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Jayesh gulati
#OpenPoetry सुनो चलो एक बार उलझते है फिर से, कुछ तुम कहना कुछ हम कहेंगे ꫰ यूँ मायूस ना बैठो वहा पे तुम गुस्सा करते अच्छे लगते हो, आपने लगते हो ꫰ तुम पतंग, मैं उसमे उलझा मंझा ꫰ सुलाझते है ना इसको, देखो उड़ना है मुझे तुम्हरे साथ चलो एक बार उलझते है फिर से ꫰ एक बार फिर❤ #patang #पतंग #love #मंझा #uljhna
Shree
इस फागुन में रंग लाई प्रेम री इक हंसी की धूप सौंह! इस फागुन में मन लाई प्रेम री, इक गीत पी अनूप सौंह! अनुशीर्षक इस फागुन में... इस फागुन में रंग लाई प्रेम री इक हंसी की धूप सौंह! इस फागुन में मन लाई प्रेम री,
Punit Raja "बेबाक"
Ravendra
Pankaj Singh Chawla
ख़ुशबू तेरे प्यार दी मेरे पिंड दी मिट्टी विच वसदी आ, खेता च महक गुलाबा जेहि मेहकदी आ, पेड़ा दी टहनी थले मंझा जेहा पा के, तेरा मेरिया पट्टा ते सर रख सौणा मैनु आज वी याद ए, माहिया तेरी प्यार भरी नजरा नाल नजरा मिलना, मेरिया उड़दिया जुल्फा नु मेरे मुख तो हटाना, नाले मेरी बुलिया ते उँगला घूमना, जुल्फा दी आड़ विच्च बुलिया नु चूमना, मैनु आज व याद ए, मेरिया तेज़ हुन्दी साह नु अपनी साह नाल मिलौणा, घुट के जफ्फी पा के रूह नु रूह विच समौना, सवेर तो शाम, शाम तो रात, तेरिया बाहाँ विच रात तो दिन दा हो जौना, मैनु आज व याद ए, महिया आज हूण देर ना ला, तेरियां उडीक विच मेरिया अखियां ने, रूह नु प्यास आ तेरी, भीजी बैठी आ तेरे प्यार विच, मैनु बस उडीक तेरी आ।। ख़ुशबू तेरे प्यार दी मेरे पिंड दी मिट्टी विच वसदी आ, खेता च महक गुलाबा जेहि मेहकदी आ, पेड़ा दी टहनी थले मंझा जेहा पा के, तेरा मेरिया पट्टा ते
Ravendra
Divyanshu Pathak
वा लकुटी अरु कामरिया पे राज तिहुँपुर कौ तजिडारुं आठऊ सिद्धि नौऊ निधि कौ सुख नंद की गाय चराय विसारुं ! रसखानि जबहि इन नैननि ते बृज के वन वाग तड़ाग निहारूं कोटिक ये कलधौति के धाम करील की कुंजनि ऊपर वारुं ! 😊🌷#good afternoon 🌷 : मैं बचपन से ही भक्तिकाल के कवि रसखान जी की इन रचनाओं को पसंद करता हूं । इनकी यह रचना ऐसी है जिसमें ब्रजभाषा के साथ अवध