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अमित कुमार
White तेरे हुस्न का चर्चा सारे आम कर दूंगा सितारों के साथ मैं तेरा नाम कर दूंगा। मुझे ऐसा वैसा आशिक मत समझना जो होगी तेरी तमन्ना हर वो काम कर दूंगा।। ©Amit तमन्ना
M R Mehata(रानिसीगं )
जय माता दी 🌺🌺🌺 ©M R Mehata(रानिसीगं ) तमन्ना हो.... 💝💝
Mau Jha
मत कर तमन्ना किसी को पाने की..👈 बड़ी बेदर्द निगाहे हैं इस जमाने की😌 तुम खुद को बना काबिल इस कदर की👍 तमन्ना रखे लोग तुम्हें पाने की..!! ©Mau Jha तमन्ना रखे लोग तुम्हें पाने की।...
SANJAY SAHA
दिल जिसे चाहे उसी का हो जाऊ तेरे यादो मे दिन गुजार जाऊ वस एक ही तमन्ना है मेरी तेरे से पहले मै चला जाऊ। ©SANJAY SAHA #sugarcandy दिल की तमन्ना
Kuldeep Shrivastava
तमन्ना है मेरे दिल की हर पल साथ तुम्हारा हो जितनी भी चलें मेरी सांसें हर सांस पर नाम तुम्हारा हो 🌹🧡 ©Kuldeep Shrivastava #तमन्ना
Rajni Vijay singla
खुदा से पहले खुद से जब जब बात होती है तब कहीं जाकर आसमान वाले से मुलाकात होती है ©Rajni Vijay singla तू ही तू तेरी तलाश तेरी तमन्ना
bhim ka लाडला official
yogitaupadhyay45gmailcom
सुनो जी ये हाथ हाथो से छुड़ा तो न दोगे प्यार के लम्हो को बिसारतो न दोगे कितना एतबार हे तुम पर इसे कहीं भुला तो न दोगे मुद्दते हुई हमें एक दुशरे को संभाले हुए कहीं लड़खड़ाती जिन्दगी से हमें गिरतों न दोगे बस हर पल आपका साथ चाहिए इन हाथो में मरते दम तक आपका हाथ चाहिए 💞❤️ ©yogitaupadhyay45gmailcom # हाथो में हाथ ❤️ #तमन्ना
Dr Ajay Prakash
दिल से दिल की दूरी नहीं होती काश कोई मजबूरी नहीं होती 🥀,,,,,🥀,,,,,🥀,,,,,🥀 मिलने की तमन्ना बहुत है लेकिन कहते हैं ना हर तमन्ना पूरी नहीं ©Dr Ajay Prakash #agni हर तमन्ना पूरी नहीं होती
Dev Rishi
Village Life वो लिखा ही नहीं..... खुली खेतों की पगडंडी पर मस्ती से चलना धान गेहूं मक्का के शीश को तोड़ फिर वही फेक देना हमने वह भी किया जामुन के पेड़ों पर दिन भर लटकना पर कौन लिखें, ..? वो दिन ....वह बचपना के मस्ती भरी बातें जिक्र अब कर लेते हैं, हां शब्दों में रख लेते हैं पर हम किसी से ये नहीं कह पाते हैं कि...... उन दिनों की याद शहरों में रोज आतें हैं.... जब एक कमरे में दिन की सूय बल्ब हो... गांव छोड़ शहर के किसी मकान में जब घर हो हां ये सच है कि उस कमरे को रूम ही कहते हैं, घर की रौनक वहां कहां, , क्योकि अपना घर तो गांव में होते हैं हमने वो लिखा ही नहीं, जब से शहर ए जाम हाला पीएं है गांव की भूख लगते ही शहर छोड़ गांव की ओर भागे है बहुत छुपाना पड़ता है अपने आप को ...... कुछ झूठी कहानी बतानी पड़ती है अपनों को.... हां इतना बड़े हो जाते हैं कि सब ख़ुद ही देख लेते हैं घर से फ़ोन जब भी आएं सब ठीक है यही सब बतलाते हैं भले दिन औ रात यूं खुले आंखों में बीतें हो सपना और सफ़र कुछ नहीं समझ में आतें हो शब्दों की गाढ़े भी मन को मजबूत न कर पाते हो तब ख़ुद शब्द बन कुछ कहने, लिखने को आतुर हुए है.... फिर भी वह लिखा ही नहीं...... वही जो दर्द ए ताज बनी है.... ©Dev Rishi #villagelife #वो लिखा ही नहीं