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Parasram Arora
White वो नहीं मानता किसी की... क्या करें सब कुछ करके भी देख लिया लेकिन वो अभी तक खामोश हैँ और अब तो उम्मीद को भी जाते हुए हमने देझ लिया ©Parasram Arora उम्मीद
उम्मीद
read moreShrivas
White अब ये हसरतें हैं । बची हुई और कुछ उम्मीदें हैं । जो बस अब खुद से है । क्यों कि में खुद के लिए किसी भी हद तक जा सकता हूँ। ©Gourav Shrivas #उम्मीद
Anamika Raj
Zindagi ने मुझे एक चीज सिखा दी... अपने आप में khush रहना और किसी से कोई उम्मीद ना रखना...!! 💯 ©Anamika Raj किसी से कोई उम्मीद ना रखना..
किसी से कोई उम्मीद ना रखना..
read moreParasram Arora
Unsplash चिराग क़ी लौ का घटना बढ़ना और बुझना मै रात भर जाग कर देखता रहा मुझे लगता हैँ भविष्य मे मुझे भी इसी तरह उम्मीद क़ी सीढ़ियों पर उतरना चढ़ना जारी रखना. पढ़ेगा ©Parasram Arora उम्मीद क़ी सीडीया
उम्मीद क़ी सीडीया
read moreParasram Arora
Unsplash ये क्या हुआ उसे कि आज वो इतना खुश. दिखाई दे रहा शायद वो अपनी जेबो मे पढ़ी उम्मीद क़ी पूंजी को खर्च क रने का आज अवसर पा गया हैँ ©Parasram Arora उम्मीद क़ी पूंजी
उम्मीद क़ी पूंजी
read morewriter_Suraj Pandit
White " उम्मीद ही एक ज़िद है ।। " ©writer_Suraj Pandit #sad_quotes उम्मीद
#sad_quotes उम्मीद
read moreनवनीत ठाकुर
महफिल में बैठो फक्त, दोस्त के भेष में रकीब की भी जानकारी रखो। मंजिल की तैयारी अधूरी न हो कभी, हार को जीत में बदलने की कलाकारी रखो। हुनर हो हाथों में न कोई, खालिस कुछ कर गुजरने की खुमारी रखो। बात करना किसीसे छोड़ें नहीं, जो अल्फ़ाज़ असर छोड़ जाए, वो समझदारी रखो। लफ्ज़ निकले तो वो शेर सा चमके, शायरी में अपने दिल की अदाकारी रखो। शायरी हो या हो कोई फिक्र-ओ-जुनून, उसमें अपनी असल अदाकारी रखो। कभी न भूलो अपनी राहों का इरादा, मंजिल जो भी हो नज़र शिकारी रखो। सपनों में रंग हो या हकीकत में कोई वीरानी, अपने हौसलों में जीत की सवारी रखो। जो भी करना है, वो पक्की उम्मीद की खुद्दारी रखो। ©नवनीत ठाकुर जीत की तैयारी रखो
जीत की तैयारी रखो
read moreनवनीत ठाकुर
जिन्दगी के उतार-चढ़ाव में नीयत कहीं डोल न जाए, बावजूद इसके कीमत अपनी भारी रखो। जमाने भर की नफ़रतों के बावजूद, मोहब्बत यूं ही जारी रखो। तुमसे बढ़कर कोई नहीं है इस जहाँ में, इसलिए खुद को सबसे खास जारी रखो। अच्छाई के रास्ते पर चलते रहो हर दम, हर उलझन के बावजूद नेकियां जारी रखो। रुख हवा का हो या दुनिया बदल जाए, अपने दिल की आवाज़ भारी रखो। सफेद कपड़ों पर दाग लग न जाए, तबियत अपनी साफ रखो। दब जाना नहीं ऊंची आवाज़ के तले, अलग अपनी एक पहचान रखो। आ जाएं किसी के भी काम, राहत हमेशा सरकारी रखो। बुरा वक्त आए न किसी का, हाथ बढ़ाने में सरदारी रखो। दूसरों के दुःख-सुख में भागीदार बनो, अपने दिल में इंसानियत की सवारी रखो। ©नवनीत ठाकुर #मुहब्बत अपनी जारी रखो
#मुहब्बत अपनी जारी रखो
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