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Mr Maksudul 07
Google "Ek aise pradhanmantri jo sifr apne kaam se baatein karte the— Dr. Manmohan Singh." (एक ऐसे प्रधानमंत्री जो सिर्फ अपने काम से बातें करते थे— डॉ. मनमोहन सिंह।) ©Mr Maksudul 07 "Ek aise pradhanmantri jo sifr apne kaam se baatein karte the— Dr. Manmohan Singh." (एक ऐसे प्रधानमंत्री जो सिर्फ अपने काम से बातें करते थे
"Ek aise pradhanmantri jo sifr apne kaam se baatein karte the— Dr. Manmohan Singh." (एक ऐसे प्रधानमंत्री जो सिर्फ अपने काम से बातें करते थे
read moreParasram Arora
White वे भी क्या दिन थे ज़ब मै ठहाके मार कर हँसा करता था बिना शिकायत के जिंदगी बसर करता था छोटे छोटे खबाब देख कर जिंदगी के दिन काट लिया करता था रफ्ता रफरता वक़्त गुजरता गया और बचपन पीछे छुटता गया और मै जवान होता गया ©Parasram Arora भी क्या दिन थे
भी क्या दिन थे
read moreहिमांशु Kulshreshtha
ये सोच कर ही आपको हर घड़ी हम याद करते रहते हैं, भुला पायें आपको शायद कोई ऐसा रास्ता मिल जाए ©हिमांशु Kulshreshtha याद करते हैं..
याद करते हैं..
read moreAnjali Singhal
"ना कोई चिंता थी ना कोई फिक्र, थी बस अपनी ही मस्ती अपनी ही डगर, बेपरवाह से दिन जाया करते थे गुज़र, थक-हारकर खेलकूद से सोते थे बेफिक्र, बुना क
read moreRAVI PRAKASH
Unsplash छोड दिए वो रास्ते जिस पर सिर्फ मतलबी लोग मिला करते थे..! ©RAVI PRAKASH #library छोड दिए वो रास्ते जिस पर सिर्फ मतलबी लोग मिला करते थे..!
#library छोड दिए वो रास्ते जिस पर सिर्फ मतलबी लोग मिला करते थे..!
read moreneelu
White एक दौर था जब दोस्त कहते थे हमें अच्छा नहीं लग रहा है.... हम उनका उस हद तक जीना हराम करते थे जब तक की उनको लगना बंद ना हो जाए.. ...... अब वह दौर है जहां अगर दोस्त कहते हैं कि हमें अच्छा नहीं लग रहा है तो उनको उनके हाल पर छोड़ देना चाहिए.... ..... विचारों में मातभेद हो सकता है ©neelu #sad_quotes #एक #दौर था जब दोस्त कहते थे हमें अच्छा नहीं लग रहा है.... हम #उनका उस हद तक जीना हराम करते थे जब तक की #उनको लगना बंद ना हो ज
#sad_quotes #एक #दौर था जब दोस्त कहते थे हमें अच्छा नहीं लग रहा है.... हम #उनका उस हद तक जीना हराम करते थे जब तक की #उनको लगना बंद ना हो ज
read moreShashi Bhushan Mishra
आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा, झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा, बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा, जादू-टोना, ओझा मंतर, पूजा-पाठ सभी कर डाले, मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा, धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है, बड़ी-बड़ी मीनारों से भी करके सीना चाक के देखा, कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा, चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra #आस्तीन के सांप बहुत थे#
#आस्तीन के सांप बहुत थे#
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी सूरज की तरह मै भी ढलुगा तेरी खिस्मत मै अफसाना तेरे लिये लिखूगा बीतेगी हर रात तेरे पहलुओं मै दीदार तेरा करूँगा बन्दगी होगी तेरी मूरत की रोमांच से खिला खिला ह्रदय तक अंग अंग होगा इबादते तेरी करते करते सफल मेरा जीवन और प्यार होगा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #tereliye इबादते तेरी करते करते
#tereliye इबादते तेरी करते करते
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