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    PopularLatestVideo

Shiv Sharma

गावो का हाल #ujala #ज़िन्दगी

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तुमने कहा के में आउंगी ना तुम आई ना तुम्हारी याद आई वो तो अच्छा था माचीस थी मेरे पास रात भर जाग के रात बिताई  (बिजली )

©Shiv Sharma गावो का हाल

#ujala

Deepak Sharma

गावो के हालात #WritersMotive #समाज

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Danish Hardoi

मेरा गावो मेरी जिम्मेदारी #NoMoreCorona #हम #Love #thought #Motivation #Ha

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ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

छोडो चोली ओढो चोला गावो याराँ रंग बसंती,,,, ओम भक्त मोहन

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मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

तुम्हे कर गया ना इश्क बर्बाद,🤣 और गीत गावो मोहब्बत के। #Quotes

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तुम्हे कर गया ना इश्क बर्बाद,🤣
और गीत गावो मोहब्बत के।

©Ankur Raaz तुम्हे कर गया ना इश्क बर्बाद,🤣
और गीत गावो मोहब्बत के।

pandeysatyam999

त्वमक्षरं परमं वेदितव्यं त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम्। त्वमव्ययः शाश्वतधर्मगोप्ता सनातनस्त्वं पुरुषो मतो मे।। जिसे जान लेनेपर फिर कुछ भी जनन #nojotophoto

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 त्वमक्षरं परमं वेदितव्यं
त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम्।
त्वमव्ययः शाश्वतधर्मगोप्ता
सनातनस्त्वं पुरुषो मतो मे।। जिसे जान लेनेपर फिर कुछ भी जनन

aneesh babu kotta

🙏🪷नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम् । महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते ।।१।। #Life

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Kiran Bala

घर -घर बाजत , बधैया सखि वो शुभ दिन, आज आयो है मनमोहन मोहन प्यारे ,को सखि सुन जन्म-दिवस,आज आयो है गावो रि मिल, मंगल गीत सखि वो आज, दरस दिखावन #Poetry #Gif #Krishna #Feeling #kavishala #nojotohindi #kalakaksh #hindinama #TST #kiranbala #janmastmi

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घर -घर बाजत , बधैया सखि
वो शुभ दिन आज आयो है
मनमोहन  मोहन प्यारे ,को सखि
सुन जन्म-दिवस,आज आयो है
गावो रि मिल, मंगल गीत सखि
वो आज, दरस दिखावन आयो है
 लीलाधारी   लीला  से , सखि
हिय के कष्ट मिटावन आयो है

 #gif घर -घर बाजत , बधैया सखि
वो शुभ दिन, आज आयो है
मनमोहन मोहन प्यारे ,को सखि
सुन जन्म-दिवस,आज आयो है
गावो रि मिल, मंगल गीत सखि
वो आज, दरस दिखावन

दि कु पां

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम् । हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ 1 ॥ वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं

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करणं मधुरं तरणं मधुरं
हरणं मधुरं रमणं मधुरम् ।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ 5 ॥

गुञ्जा मधुरा माला मधुरा
यमुना मधुरा वीची मधुरा ।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ 6 ॥

गोपी मधुरा लीला मधुरा
युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम् ।
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ 7 ॥

गोपा मधुरा गावो मधुरा
यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा ।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ 8 ॥ अधरं मधुरं वदनं मधुरं
नयनं मधुरं हसितं मधुरम् ।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ 1 ॥

वचनं मधुरं चरितं मधुरं
वसनं मधुरं वलितं

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मैं परिवर्तन चाह रहा हूँ , देखो अपने गाँव रे। फिर बैठ मुसाफिर सुस्ताये , बरगद की उन छाँव रे ।। मैं परिवर्तन चाह रहा हूँ ..... फिर बचपन वाले #कविता

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मैं परिवर्तन चाह रहा हूँ , देखो अपने गाँव रे।
फिर बैठ मुसाफिर सुस्ताये , बरगद की उन छाँव रे ।।
मैं परिवर्तन चाह रहा हूँ .....

फिर बचपन वाले आये दिन , हम जब जाये गाँव रे ।
माँ के आँचल में बैठे हम , लेने शीतल छाँव रे ।।
लेकिन बच्चे अनभिज्ञ हुए , पूछे क्या है गाँव में ।
मैं परिवर्तन चाह रहा हूँ ,...।

बदलो यह परिधान हमारे , लौटा दो संस्कार वह ।
बच्चा-बच्चा माँग रहा है , करके देख पुकार यह ।।
आज धरा की इस मिट्टी से , कर दो मेरा शृंगार रे ।
मैं परिवर्तन चाह रहा हूँ ......

हो गंगा यमुना तहजीबे , मन में सदा मिठास हो ।
जैसे घट का शीलत पानी , शांति कराता प्यास हो ।।
ऐसे इंसानों का मेरे , गावो में हो वास रे ।
मैं परिवर्तन चाह रहा हूँ .....

बरदगद पीपल महुआ से ही , सभी दिशा छाया घनी ।
वहीं फूस के एक तरह के , प्रेम भरी बस्ती बनी ।।
चूँ चूँ करती चिड़िया का फिर , प्रति दिन हो रसगान रे ।
मैं परिवर्तन चाह रहा हूँ ...

मधुर संत की सुंदर वाणी , राम सिया का जाप हो ।
कल-कल बहती गंगा में नित , देखो पश्चाताप हो ।।
पापो से मुक्त रहे नगरी , जग यह ऐसी ठाँव रे ।
मैं परिवर्तन चाह रहा हूँ .....

मैं परिवर्तन चाह रहा हूँ , देखो अपने गाँव रे ।
फिर बैठ मुसाफिर सुस्ताये , बरगद की उन छाँव रे ..।।

३०/०५/२०२३    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मैं परिवर्तन चाह रहा हूँ , देखो अपने गाँव रे।
फिर बैठ मुसाफिर सुस्ताये , बरगद की उन छाँव रे ।।
मैं परिवर्तन चाह रहा हूँ .....

फिर बचपन वाले
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