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Jatav Ji
White सुबह की रोशनी और शाम का चांद कहां चले गए हो मेरे भगवान जय भीम 💙💙💪 ©Jatav Ji #GoodMorning #जय भीम जय संविधान #trending_video
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read moreIndian Kanoon In Hindi
White 52वें संविधान संशोधन पर कानून :- * राजनीतिक दल-बदल लम्बे समय से भारतीय राजनीति का एक रोग बना हुआ था और 1967 से ही राजनीतिक दल-बदल पर कानूनी रोक (एंटी-डिफेक्शन लॉ) लगाने की बात उठाई जा रही थी। अन्ततोगत्वा आठवीं लोकसभा के चुनावों के बाद 1985 में संसद के दोनों सदनों ने सर्वसम्मति से 52वें अमेंडमेंट विधेयक पारित कर राजनीतिक दल-बदल पर कानूनी रोक लगा दी। इसे संविधान की दसवीं अनुसूची में डाला गया। मोटे तौर पर 52वें संविधान संशोधन के इस विधयेक में निम्न प्रावधान किये गए हैं:- * निम्न परिस्थितियों में संसद या विधानसभा के सदस्य की सदस्यता समाप्त हो जाएगी – यदि वह स्वेच्छा से अपने दल से त्यागपत्र दे दे। यदि वह अपने दल या उसके द्वारा अधिकृत व्यक्ति की अनुमति के बिना सदन में उसके किसी निर्देश के प्रतिकूल मतदान करे या मतदान में अनुपस्थित रहे। परन्तु यदि 15 दिनों निम्न परिस्थितियों में संसद या विधानसभा के सदस्य की सदस्यता समाप्त हो जाएगी – के अन्दर दल उसे इस उल्लंघन के लिए क्षमा कर दे तो उसकी सदस्यता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। * निम्न परिस्थितियों में संसद या विधानसभा के सदस्य की सदस्यता बनी रहेगी – यदि कोई निर्दलीय निर्वाचित सदस्य किसी राजनीतिक दल में सम्मिलित हो जाये। यदि कोई मनोनीत सदस्य शपथ लेने के बाद 6 माह की अवधि में किसी राजनीतिक दल में सम्मिलित हो जाये। किसी राजनीतिक दल के विलय पर सदस्यता समाप्त नहीं होगी, यदि मूल दल में कम-से-कम 2/3 सांसद/विधायक दल छोड़ दें। यदि लोकसभा/विधानसभा का अध्यक्ष अपना पद छोड़ देता है तो वह अपनी पुरानी में लौट सकता है, इसको दल-बदल नहीं माना जायेगा। * किसी राजनीतिक दल के विलय की स्थिति को राजनीतिक दल-बदल की सीमा के बाहर रखा गया है। राजनीतिक दल-बदल का कारण राजनीतिक विचारधारा या अन्तःकरण नहीं अपितु सत्ता और पदलोलुपता या अन्य लाभ ही रहे हैं। इस दृष्टि से दल-बदल पर लगाई गई रोक “भारतीय राजनीति को स्वच्छ करने और राजनीति में अनुशासन लाने का एक प्रयत्न” ही कहा जा सकता है। वस्तुतः इस कानून में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और दलीय अनुशासन के बीच संतुलित सामंजस्य बैठाया गया है। * दल-बदल (एंटी-डिफेक्शन) को रोकने की दिशा में यह विधेयक एक शुरुआत ही माना जा सकता है। दल-बदल की स्थिति के पूरे निराकरण के लिए और बहुत कुछ अधिक करना पड़ेगा। राजनीतिक नैतिकता ही इस स्थिति का पूर्ण निराकरण हो सकती है। ©Indian Kanoon In Hindi 52वें संविधान संशोधन पर कानून :-
52वें संविधान संशोधन पर कानून :-
read morebrar saab
