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Anil Siwach
Abeer Saifi
किसका डर है तुम्हें कौन है डरा रहा है, कुछ मुझे भी खौफ़ है मगर ज़रा रहा है اا बंदिशें हैं बहोत और लगाम है कसी हुई, मैं अश्व हूँ दौड़ का आँगन क्यों चरा रहा है اا खून में उबाल है जोश-ए-जां बेमिसाल है, रंग दिल का लाल है मगर शजर हरा रहा है اا इस मिलावटों के दौर में नफ़रतों का तौर है, बेवफ़ा कहतें हैं इश्क़ में 'अबीर' खरा रहा है اا अश्व - घोड़ा, शजर - पेड़ #cinemagraph #yqquotes #yqtales #yqlife #yqlove #yqdidi #yqthoughts #yqdiary
Abeer Saifi
किसका डर है तुम्हें कौन है डरा रहा है, कुछ मुझे भी खौफ़ है मगर ज़रा रहा है اا बंदिशें हैं बहोत और लगाम है कसी हुई, मैं अश्व हूँ दौड़ का आँगन क्यों चरा रहा है اا खून में उबाल है जोश-ए-जां बेमिसाल है, रंग दिल का लाल है मगर शजर हरा रहा है اا इस मिलावटों के दौर में नफ़रतों का तौर है, बेवफ़ा कहतें हैं इश्क़ में 'अबीर' खरा रहा है اا अश्व - घोड़ा, शजर - पेड़ #cinemagraph #yqquotes #yqtales #yqlife #yqlove #yqdidi #yqthoughts #yqdiary
Abhishek 'रैबारि' Gairola
क्यों ठहर जाए बंजारा, क्यों मिल जाए उसे घर बियाबां में रहने दो सवार उसे आज़ाद अश्व पर। ©Abhishek 'रैबारि' Gairola क्यों ठहर जाए बंजारा, क्यों मिल जाए उसे घर बियाबां में रहने दो सवार उसे आज़ाद अश्व पर। ।। #Life #Hindi #writer #shayri #Nojoto #couplet #
अंदाज़ ए बयाँ...
हर गधे की तमन्ना है, वो भी दौड़े रेस में। धर्म कर्म से सारे ख़च्चर, रहें अश्व के भेस में। दिल में इनके लड्डू फूटे, विष पीने की बात करें। खेल बनाके देश को अपने, जनता का विश्वास बने। रविकुमार हर गधे की तमन्ना है, वो भी दौड़े रेस में। धर्म कर्म से सारे ख़च्चर, रहें अश्व के भेस में। दिल में इनके लड्डू फूटे, विष पीने की बात करें। खेल ब
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📇जीवन की पाठशाला 🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की मनुष्य के दिमाग में दो अश्व(घोड़े ) दौड़ लगाते रहते हैं -एक सफ़ेद अश्व जो सकारात्मकता का प्रतीक है परन्तु अधिकांशतः मनुष्य इसकी सवारी बहुत कम करता है और दूसरा पूर्ण काला अश्व जो नकारात्मकता का प्रतीक है और अमूमन ये अश्व मनुष्य के दिलो दिमाग पर ज्यादातर सवार रहता है ..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की अगर वाकई किसी भी इंसान को सत्य को देखना -खोजना है तो एकांत में अपने ह्रदय के अंदर अपने सब गुनाहों -गलतियों को सामने रखते हुए-अपने आप को अपने समस्त विकारों से निवस्त्र करते हुए ही दीदार हो पायेगा अन्यथा जीवन भर भटकना ही पड़ेगा ..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की अगर आप चोरी -फरेब -धोखे से अर्जित आय को धर्म कार्यों -पुण्यों में भी लगाओगे तो पुण्य उसे ही मिलेगा जिससे तुमने धोखे -फरेब और चोरी से धन अर्जित किया है ..., आखिर में एक ही बात समझ आई की Housewife (गृहिणी) मतलब घर की Google ,अगर ये Google तरीके से search ना करे तो यकीन मानिये ना बच्चों की स्कूल ड्रेस -जूते -टिफिन मिलें -ना ही पतिदेव को नाश्ता या प्रेस की हुई ड्रेस या फाइल और ना ही अम्मा बाउजी को समय पर दवा ,फिर भी ये क्या सुनती है की -नहीं ये कुछ नहीं करतीं -घर पर ही रहतीं हैं - House Wife हैं ,जरा सोचिये ....? बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा 🙏सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरुरी ...! 🌹सुप्रभात🙏 स्वरचित एवं स्वमौलिक "🔱विकास शर्मा'शिवाया '"🔱 जयपुर-राजस्थान ©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️📇जीवन की पाठशाला 🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की मनुष्य के दिमाग में दो अश्व(घोड़े ) दौड़ लगाते रहते हैं -एक सफ़ेद अश्व जो सकारात्मकता का प्र
vishwadeepak
Abhishek 'रैबारि' Gairola
प्रकृति भी अद्भुत है। एक ऐसा स्थान जहां कंक्रीट के जंगल बसे हुए हैं, जहां प्रकृति को योग्य श्रद्धा नहीं मिलती, जहां हम इस पौराणिक और मूलभूत शक्ति से अनभिज्ञ हैं, जहां डांबर के पथ पर बख़्तर के अश्व दौड़ते हैं, जहां सूर्यास्त होने के बाद भी चौंधियाने वाला प्रकाश मौजूद रहता है, वहीं यह महान शक्ति हमें अथम कर मितव्ययिती प्रदान करती है। ©Abhishek 'रैबारि' Gairola प्रकृति भी अद्भुत है। एक ऐसा स्थान जहां कंक्रीट के जंगल बसे हुए हैं, जहां प्रकृति को योग्य श्रद्धा नहीं मिलती, जहां हम इस पौराणिक और मूलभूत
Poetry with Avdhesh Kanojia
विरह कवित्त- 3 ........……………… राघव नमामि राम रघुवर मेरी सुनो शांति संग सुख ने भी मुख देखो मोड़ा है। खण्डित हृदय मम किया पुष्प दल सम जैसे नीर प्रवाह ने भूमि खण्ड तोड़ा है। पीड़ा करती है क्रीड़ा मेरा उपहास कर दुःख रूपी अश्व मेरे रथ संग जोड़ा है। हृदय विदीर्ण कर स्वप्न सब क्षीण कर शोक अस्त्र समय ने दिल पर छोड़ा है।। #विरह #alone #loneliness #brokenheart #love #life #poetry विरह कवित्त- 3 ........……………… राघव नमामि राम रघुवर मेरी सुनो शांति संग सुख ने भ
Poetry with Avdhesh Kanojia
विरह कवित्त- 3 ........……………… राघव नमामि राम रघुवर मेरी सुनो शांति संग सुख ने भी मुख देखो मोड़ा है। खण्डित हृदय मम किया पुष्प दल सम जैसे नीर प्रवाह ने भूमि खण्ड तोड़ा है। पीड़ा करती है क्रीड़ा मेरा उपहास कर दुःख रूपी अश्व मेरे रथ संग जोड़ा है। हृदय विदीर्ण कर स्वप्न सब क्षीण कर शोक अस्त्र समय ने दिल पर छोड़ा है।। ✍️अवधेश कनौजिया© ©Avdhesh Kanojia #alone #Loneliness #broken_heart #Broken #Heart #Love #poem #Poet #विरह #प्रेम विरह कवित्त- 3 ........……………… राघव नमामि राम रघुवर मेरी सुन