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Anokhi

#BemisaalKahaniya # प्लीज इसे पूरा सुनें..! #साधना जी,संजू जी,राम कुमार जी,मंजूर भाई,मंजू जी, सिद्धार्थ भाई..

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PФФJД ЦDΞSHI

#साधना जी #pujaudeshi }{}{ PREET }{}{ gaTTubaba R Ojha प्रशांत की डायरी Tapan Raul Niaz (Harf) एक अजनबी Miss Meenu वंदना .... Shourya Prat #विचार

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Pooja Udeshi

my upcoming show,,Tribute to साधना my upcoming liveshow based on साधना जी songs her life story, love life, her top फिल्म्स, all we discuss h

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hi friends 🥰✌️🙏🏼

©POOJA UDESHI my upcoming show,,Tribute to साधना my upcoming liveshow based on साधना जी songs her life story, love life, her top फिल्म्स, all we discuss h

Pooja Udeshi

5sep 5.30 pm sunday my upcoming liveshow based on biopic, tribute to Madhu bala, i booked and repost your liveshow now its your turn to book

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Thank u Suraj Parmar for liking and repost all my posts 🥰✌️♥️🙏🏼shukriya ji🙏🏼👏🏻

©POOJA UDESHI 5sep 5.30 pm sunday my upcoming liveshow based on biopic, tribute to Madhu bala, i booked and repost your liveshow now its your turn to book

Pooja Udeshi

5sep 5.30 pm sunday my upcoming liveshow based on biopic, tribute to Madhu bala, i booked and repost your liveshow now its your turn to book #AugustCreator

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अज्ञात

#रत्नाकर कालोनी पेज-4 उनको सलाम कर कथाकार आगे चला तो संदीप जी के निवास पर ध्यान जा पहुंचा.. जहाँ संदीप जी सूर्यनमस्कार की प्रतीक्षा में आसम #प्रेरक

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पेज-4
उनको सलाम कर कथाकार आगे चला तो संदीप जी के निवास पर
 ध्यान जा पहुंचा.. जहाँ संदीप जी सूर्यनमस्कार की प्रतीक्षा में 
आसमान की ओर निहार रहे थे हाथ में कागज़ कलम शोभायमान थी, 
मानो कोई रचना की प्रेरणा हो रही हो... आगे बढ़ते हुये कथाकार ने
 देखा जे पी साहब जो अपनी प्रकृतिवादी कविताओं के लिये नोजोटो
 में ख़ासी पहचान रखते हैं वो प्रकृतिप्रेम में निमग्न अपने आँगन की 
फुलवारी में लगे पुष्पगुच्छों को संवार रहे हैं, कथाकार आगे चला तो
 चंद्रवती जी सुबह सुबह देव आराधना में निमग्न "राम रक्षा स्त्रोत" का 
पाठ कर रहे थे जो बरबस ही कथाकार के पैरों को बढ़ने नहीं दे रहा था,
 किन्तु समयाभाव के कारण कथाकार ने दूर से ही प्रभु वंदना कर आगे 
बढ़ चला.. वहीं साधना जी अपने टेबल पर शैक्षणिक गतिविधियों में रत
 दीख पड़ीं.. अब कथाकार अपने राजदुलारे मानक के घर तक आ पहुंचा..
 मानक जो गऊ सेवा में तत्लीन रहता है, जिसे अपने घर में ही वैकुण्ठ
 नज़र आता है सुबह उठते ही अपने घर को चमकाते हुये बार बार अपना 
चन्द्रमुख शीशे में देख रहा है.. कहीं कोई पिम्पल तो नहीं आ गया, शायद
 वैवाहिक स्वप्न अब मानक को सताने लगे हों...! कथाकार जोर से 
हंस पड़ा और आगे बढ़ता चला..एक के बाद एक अपने सभी अपनों हिमांशु
,आनंद,संदीप जी शब्बीर,शाम्भवी,अर्श जी,  रूह जी, प्रिया गौर,
प्रिया दुबेके साथ नवागंतुक रचनाकार जिन्होंने भी इस कॉलोनी में
 अपना निवास चयन किया उन तमाम रचनाकारों के फ्लेट से विचरण/
निरीक्षण कर अंततः कथाकार अपनी कालोनी का दिव्य आनंद लेते हुये 
अपने निवास तक आ पहुंचा।
अब आगे-5