भारत में कुल कितने राज्य है ? (A) 28(B) 29(C) 36(D) 15 brar class ©brar saab #भारत में कुल #कितने After है ? (A) 28 (B) 29 (C) 36
Indian Kanoon In Hindi
सूचना का अधिकार अधिनियम कानून :- * सूचना का अधिकार अधिनियम (Right to Information Act) भारत के संसद द्वारा पारित एक कानून है जो 12 अक्तूबर, 2005 को लागू हुआ (15 जून, 2005 को इसके कानून बनने के 120 वें दिन)। भारत में भ्रटाचार को रोकने और समाप्त करने के लिये इसे बहुत ही प्रभावी कदम बताया जाता है। इस नियम के द्वारा भारत के सभी नागरिकों को सरकारी रेकार्डों और प्रपत्रों में दर्ज सूचना को देखने और उसे प्राप्त करने का अधिकार प्रदान किया गया है। जम्मू एवं काश्मीर मे यह जम्मू एवं काश्मीर सूचना का अधिकार अधिनियम 2012 के अन्तर्गत लागू है। * आरटीआई शिकायत :- यदि आपको किसी जानकारी देने से मना किया गया है तो आप केन्द्रीय सूचना आयोग में अपनी अपील / शिकायत जमा करा सकते हैं। * अपनी अर्जी कहाँ जमा करें? :- आप ऐसा पीआईओ या एपीआईओ के पास कर सकते हैं. केंद्र सरकार के विभागों के मामलों में, 629 डाकघरों को एपीआईओ बनाया गया है. अर्थात् आप इन डाकघरों में से किसी एक में जाकर आरटीआई पटल पर अपनी अर्जी व फीस जमा करा सकते हैं. वे आपको एक रसीद व आभार जारी करेंगे और यह उस डाकघर का उत्तरदायित्व है कि वो उसे उचित पीआईओ के पास भेजे। * क्या इसके लिए कोई फीस है? इसे कैसे जमा करें? :- एक अर्ज़ी फीस होती है. केंद्र सरकार के विभागों के लिए यह 10रु. है. हालांकि विभिन्न राज्यों ने भिन्न फीसें रखीं हैं. सूचना पाने के लिए, आपको 2रु. प्रति सूचना पृष्ठ केंद्र सरकार के विभागों के लिए देना होता है. यह विभिन्न राज्यों के लिए अलग- अलग है. इसी प्रकार दस्तावेजों के निरीक्षण के लिए भी फीस का प्रावधान है. निरीक्षण के पहले घंटे की कोई फीस नहीं है लेकिन उसके पश्चात् प्रत्येक घंटे या उसके भाग की 5रु. प्रतिघंटा फीस होगी. यह केन्द्रीय कानून के अनुसार है। * क्या सूचना प्राप्ति की कोई समय सीमा है? :- हाँ, यदि आपने अपनी अर्जी पीआईओ को दी है, आपको 30 दिनों के भीतर सूचना मिल जानी चाहिए. यदि आपने अपनी अर्जी सहायक पीआईओ को दी है तो सूचना 35 दिनों के भीतर दी जानी चाहिए. उन मामलों में जहाँ सूचना किसी एकल के जीवन और स्वतंत्रता को प्रभावित करती हो, सूचना 48 घंटों के भीतर उपलब्ध हो जानी चाहिए। ©Indian Kanoon In Hindi सूचना का अधिकार अधिनियम कानून :-
सूचना का अधिकार अधिनियम कानून :-
read moreShailendra Anand
रचना दिनांक 25 जनवरी दोहजार पच्चीस वार शनिवार समय सुबह पांच बजे ््भावचित्र ् ््निज विचार ् ््शीर्षक ् ।