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Pramod mahar
..जिन्दगी के इस बिरान शहर में.. ..खुद को कर्ण सा अकेला पाया.. ..रण में तीर तो बहुत चलाया.. .फिर भी आज सभी तीर ख़ुद के सीने मे पाया. रणविजय ##..#.#
XYZ INDORI
सरल गांव में धन सिंह नाम का एक बहुत ही गरीब आदमी रहता था उसकी शादी को कई साल हो गए थे मगर उसके घर कोई किलकारी नहीं गूंजी कई मन्नातो के बाद उसकी पत्नी सुभद्रा गर्भवती हो गई धनसिंह हमेशा भगवान से प्रार्थना करता कि उसके घर बेटा ही पैदा हो जो बुढ़ापे का सहारा बने मगर भगवान को यह मंजूर नहीं था धन सिंह के घर बिटिया का जन्म हुआ क्योंकि बड़ी मन्नातो के बाद संतान हुई। धनसिह और सुभद्रा खुश थे भले ही बिटिया पैदा हुई थी दोनों ने बड़े प्यार से बिटिया का नाम रानी रख दिया रानी धीरे-धीरे बड़ी होने लगी रानी पढ़ाई में काफी होशियार होने लगी है रानी पढ़ाई में भी काफी आगे थी वह हमेशा अपनी क्लास में टॉप करती थी तो टॉप करने के बाद रानी की आगे की पढ़ाई के लिए एक बहुत ही अच्छे कॉलेज का ऑफर मिल गया रानी के पिता धन सिंह को गांव वालों ने बहुत भड़काया की रानी को कॉलेज मत भेजो कॉलेज कर बिगड़ जाएगी मगर रानी का पढ़ाई में मन देखकर धनसिह मैं उसका एडमिशन करवा दिया 3 साल रानी अपनी कॉलेज की पढ़ाई के साथ साथ कंपटीशन की तैयारी करती रही और 3 साल बाद जब कॉलेज पूरा हो गया तो रानी ने यूपीएससी की परीक्षा मैं पहले ही प्रयास में पास कर ली और आईपीएस अधिकारी बन गई अपनी बेटी की सफलता देखकर धनसिह और सुभद्रा की आंखें भर आईं धनसिह ने पूरे गांव में चिल्ला चिल्ला कर बताया कि उसकी बेटी कॉलेज जाकर बिगड़ी नहीं बल्कि आज अफसर बनकर आई है पूरे गांव वालों ने धनसिह की मेहनत और रानी के लगन और परिश्रम का लोहा माना आपको यह कहानी कैसी लगी लाइक कमेंट शेयर करें ताकि मैं आपके लिए ऐसे अनेक सारी कहानी लेकर आता रहु और अपनी बेटियों को पढ़ने का मौका दीजिए। ©Ranvijay indori #रणविजय वास्केल
XYZ INDORI
ऐ जिंदगी.... तेरे लिए अपनों से दूर गैरों में है घर के नवाब कीराये के घरों में है। ख्वाब पूरे करने का दौर में है "ऐ जिंदगी" हम तेरे शहर इंदौर में है। ©Ranvijay indori #रणविजय इंदौरी
XYZ INDORI
मौसम -ऐ-ठंडी का अनोखा सा खुमार है। हमारा इंदौर शिमला होने को तैयार है। ©Ranvijay indori #रणविजय इंदौरी
XYZ INDORI
इसी इंदौर में रणविजय इंदौरी गजले बरसी हैं। इंदौर से इस दौर की गजलें हुई है। ©Ranvijay indori #रणविजय इंदौरी
XYZ INDORI
सौ बार मरना चाहा उनकी निगाहों में डूब के वह हर बार निगाहें झुका लेते हैं मरने भी नहीं देते हैं। ©Ranvijay indori #रणविजय इंदौरी आप कमेंट करके जरूर बताएं
Motivation Media
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