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Ubaida khatoon Siddiqui
Unsplash जिन्दगी में दुःख आते रहते हैं और उन दुख के दर्द- जख्म भी याद रहते हैं, पर जिन्दगी में जब कुछ नया दर्द- दुख मिल जाता हैं, तो पुराना वाला दर्द इतना याद नहीं आता, भूल जाते हैं या उसका दर्द थोड़ा कम लगने लगता हैं , इस ही तरह जिन्दगी में नये-नये गम-तकलीफ आती जाती हैं और जिन्दगी पूरी हो जाती हैं, एक गम से दूसरे गम तक पहुँचने में । ©Ubaida khatoon Siddiqui #library 14/12/24 08:42 p. m. #Ubaidakhatoon #ubaidawrites #Thoughts आज का विचार #Life नये अच्छे विचार
#library 14/12/24 08:42 p. m. #Ubaidakhatoon #ubaidawrites Thoughts आज का विचार Life नये अच्छे विचार
read moreSunita Pathania
TeacherShailesh
श्रीमदभागवत गीता अध्याय 10 श्लोक 42 #geetagyan #teachershailesh #supersamvaad#टीचरशैलेश
read moreneelu
White Yesterday I saw a few episodes of the Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God... ©neelu #sad_quotes #Yesterday I #saw a few episodes of the #Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God...
#sad_quotes #yesterday I #Saw a few episodes of the #Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God...
read moreAvinash Jha
कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था, दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था। धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन, सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन। व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया, भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया। मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ, किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ? पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना, पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना? जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए, आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए। "हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई, जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई। क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा, जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?" अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल, धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल। कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से, "जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है। हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो, धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो। यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है, तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है। ©Avinash Jha #संशय #Mythology #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
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