©R. Kumar #रत्नाकर कालोनी 
पेज-4
उनको सलाम कर कथाकार आगे चला तो संदीप जी के निवास पर ध्यान जा पहुंचा.. जहाँ संदीप जी सूर्यनमस्कार की प्रतीक्षा में आसम

अज्ञात

#रत्नाकर कालोनी पेज-10 माँ- बेटा आप सबको मेरा बहुत बहुत आशीर्वाद है.. पिता जी- हाँ बेटा आप सबने पहली बार में ही दिल में अपनी खास जगह बना #प्रेरक

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पेज-10

माँ- बेटा आप सबको मेरा बहुत बहुत आशीर्वाद है.. 
पिता जी- हाँ बेटा आप सबने पहली बार में ही दिल में 
अपनी खास जगह बना ली है..अब आयेगा मानक की 
शादी में असली आनंद.. ! 
बड़ेभैया- आनंद नहीं पापा, परम आनंद..!
सभी एक साथ- जे बात.. 😂😂😂🤗🤗🤗
तभी सब घर को जाने को दरवाज़े से बाहर आने को हुये तो माँ ने 
पुष्पा जी का हाथ पकड़ लिया और भावुक होते हुये कहा-बेटा माँ
 के गले नहीं लगोगे क्या..!
इतना सुनते ही सभी भावविभोर हो गये मानो सबको एक साथ 
अपनी माँ की छवि उस माँ में दिख गई.. पुष्पा जी की आँखें भर आईं 
और वो माँ से लिपट गईं,, तब माँ ने अपनी तीन और बेटियों को भी
 अपनी ममता की गोद में समेट लिया...! 
सारा परिवार इस अंजान रिश्ते की प्रेम पराकाष्ठा से सजल हो गया..! 
कथाकार इस दृश्य को कुछ देर और देखना चाहता था किन्तु अगले
 दृश्य भी आगे प्रतीक्षा में थे सो... 

[सभी को देर हो रही थी इसलिए शॉर्टकट टर्न लिया और तेजी से घर 
को चले, तभी दिव्या ने पुष्पा दी से कहा- दी जरा उस फ्लेट में देखिये गौर से..!
पुष्पा जी- किधर..!
दिव्या- अर्रे वो पांच फ्लेट एक साथ हैं ना साधना जी वाली रो में.. 
मुझे पता नहीं क्यूँ ऐसा लगता है वो हमारी रुचिका दीदी हैं... 
देखो सुधा दी..!
सुधा-रुचिका.. 🤔 ये नाम तो मैंने अभी कभी सुना है..!
दिव्या-अरे दी आपकी पोस्ट पर उन्होंने अपना नाम नहीं बताया था..? 
सुधा-हाँ रे.. मगर वो इस कालोनी में.. कैसे... कब... !
पुष्पा जी-अर्रे पगलू, दुनिया दिन ब दिन छोटी होते जा रही है. तू तो घर 
से निकलती नहीं है तुझे क्या पता... हो ना हो.. वो रुचिका जी ही हैं..!
राखी जी- अरे हाँ रे दिव्या... ये तो वही हैं heartless rj उर्फ़ रुचिका जी.. 
वाह वाह.. हम तो सब एक ही जगह आने लगे.. हेऐ... ईई रुचिका जी..
 look here..!

©R. Kumar #रत्नाकर कालोनी 
पेज-10

माँ- बेटा आप सबको मेरा बहुत बहुत आशीर्वाद है.. 
पिता जी- हाँ बेटा आप सबने पहली बार में ही दिल में 
अपनी खास जगह बना

अज्ञात

#रत्नाकर कालोनी पेज-69 हम सब भी आपके साथ हैं.. नारी शक्ति ने देखा तो पूरा युवा दल आदेश की पालना में सजग प्रहरी की भांति तैयार मिला.. जोश #प्रेरक