््तेरी रुहानी रुह में अल्फाज़ नगीना लिखने वाले अच्छे ख्यालात की इबादत है,, संविधान में न्याय पाओ मर्यादा में रहो यही सही समय की मर्यादा और प्रतिष्ठा सौगात दी गई है।। राजनीति और धर्मांन्धता और अर्थ व्यवस्था में सुधार समरसता बहुत जरूरी है ्् पच्चीस जनवरी दोहजार पच्चीस अंक शास्त्र में 25बराबर25तारीख और साल में एक समान है। श्रुति स्मृति चिन्ह प्रदान देश में, अवाम में खुशहाली में एक विधान संविधान का आलेख सुलेखा की पूर्व संध्या पर , हम दिलों से पूजा करें जनसेवा ही मानव सेवा है जिसे हम गणतंत्र दिवस कहते हैं,।। माना कि तुम मेरे लिखे शब्दों से सहमति असहमति जताते हुए , जनस्वीकारोक्ति निस्वार्थ भाव को नहीं नकार सकते हो।। यही उत्तेजना यन्त्र तंत्र को मजबूत करने वाले, संविधान विशेषज्ञ दल में शामिल समन्वय समिति द्वारा स्थापित विचार संगोष्ठी में, आन्तरिक रूप से एक अन्तिरम निम्नांकित विषय वस्तु धारा नियमावली पर आपसी सहमति बहस में विचारों का आदान प्रदान करने वाली अग्नि परीक्षा स्वलेखक और सहयोगीयो में, एक सम निदान हेतु सेतुबंध में कुछ मन का अन्तर्द्वंद से सजाया गया जिसे हम अनुसरण करें अंनत आख्यान संहिता दर्शन शास्त्र ज्ञान दर्शन है।। । तथ्यों पर विचार प्रवाह में बह निकले ध्वनि तरंगों में एक गाढे खून पसीने की पीड़ा हो, किसी धनवान का आयना नज़रिया जो भी व्यक्ति पहले इन्सान नागरिक हैं ।। तदपश्यात प्रृथ्वीतले परिभ़मणं लोककल्याणं नरलीला में, जाति, धर्म, भाषा, सम्बन्धी कहावतें से पूजा करने वाले हो सकते है।। जो इन्सान आज अपने विचार व्यक्त आस्था प्रकट कर रहा है, वह उस समय की मर्यादा काल्पनिक दशा का आख्यान व्याख्यान कर रहा हूं। यह जग मग माया मोह ््मद से जलरंहा रहा है,, और यह सुखद अहसास दिया गया जिसे हम देश का संविधान कहते हैं।। यह आज का दर्शन मैं शैलेंद्र आनंद जो देख सकता हूं ,, वह अदभुत झलकियां हकीकत में रचती बसती है । दीप्ति नवल किशोर मेरे दिल में दीपक कलश स्वस्तिक कुंभ राशि में पच्चीस जनवरी दोहजार पच्चीस की सुबह स्वागत में ,, सुंदरता को परखना तन मन को निखारना स्वयं को पढ़कर अभ्यास से मन को लिखने वाले आत्ममंथन को आनंद कहते हैं।। ््कवि शैलेंद्र आनंद ् 25 जनवरी। 2025 ©Shailendra Anand देशभक्ति और देश संविधान में न्याय में देश में अवाम में खुशहाली आती है भक्ति भाव से पुजा करने वाले अच्छे लगते देश भक्ति में संनिहित है वि
देशभक्ति और देश संविधान में न्याय में देश में अवाम में खुशहाली आती है भक्ति भाव से पुजा करने वाले अच्छे लगते देश भक्ति में संनिहित है वि
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White 52वें संविधान संशोधन पर कानून :- * राजनीतिक दल-बदल लम्बे समय से भारतीय राजनीति का एक रोग बना हुआ था और 1967 से ही राजनीतिक दल-बदल पर कानूनी रोक (एंटी-डिफेक्शन लॉ) लगाने की बात उठाई जा रही थी। अन्ततोगत्वा आठवीं लोकसभा के चुनावों के बाद 1985 में संसद के दोनों सदनों ने सर्वसम्मति से 52वें अमेंडमेंट विधेयक पारित कर राजनीतिक दल-बदल पर कानूनी रोक लगा दी। इसे संविधान की दसवीं अनुसूची में डाला गया। मोटे तौर पर 52वें संविधान संशोधन के इस विधयेक में निम्न प्रावधान किये गए हैं:- * निम्न परिस्थितियों में संसद या विधानसभा के सदस्य की सदस्यता समाप्त हो जाएगी – यदि वह स्वेच्छा से अपने दल से त्यागपत्र दे दे। यदि