हो तो ऐसा पक्का। प्रेम के रंग जैसा सच्चा। गाढ़ा हो या हल्का, फर्क नहीं पड़ता। #प्रेम yreeta-lakra-9mba
Deepak Aggarwal
पहले बंद आंखों से भी तुम्हें देख लेता था, अब खुली आंखों मे भी दिदार नहीं होता, हुर्फ- ऐ-महोब्बत दिल पे लिखा नहीं गाढ़ा है, क्यू मुझे तुम्हार
✍..Parth Mishra
इतना गाढ़ा तब भी उतर गया " ख़ून के रिश्ते तुझ पे लानत है ! #NojotoQuote इतना गाढ़ा तब भी उतर गया " ख़ून के रिश्ते तुझ पे लानत है ! ---------------------------------------------------------- Itna gadha tabhi Utar
Ashutosh Mishra
सब रंग फीके प्रेम रंग गाढ़ा। इतिहास साक्षी है इसका,, राधा का कृष्ण से प्रेम, मीरा का श्याम से प्रेम। सीता का राम से प्रेम,हनुमान का राघव से प्रेम। इतिहास साक्षी है इसका,, सति का शिव से प्रेम, पार्वती का शंकर से प्रेम। रति का कामदेव से प्रेम, इंसान का काम से प्रेम। इतिहास साक्षी है इसका,,, भाई का बहन से प्रेम, बहन का भाई से प्रेम। माता पिता का संतान से प्रेम। वर्तमान साक्षी है इसका,,,, अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻 ©Ashutosh Mishra #Colors सुर नार मुनि सब कर यह रीति, स्वर्थ लागि करहिं सब प्रिती।। सब रंग पीके प्रेम रंग गाढ़ा,,, इतिहास साक्षी है इसका।। NojotoHindi NojotoE
VR Sufi Shayar
VR Sufi Shayar
Harshita Dawar
लाल नीला पीला झील में गढ़ता नारंगी गहरा गाढ़ा काला क्या रंग है तुम्हारा जज़्बात ए हर्षिता लाल नीला पीला झील में गढ़ता नारंगी गहरा गाढ़ा काला क्या रंग है तुम्हारा ....….................... अब जानना हैं कुछ पढ़ना हैं आसान है या मुश
अनुराग चन्द्र मिश्रा
Love and Courage इश्क़ इश्क़ जब होता है तब होता है, कोख़ से कांधे तक वास्ता रहता है, ये इश्क़ है जो हर रंग-रूप में होता है,, इक छोर तक जब गुज़र जाते हैं कहीं सब, वो इश्क़ आख़री कदम बस क़रीब रहता है,, गाढ़ा हो या हल्का इसे क्या फ़िक्र ज़माने की, हर अख्लात में ताउम्र असफाक रहता है,, ये ख्वाबीदा नहीं कोई अखज इसके मुक़ाबिल भी नहीं, इक रूह में उस रूह की इनायत हमेशा बसर होती है,, ए ज़िंदगी ये इश्क़ कहां कहीं मेहरूम होने देता है| इश्क़ इश्क़ जब होता है तब होता है, कोख़ से कांधे तक वास्ता रहता है, ये इश्क़ है जो हर रंग-रूप में होता है,, इक छोर तक जब गुज़र जाते हैं कहीं
Dr Upama Singh
“हरसिंगार” सागर मंथन से प्राप्त हुआ ये दिव्य पौधा मांँ सीता ने वनवास में गूंथ श्रृंगार किया था धन्य हो उठा ये पारिजात का पौधा तब नाम हुआ इसका हरसिंगार अनुशीर्षक में उठो जब भोर में आश्विन के महीने में चारहूंँ ओर खुशबू बिखरे पारिजात के फूल ने पूरा वातावरण माहौल खुशनुमा हो जाए ठंडी ठंडी हवा के झोंके ओस की