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पेज-69
चंद्रवती जी-क्या बात कही है शालिनी बहना...हम सब एक जुट हो जायें तो क्या मुश्किल है फिर हमारे लिये..  संगठन की शक्ति का चमत्कार आज ही तो देखने मिलेगा...इतने में जोश से भरी दिव्या ने आव देखा ना ताव और  पूजन थाल से कुमकुम निकाला और पुष्पा जी को तिलक लगाकर कहा... नेतृत्व करें दी... !आप पाक कलाप्रवीण हैं..! हम आपके आदेश की प्रतीक्षा में हैं.. 
पुष्पाजी ने कुमकुम की डिब्बी ली और सभी को तिलक किया और कहा.. अभी 10:15मिनट हुआ है रोज का शेड्यूल 12:00 भोजन करने का है.. हमारे सामने एक चुनौती है.. क्या हम सब मिलकर 12:00 बजे तक भोजन बना पायेंगे...! मेरी शेरनियों.. आओ मिशन भोजन पर आगे बढ़ो....!
आगे कैप्शन में.. 🙏

©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी 
पेज-69
हम सब भी आपके साथ हैं.. 
नारी शक्ति ने देखा तो पूरा युवा दल आदेश की पालना में सजग प्रहरी की भांति तैयार मिला.. 
जोश

अज्ञात

#रत्नाकर कालोनी पेज-74 हल्दी मुलाई थारे तेल चढ़ावा,  हल्दी रो मोल चुकावां ला,  उगतेड़ो सूरज रो रंग लागे सुरंगो,  #प्रेरक

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पेज-74
बन्ना गीत जो अपने बन्ना अर्थात दूल्हे को रिझाने की, मनाने की, सजाने संवारने की और उसकी बिरदावली बखान करने की एक बड़ी ही सुहावनी गीत शैली है.. जिनके बिना विवाह आनंद ही नहीं आता.. और सच मानिये तो विवाह में फ़िल्मी गीतों का वो प्रभुत्व आज तक नहीं बन पाया जो बन्ना बन्नी गीतों का सदियों से चला आ रहा है फिर बन्ना गीत की बात हो और हमारी दिव्या बहन पीछे रह जाए ऐसा तो हो नहीं सकता..   बस फिर क्या... ज्यों ही मातृकापूजन को सभी चले.. दिव्या ने शुरु किया अपना बन्ना गीत
आगे कैप्शन में.. 🙏

©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी 
पेज-74
हल्दी मुलाई थारे तेल चढ़ावा, 

हल्दी रो मोल चुकावां ला, 

उगतेड़ो सूरज रो रंग लागे सुरंगो, 

अज्ञात

#रत्नाकर कालोनी पेज-72 दिव्या-और मैं चार के आठ..! राखी जी-और मै क्या बैठी रहूंगी रे दिव्या...! सुधा-अर्रे बाबा आपको हम बैठने कहां देंगे... #प्रेरक

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पेज-72
कथाकार ने देखा ये नये मेहमान थे सारिका जी.. 
ये भी मानक की शादी का इनविटेशन पढ़कर शादी में
 शामिल होने आये हैं.. पांचो ने उन्हें भी अपने स्नेह 
बंधन में बांध लिया..!
पुष्पा जी ने आगे कहा-आप लोग निश्चिन्त रहें मैं ठीक हूं रे, 
इतना समर्पित परिवार जहां हो, वहाँ किसकी मजाल जो 
निग़ाह उठाकर भी देख ले किसी को...  दरअसल मेरे भैया 
बहन इस कड़ीधूप में काम कर रहे हैं तो मैंने सोचा उन्हें 
तरबूज काटकर खिलाऊं जिससे उन्हें शीतलता मिले... बस इसीलिये सुधा और दिव्या को आवाज लगाई...
दिव्या-ऐसे...!
पुष्पा जी-अरे पगलू एक्साइटमेंट में भूल ही गई मैं...! 
चलो चलो अब सबके लिये हम सब मिलकर तरबूज 
काटते हैं और सबको बांटते हैं.. 
मनीषा जी-how sweet.. you are..!
पुष्पा जी-you all too..!
सारिका जी-दी एक छुरी मुझे दीजिये तो जरा.. मै एक 
को दो बनाते जाती हूं.. मनीषा दी दो को चार करते जायेंगे...
आगे कैप्शन में.. 🙏

©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी 
पेज-72
दिव्या-और मैं चार के आठ..!
राखी जी-और मै क्या बैठी रहूंगी रे दिव्या...!
सुधा-अर्रे बाबा आपको हम बैठने कहां देंगे...
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