वह अपने दल या उसके द्वारा अधिकृत व्यक्ति की अनुमति के बिना सदन में उसके किसी निर्देश के प्रतिकूल मतदान करे या मतदान में अनुपस्थित रहे। परन्तु यदि 15 दिनों निम्न परिस्थितियों में संसद या विधानसभा के सदस्य की सदस्यता समाप्त हो जाएगी – के अन्दर दल उसे इस उल्लंघन के लिए क्षमा कर दे तो उसकी सदस्यता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। * निम्न परिस्थितियों में संसद या विधानसभा के सदस्य की सदस्यता बनी रहेगी – यदि कोई निर्दलीय निर्वाचित सदस्य किसी राजनीतिक दल में सम्मिलित हो जाये। यदि कोई मनोनीत सदस्य शपथ लेने के बाद 6 माह की अवधि में किसी राजनीतिक दल में सम्मिलित हो जाये। किसी राजनीतिक दल के विलय पर सदस्यता समाप्त नहीं होगी, यदि मूल दल में कम-से-कम 2/3 सांसद/विधायक दल छोड़ दें। यदि लोकसभा/विधानसभा का अध्यक्ष अपना पद छोड़ देता है तो वह अपनी पुरानी में लौट सकता है, इसको दल-बदल नहीं माना जायेगा। * किसी राजनीतिक दल के विलय की स्थिति को राजनीतिक दल-बदल की सीमा के बाहर रखा गया है। राजनीतिक दल-बदल का कारण राजनीतिक विचारधारा या अन्तःकरण नहीं अपितु सत्ता और पदलोलुपता या अन्य लाभ ही रहे हैं। इस दृष्टि से दल-बदल पर लगाई गई रोक “भारतीय राजनीति को स्वच्छ करने और राजनीति में अनुशासन लाने का एक प्रयत्न” ही कहा जा सकता है। वस्तुतः इस कानून में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और दलीय अनुशासन के बीच संतुलित सामंजस्य बैठाया गया है। * दल-बदल (एंटी-डिफेक्शन) को रोकने की दिशा में यह विधेयक एक शुरुआत ही माना जा सकता है। दल-बदल की स्थिति के पूरे निराकरण के लिए और बहुत कुछ अधिक करना पड़ेगा। राजनीतिक नैतिकता ही इस स्थिति का पूर्ण निराकरण हो सकती है। ©Indian Kanoon In Hindi 52वें संविधान संशोधन पर कानून
52वें संविधान संशोधन पर कानून
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी छाँव की पर्दादारी गयी रिश्ते सब टूट गये खिल ना सके इन पतझरो के बाद कैद कही हवा पानी हो गये ठूठ से हम बंजर खड़े है खाद्यपानी नेता चर गये अग्नि परीक्षा देते देते हम ओवरेज की उम्र में चले गये खता जो मैने समझी अब तक साजिशों से ठगे गये है बूँद तक की प्यास के लिये कितने पहरे ईजाद किये गये है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #GoodMorning कितने पहरे ईजाद किये गये है
#GoodMorning कितने पहरे ईजाद किये गये है
read moreHarish Prajapati
Unsplash हमारा अधिकार हमारा कर्तव्य ©Harish Prajapati #leafbook हमारा अधिकार
#leafbook हमारा अधिकार
read moreseema patidar
White एक दिन के इंतजार में कितने दिन गुजर जाते है हमारे इंतजार में कितने दिन गुजर जाते है एक दिन बैठते है दिनों बाद साथ में हम और फिर उस दिन को गुजरे कितने दिन गुजर जाते है। ©seema patidar एक दिन को गुजरे कितने दिन गुजर जाते है
एक दिन को गुजरे कितने दिन गुजर जाते है
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