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Instagram id @kavi_neetesh
bharat quotes आज का दिन शहीद दिवस , चालीस शूर शहादत पाए थे । आज का दिन हुआ था दुर्दिन , आतंकी हमले में प्राण गँवाए थे।। हमला किए आतंकी हमलावर , अकस्मात कुकृत्य हमला था । कहाँ से मिला ये ऐसी हिम्मत , जैसे मिला हमारा ही अमला था।। मिलता कैसे दुश्मन को सुराग , हम कहाँ पर और हम कैसे हैं ? अचानक से किसी घर में घुसना, जब सहज रूप हम ऐसे वैसे हैं ।। कोटिशः नमन समस्त शहीदों को , सादर श्रद्धांजली अर्पित करते हैं । परिवार समाज धरा ये तजकर , लंबी ख्याति वे अर्जित करते हैं ।। ©Instagram id @kavi_neetesh विषय: पुलवामा हमला आज का दिन शहीद दिवस , चालीस शूर शहादत पाए थे । आज का दिन हुआ था दुर्दिन , आतंकी हमले में प्राण गँवाए थे।। हमला किए आतंकी
Anil Ray
नज़र की नज़रों का नज़राना था नज़ारे बदल गये 'वों नज़र' कातिल निकली इन आँखों के इशारे बदल गये.. नज़र ही नज़र में हसीं आशियाना बन गया दिल मेरा पाक उस नज़र से मोहब्बत है जिंदगी में सहारे बदल गये.. ©Anil Ray 👁️👁️👁️✨वों नज़र - क्वालिटी✨👁️👁️👁️ एक रोज लड़की वाले आए और रिश्ते की बात करने लगे। "भाई साहब! फोटो तो बहुत अच्छी लगी। अगर लड़का भी देख लेते
Niwas
#letter to father परम पूज्यनीय जन्मदाता,कर्मदाता मुझे बहुत दु:ख होता है ये देख कर कि पैसे के वजह से एक पूरा परिवार नष्ट हो गया है। वक़्त से बड़ा शक्तिशाली, वक
Sarita Shreyasi
चालीस की उम्र में तपिश थी बीस की, एक पर जुनून, दूजे को टीस सौत की। #चालीस का इश्क़#
Shree
अच्छा! तो तुम्हारे प्यार की है उम्र बस इतनी... कमर पर पड़े हैं बल कितने, सिर पर बचे हो बाल जितने, मुंह में गिनों बैठ दांत कितने!! Full piece 👇 अच्छा! तो तुम्हारे प्यार की है उम्र बस इतनी... कमर पर पड़े हैं बल कितने, सिर पर बचे हो बाल जितने, मुंह में गिनों बैठ दांत कि
Arunima Thakur
"किसान की बेटी (सोने की चूडि़याँ)" ( कहानी अनुशीर्षक में पढ़े) किसान की बेटी माँ मेरे जन्मदिन पर नया . . . खाना खाते-खाते मेरे नौ वर्षीय बेटे ने ना जाने कितने सामानों की सूची मुझे पकड
Arunima Thakur
अन्नदाता की पुकार (Read in caption) जी हाँ मैं हूँ, किसान आपका अन्नदाता I जो खुद के बीबी बच्चों के लिए दो जून की रोटी भी नहीं जुटा पाता जो खुद अन्न की कमी से हर रोज फॉसी लगात
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मोहरें पैसो का लालच दे दे कर । व्यापारी धन्धा खूब किए मजदूरों की मजबूरी से सुख चैन भी देखो छीन लिए फल फूल रहा व्यापार वहां नेता उसमें कूद लिए चालीस पे चार भारी हुए मिल भ्रष्टाचार खूब किए गूँगी बहरी बन गई जनता हरखूँ के बैल बना लिए सत्ता और सरकारी नौकर को खाने को खूब दिए पिज्जा बर्गर खाने वाले पानी के बदले खून पिए बढती मँहगाई से देखो रिश्तों मे ऐसी चोट लगी चार कमाते चालीस खाते अब तो बस किताब दिखी रोजगार घटा व्यापार बढा जन पे आत्याचार बढा लेकिन उस पर रोक नही यह चोट बने नासूर नही संभलो अब सत्ता धारी यह खेल और आसान नही हर घर में कल माव वादी हो क्यों करते हो मजबूर इन्हें पैसो का लालच दे देकर सब कुछ इनका लूट लिए व्यापारी धन्धा खूब किए २ २६/०२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मोहरें पैसो का लालच दे दे कर । व्यापारी धन्धा खूब किए मजदूरों की मजबूरी से सुख चैन भी देखो छीन लिए फल फूल रहा व्यापार वहां नेता उसमें कूद
Tushar Jangid
लाल रंग देख ये खयाल तो न आया कभी कैप्शन मुझे नहीं पता लोग क्या सोचते हैं इस बारे में...लोग हंस भी सकते हैं, आखिर स्वतंत्रता का अधिकार मिला है...पर मुझे दुख होता है...ये सोचकर नहीं
Sumeet Pathak
DRIZZLE ! ❣️ DQ : 440 ( चार सौ चालीस ! 😉) Because I Love Drizzles ! 🌧️❣️ ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~